संतो ने पखारे पैर भक्तों ने किया पूजन सबरी और राम का मिलन देखकर भाव विभोर हो गई कैबिनेट मंत्री…

 

रेवांचल टाईम्स – मण्डला अयोध्या के श्रीराम मंदिर में श्रीरामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर है। श्रीराम भक्त इस पल का कई वर्षों से इंतजार कर रहे हैं आखिर अब जब यह घड़ी सामने आई है तो एक-एक राम भक्त इस पल को दीपावली की तरह मनाने में जुट गया है। संपूर्ण राष्ट्र भगवामय नजर आ रहा है। घरों, मंदिरों के उपर भगवा ध्वज लहरा रहा है। इसी कड़ी में सोमवार को जिला पंचायत के सामने स्थित प्राचीन हनुमान शेष नाग मंदिर में प्रात: 9 बजे से कार्यक्रमों का सिलसिला दिखाई दिया जो देर रात तक जारी रहा। यहां पर स्थित रामदरबार में आकृर्षक साज सज्जा के साथ फूलमाला से दरबार को सजाया गया। वहीं दोपहर 1 बजे संतो और जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में कार्यक्रम आयोजित किए गए जहां पर भगवान राम के बनवास के दौरान सबरी मिलन को लेकर बच्चों के अभिनय प्रस्तुति किया। राम और लक्ष्मण पग-पग चलते सबरी की झोपड़ी पहुंचे जहां पर सबरी ने भगवान राम और लक्ष्मण को बेर खिलाते हुए उनका पूजन किया। इस कार्यक्रम में मुख्य यजमान के तौर पर स्वामी सारदात्मनंद जी महाराज रामकृष्ण सेवा आश्रम देवदरा, रामदास जी महाराज सूर्यमंदिर नावघाट, सच्चिदानंद जी महाराज सूर्य मंदिर नावघाट, धर्मगुरू पं. नीलू महाराज वरदान आश्रम अंजनिया, पं. रामनाथ शास्त्री जी महाराज मुख्य रूप से उपस्थित रहे। वहीं मुख्य अतिथि के तौर पर कैबिनेट मंत्री श्रीमति सम्पतियां उईके वरिष्ठ भाजपा नेता एवं जिला पंचायत सदस्य मण्डला उपस्थित रहे। उपस्थितजनों ने भगवान की आरती की और जयकारे लगाए। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री श्रीमति सम्पतियां उईके ने कहा कि आज पूरे देश में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे है लेकिन बच्चों का यह प्रयास अनोखा रहा और उन्होंने अनादि काल की स्मृति को जीवित कर दिया। इस अवसर पर स्वामी सारदात्मनंद जी महाराज रामकृष्ण सेवा आश्रम देवदरा ने कहा कि शबरी के जूठे बेर के बिना रामायण बिल्कुल अधूरी है शबरी की भक्ति को पूरा करने के लिए भगवान राम ने उनके जूठे बेर खा थे फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को शबरी जयंती मनाई जाती है जो श्रीराम पूरे विश्व को ज्ञान का मार्ग बताते हैं। उन्हें छत्तीसगढ़ में रहने वाली वनवासी माता शबरी ने ज्ञान का मार्ग दिखाया। शबरी ने ही उन्हें कहा कि पंपा सरोवर जाएं और सुग्रीव से मिलें। भगवान राम और माता सीता का वनवास अनेक परीक्षाओं से भरा था। वहीं इस अवसर पर धर्मगुरू पं. नीलू महाराज वरदान आश्रम अंजनिया ने कहा कि बनवास के समय भगवान राम माता सीता को खोजते हुए एक आश्रम में शबरी से मिले। शबरी ने भगवान राम के चरण धोए और उन्हें बैठने के लिए आसन दिया फिर भगवान राम के लिए वो बेर लाई जो झूठे थे। भगवान राम ने शबरी की श्रद्धा और सेवाभाव को देखते हुए बहुत प्रेम से झूठे बेर खाए। भगवान राम उन्हें भक्ति और सेवा का महत्व सिखाते हुए बताते हैं कि भगवान को जो सेवा शुद्ध मन और समर्पण से की जाती है वह सच्ची भक्ति होती है। इस घटना से हम सीखते हैं कि भगवान के दर्शन के लिए भक्ति की आवश्यकता होती है और जो सेवा अपने मन से की जाए वह समस्त सेवाओं में सर्वोत्तम होती है। वरिष्ठ भाजपा नेता एवं जिला पंचायत सदस्य कहा कि रामायण की कथा में माता शबरी को विशेष महत्व दिया गया है माता शबरी भगवान राम की भक्त थी उन्होंने सालों तक भगवान राम और माता सीता की भक्ति करने के साथ उनकी प्रतीक्षा की थी जब भगवान राम की माता सीता की खोज करते समय वन के रास्ते में माता शबरी से भेंट हुई। उससे पहले माता शबरी रोज मार्ग में पुष्प बिछाकर और चख कर मीठे बेर भगवान राम के लिए चुनकर रखती थीं और एक दिन शबरी की इंतजार पूरा हुआ तो आखिरकार भगवान राम से उनकी भेट हो ही गई। इस दौरान भंडारा प्रसादी वितरण के साथ दीपदान कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया वहीं कलाकथक दल द्वारा भजन र्कीतन किया। समाजसेवी सुधीर कांसकार ने धर्मप्रेमियों का अभिवादन करते हुए शोभायात्रा का स्वागत करते हुए पुष्पवर्षा की। इस कार्यक्रम में समाज कल्याण प्रकोष्ठ एवं राष्ट्रीय मानव अधिकार फाउण्डेशन के समस्त पदाधिकारी व सदस्यों का सहयोग रहा।

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