शारदीय नवरात्रि के समापन के अगले दिन दशहरा या विजयादशमी पर्व मनाया जाता है. यह अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि होती है. इसी दिन प्रभु राम ने लंकापति रावण का वध किया था. इसलिए बुराई के प्रतीक के रूप में दशहरे के दिन रावण का पुतला जलाया जाता है. साथ ही विजय के पर्व विजयादशी के तौर पर मनाया जाता है. इस साल 12 अक्टूबर 2024 को दशहरा मनाया जाएगा. दशहरे के दिन को लेकर कई परंपराएं हैं. जैसे इस दिन पान खाना बेहद शुभ होता है. साथ ही दशहरा के दिन एक खास पक्षी के दर्शन करना बेहद भाग्यशाली माना जाता है.
नीलकंठ पक्षी के दर्शन जगा देता है भाग्य
दशहरा पर्व के दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन करना बेहद शुभ माना जाता है. नीलकंठ के दर्शन शुभ और भाग्य जगाने वाले माने गए हैं. इसलिए लोग दशहरा के दिन शहर से दूर जंगल, खेतों में जाते हैं और कोशिश करते हैं कि उन्हें नीलकंठ के दर्शन हो जाएं. इससे पूरे साल हर काम में सफलता मिलती है. साथ ही घर में धन-धान्य बढ़ता है. घर में शुभ-मांगलिक आयोजन होते हैं.
प्रभु राम ने किए थे नीलकंठ के दर्शन
मान्यता है कि प्रभु श्रीराम ने नीलकंठ पक्षी के दर्शन किए थे और फिर उन्होंने रावण पर विजय प्राप्त की थी. विजय दशमी का पर्व जीत का पर्व है. इसलिए इसे विजयादशी कहते हैं.
साथ ही यह भी मान्यता है कि रावण वध और लंका के जीत के बाद प्रभु राम ने ब्राह्मण हत्या के पाप से बचने के लिए अपने भाई लक्ष्मण के साथ मिलकर भगवान शिव की पूजा अर्चना की. तब भगवान शिव नीलकंठ पक्षी के रुप में धरती पर पधारे थे. इसलिए नीलकंठ भगवान शिव का रूप है. दशहरा के दिन नीलकंठ के दर्शन करने से भगवान शिव और प्रभु राम दोनों की कृपा प्राप्त होती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है रेवांचल टाईम्स इसकी पुष्टि नहीं करता है.)