दैनिक रेवाचल टाइम्स – मध्यप्रदेश के अनेकों जिलों में फर्जी अंक सुचि बनवा कर बड़े बड़े पदों बैठे हुए है जब कोई शिकवा शिकायत होती है या फिर आपसी रंजिस के चलते ये बातें खुल कर सामने आती है वही कुछ दिनों पहले ही तीन शिक्षक फर्जी अंक सूची में नोकरी कर रहे जिन्हें शिकायत पर जांच हुई और उन्हें न्यायालय ने जेल की हवा खिला दी आये दिन फर्जी अंकसूचियों से नोकरी कर रहे लोगो निकल कर सामने आ रही हैं इन्ही फर्जी अंकसूचियों बनवा कर 6 शिक्षको की जानकारी सामने आई है।
जानकारी के अनुसार दमोह जिले में 6 शिक्षक फर्जी अंकसूची का सहारा लेकर शिक्षक बनने वालों पर प्रशासन के द्वारा ताबड़तोड़ कार्यवाही की जा रही है तो वहीं कटनी जिले में कई ऐसे शिक्षक-शिक्षकाएं है जो फर्जी अंकसूची का सहारा लेकर शिक्षक बन गये है। इस संबंध में शिकायतकर्ताओं के द्वारा कई शिकायत की गई तब प्रशासन के द्वारा इसकी जांच करवाई गई जिसमें सत्यता की पुष्टि हुई है कि इनके द्वारा जो अंकसूची लगाई गई है वह फर्जी है। इस मामले में जिस तरह का लचर रवैया प्रशासन का देखने को मिल रहा है इससे यह प्रतीत हो रहा है कि यह सब प्रशासन के सहयोग से हुआ है और कार्यवाही करने की बजाये जिला शिक्षा अधिकारी कटनी के द्वारा नोटिस का खेल खेला गया। आज दिनांक तक दोषी शिक्षकों पर ठोस कार्यवाही नहीं की गई है।
बरही में पदस्थ शिक्षिका ने लगाई फर्जी अंकसूची
शासकीय प्राथमिक शाला हरतला टोला की प्राथमिक शिक्षक श्रीमती मीना कोरी द्वारा गलत अंकसूची का सहारा लेकर पदोन्नती प्राप्त करने के मामले की जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा दिनांक 17 अक्टूबर 2023 को आरोप पत्र जारी कर दस दिवस के अंदर इस संबंध में अपना पक्ष रखने के आदेश दिये गये थे बावजूद आज दिनांक संबंधित शिक्षिका के विरूद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गई है। स्मरण रहे कि जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा श्रीमति मीना कोरी, प्राथमिक शिक्षक हरतला टोला, शास. उ.मा.वि. कन्या बरही के विरूद्ध जारी आरोप पत्र में स्नातक की अंकसूची वर्ष 2010 की कूटरचित प्रस्तुत कर अंग्रेजी विषय से पदोन्नति प्राप्त करनें अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा के पत्र द्वारा बी.ए. तृतीय वर्ष 2010 की अंकसूची में अनुक्रमांक- 2362 में अभिलेखानुसार मीना कोरी, मनोज कुमार कोरी सारणी पत्रक में अनुक्रमांक तथा नाम मिलान नहीं पाया गया गया है, जिससे उक्त अंकसूची कूटरचित प्रतीत होनें का लेख किया गया है। इसके अतिरिक्त अभिलेखों एवं साक्ष्यों की साक्षियों की सूची जारी की जाकर नियम विरूद्ध उच्च पद का वेतन प्राप्त किये जानें का कृत्य म.प्र. सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम (1), (2), (3) के तहत कदाचरण एवं स्वेछाचारिता तथा वित्तीय अनियमिता की श्रेणी में आने का उल्लेख किया जाकर विभागीय जांच संस्थित की गई है लेकिन आपराधिक कृत्य करने वाली शिक्षिका के विरूद्ध आज दिनांक तक अपराध पंजीबद्ध नहीं करवाया गया है और न ही उसे बर्खास्त किया गया है।
ये है दमोह जिले का मामला
फर्जी डीएड की अंकसूची के आधार पर नौकरी करने वाले छह शिक्षकों की सेवाएं समाप्त कर दी गई है। इन शिक्षकों की नियुक्ति वर्ष 1996 और 2002 के बीच में हुई थी, इस बात की शिकायतें मिलने पर जब सत्यापन कराया गया तो शिकायत सही मिलीं। इसी आधार पर इनकी सेवाएं समाप्त कर दी गई है। जिला शिक्षा अधिकारी एसके नेमा ने बताया कि इन शिक्षकों ने डीएड की फर्जी तरीके से अंकसूची बनवाई थी इसमें यह सभी शिक्षक शामिल थे। यह सभी शिक्षक विगत 22 से 28 वर्ष से नौकरी कर रहे है और डीएड की अंकसूची नौकरी के बाद मैं लगाई थी। इतनी लंबी नौकरी करने के बाद जब इनकी जांच हुई तो इस तरह का फजीर्वाड़ा सामने आया। इन शिक्षकों ने फर्जी अंकसूची कहां से ली और इसके पीछे कौन सा गिरोह शामिल है इसका पता लगाने के लिए टीम गठित की गई है।
इन शिक्षकों की सेवाएं हुई समाप्त
इन फर्जी अंक सूची के आधार पर मगरोन संकुल के बेला पुरवा प्राइमरी स्कूल शिक्षक बबलेश पटेल के खिलाफ दस्तावेज फर्जी होने की शिकायत मिली थी। जब बोर्ड से इसकी जांच कराई गई तो डीएड की अंकसूची फर्जी निकली। इनकी नियुक्ति 1996- 97 में हुई थी, इन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। तेंदूखेड़ा के तेजगढ़ कन्या शाला में पदस्थ शिक्षक श्याम सुंदर साहू की अंकसूची फर्जी पाई गई थी, इनकी नियुक्ति भी 1996 में हुई थी। शासन स्तर पर जांच आने के बाद इसका “खुलासा हुआ। मगरोन संकुल में प्राइमरी शिक्षक अंजुलता की डीएड की अंकसूची भी फर्जी निकली है, उन्होंने वर्ष 2002 में ज्वाइनिंग की थी। इनका संकुल बटियागढ़ रखा गया था, अब इन्हें बर्खास्त कर दिया गया है।
इनकी डिग्री भी निकली फर्जी
वही जानकारी के अनुसार मिडिल स्कूल शिक्षक कमलेश खरे को डीएड की मार्कशीट भी फर्जी निकली है, इसकी जांच जेडी सागर के आदेश पर प्रारंभ हुई थी। वहां से जांच प्रतिवेदन मिलने के बाद कमलेश खरे को बर्खास्त किया गया है। इसके अलावा दमोह शहर के नवीन पांडे मिडिल स्कूल में पदस्थ पुष्पेंद्र मुड़ा मिडिल शिक्षक के पद पर पदस्थ थे। इनकी नियुक्ति वर्ष 1998 में हुई थी इसकी भी डीएड की अंकसूची जाली पाई गई है, अब इसकी सूचना पुलिस को दी जा रही है। बताया गया है कि मामला यहीं नहीं थमा, तेंदूखेड़ा मिडिल स्कूल में पदस्थ शिक्षिका ज्योति जैन ने 2003 में ज्वाइनिंग की थी, इनकी डीएड की अंकसूची जांच के लिए भेजी गई थी। वहां पर उसका रजिस्ट्रेशन नहीं मिला विभागीय जांच के बाद संबंधित को नोटिस जारी किया गया मगर संतोषजनक जवाब नहीं मिला, जिस पर उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गई थी।
वही जानकारी के अनुसार इस तरह फर्जी अंकसूची फर्जी डी एड बी एड व्यपाम पात्रता परीक्षा जैसे में गोलमाल करे मलाई खा रहे है और जो पात्र व्यक्ति है वह आज दर दर भटक रहे है। वही दूसरी ओर फर्जीवाडे की शिकायत मिलने पर विभाग भी जांच के नाम पर पर्दा डालकार उन्हें अभयदान दिया जा रहा हैं।