बेखौफ चल रहा फर्जी बिलों का खेल.. सरपंच सचिव मिलकर कर रहे शासकीय राशि का बंदरबांट बी.पी.ओ.जनपद घुघरी की जांच प्रणाली संदिग्ध…

 

रेवांचल टाइम्स मंडला – आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र मंडला जिले में यूं तो अनेक कारनामे होते नजर आते हैं, जिनमें कहीं शासकीय भूमि पर कब्जा हो या मृत व्यक्तियों के नाम से वेतन भुगतान का मामला हो जिले में सभी प्रकार के भ्रष्टाचार परत दर परत दिन प्रतिदिन उजागर होते ही रहते हैं..जिले में लगभग सभी जनपदों में भ्रष्टाचार अपनी चरमसीमा पार कर चुका है और जिले में बैठे जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी केवल अपने उच्च अधिकारियों की नजर में जांच करके अपनी वाहवाही लूटते नजर आते हैं जबकि जमीनी हकीकत जाननी हो तो जिले कि किसी भी ग्राम पंचायत के किसी भी आम नागरिक से जानकारी लेकर देखें कि ग्राम पंचायत में कितनी कमियां हैं और आम नागरिक शिकायत करने के बाद भी क्यों मजबूर होता है कि मुझे शासकीय लाभ या किसी भी योजना का लाभ क्यों नहीं मिल पा रहा है..
केन्द्र सरकार से लेकर राज्य सरकार सभी प्रकार से शासकीय योजना का लाभ दिलाने के लिए सारे प्रयास करते नजर आती है लेकिन आज भी ग्रामीण अंचल में बैठे सचिव और चुने हुए जन प्रतिनिधि केवल चुनावी वादों के समय ही सीमित रहते हैं जैसे ही चुनाव जीतकर पद संभालते हैं वो केवल अपनी तिजोरी भरना का काम करते हैं गरीब जनता के विषय पर या आम नागरिक जिसको पक्का मकान मिलना चाहिए और जो पात्र होकर भी शासकीय पोर्टल में अपात्र नजर आ रहा है उसकी कहीं न कहीं आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं है और आवास के लिए उसने चढ़ावा नहीं दिया होगा तभी आज कच्चे और गिरते मकान में रहने मजबूर है..
जिले में बढते भ्रष्टाचार और फर्जी बिल बाजों की बात कहें या ग्राम पंचायत के सरपंच सचिव की मिलीभगत से आज भी फर्जीवाड़ा अपनी चरमसीमा पर पहुंच चुका है…
ऐसा ही नया मामला जनपद पंचायत घुघरी के ग्राम पंचायत डोंगरमंडला का आया है जहां पर शासन के द्वारा टिन नंबर के कच्चे बिलों का लेने-देन या फिर टिन नंबर के बिलों को जुलाई 2017 से बंद कर दिया गया है लेकिन आज भी सरपंच सचिव की मिलीभगत कहें या उनका निजी स्वार्थ जिसकी वजह से टिन नंबर के बिलों के द्वारा भुगतान कराया जा रहा है और सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि तहसील मुख्यालय में बैठे ऐसे अनेक ट्रेडर्स जिनको जानकारी होते हुए भी कच्चे बिलों को शासकीय पोर्टल में अपलोड कराकर स्वयं ही टैक्स चोरी करते नजर आ रहे हैं..
वैसे तहसील मुख्यालय घुघरी में ये आम बात हो चुकी है..
वहीं सूत्र बताते हैं कि जनपद पंचायत घुघरी में बैठे अधिकारी कर्मचारियों की सरपंच सचिवों से अच्छी खासी पहचान बनी हुई है..
वही सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार अगर किसी भी पंचायत की खबरें समाचार पत्र में प्रकाशित होती हैं तो इनको पका पकाया काम मिल जाता हैं और फिर प्रकाशित खबरे जांच के नाम पर खेल शुरू हो जाता हैं, औऱ जांच कर्ता जांच के नाम पर अपना हिस्सा लेकर केवल ग्राम पंचायत के ही पक्ष में जांच प्रतिवेदन बनाकर कागजों की खानापूर्ति कर अपना काम कर देते हैं और जांच वहीं खत्म हो जाती है..
जिससे फर्जीवाड़े की पोल भी नहीं खुलती और सरपंच सचिव अपनी कारवाई से भी साफ बचते नजर आते हैं।

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