ख़बर का असर.. ग्राम पंचायत में लग रहे फर्जी बिलों की गूंज जिला पंचायत तक पहुंची दिए जांच के आदेश.

तीन दिवस में जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के दिए आदेश, अतिरिक्त जिला कार्यक्रम समंवयक कार्यालय से...

रेवांचल टाईम्स – मंडला, जिले की ग्राम पंचायतों में लगातार बिना फर्म, बिना मटेरियल सप्लायर दुकान के बिल लग रहे है औऱ ऐसे ऐसे मैटेरियल सप्लायर, और फर्म के बिल पंचायत दर्पण में लगा कर शासन को आर्थिक क्षति पहुँचाई जा रही है जिसके समाचार लगातार दैनिक रेवांचल टाईम्स समाचार पत्र में मय साक्ष्य के ख़बरे प्रकाशित की जा रही हैं, प्रकाशित ख़बरो में स्थानीय जनपद पंचायत केवल अपनी अधीनस्थ ग्राम पंचायत को बचाने को पूरा प्रयास करती है और कागजो का पेट भर जांच को फाइल कर देती है।
ऐसा ही मामला जनपद पंचायत भुआ बिछिया की ग्राम ककैया का जहा पर सरपंच पति स्वंय भू सरपंच बन बैठे है और अपने साथ साथ अपने करीबियों को भी ठेकेदार बना दिये है और उन्ही के मैटेरियल सप्लायर और अन्य बिल धड़ल्ले से पंचायत दर्पण में लगातार सरकारी धन में लूट मचाई हुई है जिसकी खबरे दैनिक रेवांचल टाईम्स समाचार पत्र में लगातार प्रकाशित की गई जिसको लेकर जनपद पंचायत से एक टीम ने मौके में जाकर जाँच करके केवल खाना पूर्ति करके जांच बन्द कर दी पर स्थानीय लोगो ने ग्राम पंचायत पर जो अनिमित्ता के गंभीर आरोप लगाए थे पर उन बिंदुओं में जांच न करते हुए केवल खाना पूर्ति करते हुए जांच बन्द कर दी पर ग्रामीणों ने पुनः जांच से सम्बंधित मामले में शिकायत कर्ता ने रेवांचल टीम को बतलाया कि जांच ने शिकायत की बिंदु में जांच नही कि है जिसको लेकर रेवांचल टाईम्स ने पुनः खबर प्रकाशित की प्रकाशित ख़बरो में जिला पंचायत के कार्यालयीन आदेश क्रमांक 3215/एफ-410/ मनरेगा शिका.2024 के आदेशानुसार तीन दिवस के अंदर जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के आदेश दिए गये हैं..

ग्राम पंचायत ककैया में फर्जीवाड़े की हुई जांच, जाँच कर्ता ने निकाली रिकवरी

ग्राम पंचायत ककैया में फर्जी बिलों की भरमार खुला हो रहा भ्रष्टाचार
जिम्मेदार आंखों में बांध पट्टी बन बैठे धृष्टराज… की ख़बर दैनिक रेवांचल टाईम्स समाचार पत्र में 3 अक्टूबर को प्रकाशित की थी ख़बर के प्रकाशन में जनपद पंचायत भुआ बिछिया से जांच टीम ने जांच कर कागजों का पेट भर दिया और जांच की खानापूर्ति कर स्थानीय लोगो का मुँह बन्द कर दिया गया था जबकि आज भी अनेको विषय में जांच नही की गई जो जांच टीम के द्वारा जाँच केवल ऊपरी स्तर पर देख कर रिकवरी निकाल कर अपना पलड़ा रहें हैं।
हुई जांच को लेकर स्थानीय लोगो औऱ शिकायत कर्ता में तरह तरह में रोष पनप रहा है वही जो जांच हुई है ग्रामीणों ने ग्राम पंचायत में सरपंच सचिब रोजगार सहायक उपयंत्री सहित वित्तीय अनिमित्ता की जांच सूक्ष्मता से करने की माँग कर रहे है।
वही जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत ककैया में फर्जी बिलों की शिकायत मिलने पर जनपद पंचायत बिछिया द्वारा जांच टीम गठित की गई थी जिसके जांच अधिकारी लेखापाल के ,डी प्रजापति एवं संजय पोटपोशे थे जिनके द्वारा सरपंच एवं सरपंच पति को संरक्षण देते हुए पूर्ण बिलों की जांच नहीं की गई जबकि ग्राम पंचायत में लगभग 99% बिल बिना जीएसटी के लगे हुए हैं कुछ बिलों की जाँच ग्राम पंचायत ककैया में गई थी फर्जी बिलों की जांच में पाया गया कि सरपंच, सरपंच पति एवं सचिव द्वारा नियमों का उल्लघंन करते हुए अपने निजी स्वार्थ के लिए राशि का आहरण किया गया है जिसको देखते हुए जिला पंचायत न्यायालय द्वारा 24337 रुपए की रिकवरी का आदेश माननीय न्यायालय द्वारा निकाला गया जांच अधिकारी द्वारा पूर्ण रूप से अभी भी जांच नहीं की गई है जो बिल सरपंच पति के द्वारा लगा कर 2760 रुपए की राशि आहरण की गई थी उसकी अभी तक जांच नहीं की गई है एवं पूर्व में भी विधानसभा चुनाव के समय में लगभग 50000 से अधिक की राशि का आहरण बिना किसी प्रशासनिक स्वीकृति के किया गया था जिसकी जांच भी आज तक नहीं की गई है क्या शासन प्रशासन द्वारा सरपंच एवं सरपंच पति को संरक्षण दिया जा रहा है।

आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र मंडला जिले की अधिकांश ग्राम पंचायतों में फर्जीवाड़े, ग़बन, भ्रष्टाचार पद का दुरूपयोग कर धड़ाधड़ शासकीय योजनाएं में आई राशि मे भ्रष्टाचार किया जा रहा है और जिन्हें इनके रोकने और अंकुश लगाने की जिम्मेदारी जनपद पंचायत में बैठे मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद अध्यक्ष पंचायत इंस्पेक्टर अनुविभागीय अधिकारी अन्य बड़े बड़े अधिकारी और जनप्रतिनिधि बैठे हुए है बावजूद इसके ग्राम पंचायतों में ख़ुल्म खुल्ला फर्जीवाडा किया जा रहा है और ये सब जिम्मेदार अपनी आँखों से देखना भी पसंद नही कर रहे है या फिर देखना ही नही चाह रहे है और इसके पीछे भी कुछ निजी स्वार्थ सिद्ध होना तय है तभी तो शिकवा शिकायत के बाद भी कार्यवाही न होना जांच न होना दोषियों को छोड़ देना ये कहा तक सही है पर अब जनता सब समझने लगी हैं।

न दुकान न दुकान पता फिर भी लग रहे है धड़ा धड़ बिल

वही जो ग्राम पंचायतों में मटेरियल सप्लाई कर रहे है उनका कोई आता पता नही नही न वह दिखाई पड़ते है और न ही उनकी दुकान पर पंचायत दर्पण में उनके फर्म के बिल बाउचर जरूर दिखाई पड़ रहे है और धड़ा धड़ बिल लगा लगा कर सरकारी पैसा का आहरण किया जा रहा हैं। फर्जी बिलों की बाढ़ सी आ गई है शायद जिले की कोई एक पंचायत होगी जहां पर भ्रष्टाचार न फैला हो लेकिन रोजगार सहायक से लेकर जिले तक बैठे अधिकारी कर्मचारी केवल अपनी जेब भरने में लगे हुए हैं। आम जनता जिनको समस्या होती है उनकी शिकायत पर भी जिम्मेदार अधिकारी केवल खानापूर्ति करके कागजों का पेट भर देते हैं। लेकिन समाधान या कारवाई होती नजर नहीं आती और आम नागरिक शिकायत ही करते रह जाती हैं और आख़िर थक हार कर हतास हो कर चुप हो जाती हैं..

पत्नी सरपंच पर पति निभा रहा जिम्मेदारी

वही सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार ऐसा ही नया मामला जनपद पंचायत बिछिया के ग्राम पंचायत ककैया का सामने आया है, जहां पर पंचायत दर्पण में फर्जी बिलों से लाखों की राशि का आहरण कर लिया गया है। औऱ बिलो का अंबार लगा हुआ यहाँ तक कि सरपंच पति और रिश्तेदारों तक के बिल आसानी से दिखाई पड़ रहे हैं जिसकी शिकायत ग्रामीणों ने की पर नतीजा हाथ की लाई शून्य रहा।

सरपंच पति कर रहा मनमानी और बना रहा दबाव कराता है भुगतान

वही स्थानीय लोगो की माने तो ग्राम पंचायत ककैया की सरपंच ममता मरकाम है, लेकिन पूरी सरपंची अपनी दबंगई के साथ सरपंच पति फागू लाल मरकाम करते नजर आ रहा हैं, अपने काम करवाने के लिए सचिव और रोजगार सहायक के ऊपर दबाव बनाकर अपने मनचाहे ट्रेडर्स के बिलों का भुगतान कराए जाने की जानकारी लग रही है, और यदि कोई
मना करता है तो दबंगई औऱ पत्नि सरपंच है पर स्वयं सरपंच से कम नही है अपना रुत्वा दिखाकर डराया जाता है, वही कुछ लोगो ने नाम न छापने पर बताया कि सरपंच पति खुद को सरपंच मान कर सब कुछ खुद ही करता है और ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने यहां तक कि जी.आर.एस से फर्जी मस्टरोल भरवाकर स्वयं के बिल लगाकर खुद के खाते में राशि का भुगतान सरपंच पति के द्वारा कराया जाता है।

ग्राम पंचायत के पंचो पर भी बनाया जाता है दबाव,

वही ग्राम पंचायत ककैया के 13-14 पंचों ने सामूहिक रूप से अपना त्यागपत्र भी दे दिया है और सरपंच पति फागू लाल मरकाम की दबंगई के चलते 13-14 पंच ग्राम सभा में भी आना पसंद नहीं करते है। फिर भी जनपद में बैठे जिम्मेदार अधिकारी और जनप्रतिनिधियों से ताल मेल बना कर शिकायतो को देता है दबा
सरपंच पति योजनाओं का लाभ दिलाने करता है हितग्राहियों से पेसो की मांग

वही सूत्रों से जानकारी के अनुसार अगर आपको कोई योजनाओं का लाभ चाहिए तो पहले ग्राम पंचायत के जिम्मेदार सरपंच पति से मिलो तबी होंगे काम नही तो देते रहो आवेदन नहीं होती कोई सुनवाई है, ग्राम वासियों ने ये भी आरोप लगाया है कि यदि रोजगार सहायक और मैट फर्जी हाजरी नहीं भरते तो उनकी शिकायत करने का दबाव बनाया जाता है और फर्जी हाजरी भरने के लिए झूठी शिकायत के माध्यम से दबाव बनाकर कार्य कराया जाता है। और काम के बदले पैसों की मांग की जाती है जिसका वीडियो भी बनाकर रखा गया है।

शौचालय निर्माण की राशि का भी कर लिया आहरण..

वही विधानसभा चुनाव के दौरान भी फर्जी बिल लगाकर राशि का आहरण कर लिया गया प्रशासनिक राशि 24000/- थी जिसमें एक शौचालय का निर्माण कराया गया और उसमें भी 50,000/ से भी अधिक की राशि का आहरण कर लिया गया उसमें भी आज तक कार्रवाई नहीं कि गई जिससे उसके हौसले बुलंद नज़र आ रहे है।

फर्जी बिलों से भरे शासकीय पोर्टल पंचायत दर्पण.

बिना जी.एस.टी. के बिलों की लगी भरमार साईमा रेडियोज के नाम से लगे बिल मे साफ नजर आ रहा है कि बिल पहले किसी राशि का बनाया गया था उसके बाद उसमें ओवर राइटिंग करके बिल की राशि को अधिक कर दिया गया..बाकि जितने भी बिल लगाये गये हैं सभी बिना जी.एस.टी के लगे हैं..
इससे साफ नजर आता है कि फर्जीवाड़ा और भ्रष्टाचार किस हद तक जिले की लगभग सभी पंचायतों में किस कदर फैला हुआ है, आखिर ये जिम्मेदार अधिकारी और भ्रष्टाचार करने वालों पर कब जाग कर कार्रवाई करेगे और आखिर कब तक ये शासकीय राशि का बंदरबांट करते रहेंगे। और छोटी छोटी जाँच कर के केवल इन्हें संरक्षण ही दिया जा रहा है जबकि सरपंच एंव सरपंच पति के ऊपर वित्तीय अनिमित्ता लगातार करते आ रहे हैं।

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