दूरस्थ वन अंचलो में भी अंग्रेजी शराब विखेर रही है अपना जलवा, ग्रामीण महुआ से होते जा रहे दूर, एक लायसेंसी अपने क्षेत्र को छोड़कर दूसरे के क्षेत्र में उतार रहे शराब…

 

रेवांचल टाइम्स – मंडला आदिवासी बाहुल्य मंडला जिले के हर विकास खण्डों लाइसेंसी देशी विदेशी शराब की दुकान संचालित हो रही है, औऱ जिला मुख्यालय में 6 दुकानें जो संचालित थी जिन्हें शिवराज सरकार ने बन्द करा दिया था, वावजूद इसके विकास खण्डों में संचालित शराब की दुकानें ठेका क्षेत्र छोड़ कर पेकारी के माध्यम दूर दूर तक बोलोरों वाहन में भर भर के छोड़ रहे हैं, औऱ जिला आबकारी विभाग के साथ साथ स्थानीय प्रशासन से ठेकेदार के द्वारा अपने क्षेत्र के साथ साथ कुचियो के माध्यम से गॉव गॉव गली गली अपनी शराब बिकवा कर अपना राजस्व तेजी से चार गुना बढ़ा रहे है और आबकारी विभाग मौन बनकर संरक्षण दे रहा है!
यू तो मंडला जिला जहां पर संस्कृति एवं परम्परा को सजोये हुए है, जहां पर गोंड आदिवासी समाज के द्वारा अपनी पूजा पाठ में एवं समाजिक आयोजनों पर महुआ की शराब का प्रचलन चला आ रहा है जिसे सरकार के द्वारा महुआ शराब बनाने के लिये आदिवासियों को पांच बॉटल देशी शराब बनाने की छूट दे रखी है पर इन आदिवासियों के समाज के लोगो को आधुनिकता का प्रभाव पड़ता नजर आ रहा है अब वो अपने पीढ़ियों से चली आ रही पम्परा धीरे धीरे कम होती नजर आ रही है दूरस्थ वन अंचलो में बहुतायत मात्रा में आज भी लोग महुए से निर्मित शराब का उपयोग करते देखे जाते है वही अब दूसरी और आधुनिकता के चलते युवा पीढ़ी वर्ग में अंग्रेजी शराब का प्रचलन बढ़ रहा है जिसका सीधा फायदा देसी विदेशी शराब के ठेकेदारों के द्वारा लाभ उठाया जा रहा है जिसके चलते लायसेंसी शराब दुकान से ठेकेदार अपनी निजी वाहनों से गॉव गॉव व गली कूचे तक पहुँचा कर दिया जा रहा है जिसके चलते नशा परोसा जा रहा है ये सभी आबकारी विभाग या स्थानीय पुलिस के संरक्षण के बगैर संभव नही है ।
वही सूत्रों से जानकारी के अनुसार मोहगांव के देशी विदेशी कम्पोजिट के शराब ठेकेदार के द्वारा अपने कार्य क्षेत्र के अलावा दूसरे ठेकेदार घुघरी के कार्य क्षेत्र में कुचियो के माध्यम से नियम विरुद्ध काली कलर की बोलेरो वाहन से ढ़ो रहे है इसका जीता जगता उदाहरण विकास खंड घुघरी के देवहार ग्राम पंचायत पिपरिया टोला में जो कि डिंडोरी जिले कि सीमा से लगे सड़क किनारे सुनसान जगह पर करिया खाती ढाबा के नाम से संचालित दुकान में ग्रीन नेट लगाकर खुलेआम अहाता बना कर शराब का विक्रय बिना डर के धड़ल्ले से बेंची जा रही है वही जब रेवांचल की टीम ढ़ाबे मालिक से बात की तो उसके द्वारा बताया गया की हम अपनी आवश्यकताओं के अनुसार ठेकेदार को फोन पर आर्डर कर देते है तो हमारे ढ़ाबे पर काली रंग की बोलेरो से लाकर छोड़ दिया जाता है हमे जाने की जरूरत नही पड़ती इस शराब को बेचने पर हमें दस से बीस रुपये का पर क्वाटर का हमे मुनाफा होता है एक सप्ताह में बीस से पच्चीस हजार रुपये की बिक जाती है हमे ठेकेदार के द्वारा कहा जाता है की आप चिंता न करे हमारा सभी जगह पर सेटअप है आप तो खुलकर बेचे अब जब ठेकेदारों के द्वारा कुचियो को संरक्षण प्राप्त है तो क्यों ना इन वन क्षेत्रों में शराब बेचीं जाएगी सवाल यह उठता है कि आबकारी विभाग एवं पुलिस विभाग महाभारत के धृष्टराष्ट्र की तरह मूक दर्शक बने हुए है ।

इनका कहना है कि
मुझे इस संबंध में कोई जानकारी नही है आप के द्वारा जानकारी प्राप्त हुई है में दिखवा लेता हूँ ।
सर्वेश नागवंशी
आबकारी मंडला

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