लापरवाही….ताक पर नाबालिग छात्रों की सुरक्षा बढ़ती ठंड में बौना के आदिवासी आश्रम के नौनिहालो को भेजा जा रहा नदी में नहाने

भोजन और नाश्ते में भी प्रबंधन कर रहा कटौती
रात्रि में भी अक्सर नदारत रहते है अधीक्षक

दैनिक रेवांचल टाइम्स बजाग – विकासखंड के वनग्राम बौना में स्थित 50 सीटर आवासीय आदिवासी बालक आश्रम में छात्रावास प्रबंधन की बड़ी लापरवाही सामने आई है यहां रहने वाले बच्चो को दिनोदिन बढ़ती ठंड में नदी में नहाने को मजबूर किया जा रहा है जबकि आश्रम में ही पानी सप्लाई की व्यवस्था है बावजूद इसके आश्रम मौजूद सभी बच्चों को सुबह 9 बजे से ही रोजाना ठंडे पानी में नहाने के लिए भेजा जा रहा है इस कारण बच्चे सर्दी जुकाम से पीड़ित हो सकते है छात्रावास के जिम्मेदार बच्चो की सुरक्षा को ताक में रखकर मनमानी पर उतारू है गौर करने लायक यह भी है कि यहां नदी नालों के आसपास झाड़ियों में जहरीले जीव जंतुओं का खतरा हमेशा बना रहता है वही नहाते वक्त बच्चों के गहरे पानी में चले जाने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता। परंतु प्रबंधन द्वारा इन बातों को दरकिनार रखते हुए लापरवाही को नजर अंदाज किया जा रहा है गौरतलब है कि वनांचल में इस समय लगातार तापमान गिरता जा रहा हे और ठंड जोर पकड़ रही है वही वनग्राम में बहने वाले नदी नालों का पानी इस समय बहुत ही ज्यादा ठंडा और शीतल है परंतु बच्चों की पीड़ा की परवाह किए बिना ही नाबालिग छात्रों को नदी में नहाने के लिए मजबूर किया जा रहा है इसके अलावा अपने घर परिवार से दूर आवासीय छात्रावास में रहकर विद्या अध्यन करने वाले छात्रों के भोजन एवं नाश्ते में प्रबंधन द्वारा कटौती करने की बात भी सामने आई है बुधवार को सुबह करीब 9 बजे इसी आश्रम के नजदीक नदी पर छोटे छोटे बच्चों को ठंडे पानी में नहाते देखा गया।वही कुछ बच्चे ठंडी से कंपकंपा भी रहे थे।बच्चो से पूछने पर उन्होंने बताया कि छात्रावास के सर के कहने पर नदी में नहाने आए है।वही प्रबंधन ने बिजली गुल होने के कारण छात्रावास में पानी आपूर्ति बाधित होने की बात कही।जबकि बच्चो का कहना है कि बिजली गुल हो या न हो हमे रोजाना नदी में नहाने के लिए भेजा जाता है छात्रावास के पास में ही खेती करने वाले एक किसान ने बच्चों के रोज नदी में नहाने की पुष्टि की है जब छात्रावास में मिलने वाली सुविधाओ की जानकारी ली गई तब बच्चों ने दबी जुबान में बताया कि नाश्ते में पोहा और चना दिया जाता है परंतु रोज नहीं दिया जाता।खाना मीनू के अनुसार नहीं मिल रहा है सिर्फ दाल चावल और सब्जी परोसी जा रही है रोटी सप्ताह में एक दिन ही मिलती है महीने भर में एक साबुन,एक तेल की शीशी ,एक मंजन का छोटा पैक ओर एक छोटा पैकेट निरमा का मिलता है सूत्रों की माने तो 50 सीटर आश्रम में बच्चो की उपस्थिति में रोजाना कमी बनी ही रहती है बुधवार को भी 50 में से 22 बच्चों की उपस्थिति की जानकारी मिली है जबकि शासन से प्रति बच्चे के मान से मिलने वाली पूरी राशि का आहरण प्रबंधन द्वारा किया जा रहा है फिर भी प्रबंधन द्वारा बच्चों के हक पर भरपूर कटौती की जा रही है सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आश्रम के अधीक्षक रात्रि में यदा कदा ही रहते है और सुबह अपने गृहग्राम से आना जाना करते है आश्रम में बच्चो को हर समय पीने लायक पानी भी उपलब्ध नहीं हो पाता बताया गया पानी की अनुपलब्धता होने पर बच्चों को पास की ही झिरिया का पानी पिलाया जाता है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार अधीक्षक की मनमानी के चलते छात्रावास में कई खामियां व्याप्त है सब कुछ जानते हुए भी बच्चों के पालक भी बच्चों के भविष्य को देखते हुए छात्रावास की कमियों के बारे में खुलकर बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। और परहेज करते है कि राज खोलने पर उनके बच्चों को किसी बहाने से छात्रावास से बाहर का रास्ता न दिखा दिया जाए। बच्चे भी प्रबंधन के दबाव से अपने हालातों को बयां नहीं कर पाते।

इनका कहना है
आपके द्वारा जानकारी मिली है जांच की जाएगी ,सही पाए जाने पर कार्यवाही की जाएगी।
तीरथ परस्ते बी ई ओ बजाग

Comments (0)
Add Comment