रेवांचल टाईम्स – मण्डला, जिले में भ्रष्टाचार की गति तेज होने का मुख्य कारण आला-अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचारीयों को जांच के नाम पर संरक्षण दिया जाना है।जहां एक तरफ सरकार भ्रष्टाचार,अवैध कारोबार, अपराध को लेकर दोषियों पर तत्काल कार्यवाही करने और सजा देने की बड़ी-बडी़ बातें करके मासूम जनता को लुभाने और अपना वोट बैंक तैयार करने की रणनीति सजा रही है तो वहीं जिम्मेदारों द्वारा जानबूझकर भ्रष्टाचारीयों को संरक्षण प्रदान किया जा रहा है कभी जांच के नाम पर,कभी साक्ष्य के नाम पर,कभी स्थानांतरण के नाम पर,कभी नोटिस और कभी स्पष्टीकरण के नाम पर लेकिन शासन-प्रशासन द्वारा इस तरह किए जा रहे मुंह देखा व्यवहार से देश को खोखला करने की रणनीति तैयार किया जा रहा है।जिला प्रोटोकॉल विभाग मण्डला में तत्कालीन मामला सामने आया है जिसमें अमिताभ मिश्रा पर फर्जी बिलों की उथल-पुथल कर भुगतान करने का मामला सामने आया है।
प्रोटोकॉल विभाग में रिश्वत खेल वर्षों से चल रहा है
रिश्वत मांगने एवं करोड़ों का गबन का मामला प्रोटोकॉल विभाग में पहले भी खुलासा हुआ है जिसमें सहायक ग्रेड-02 पर पदस्थ मदन देशमुख द्वारा करोड़ों रुपए गबन करने का खुलासा किया जा चुका है मामले के सम्पूर्ण साक्ष्य अपर कलेक्टर श्रीमती मीना मसराम एवं उनकी जांच दल को प्रस्तुत किया जाने के बाद जांच दल एवं अपर कलेक्टर श्रीमती मसराम द्वारा मदन देशमुख द्वारा रिश्वत मांगने एवं शासकीय राशि अपने निजी बैंक खाते में आहरण एवं गबन करने के पुख्ता सबूत की जांच की गई है परन्तु जिम्मेदारों द्वारा जानबूझकर दोषियों को बचाने को लेकर यह जांच रुपी खेल खेला गया।आज एक बार फिर आला-अधिकारियों द्वारा प्रोटोकॉल विभाग में भ्रष्टाचारीयों को संरक्षण देने का मामला सामने आया है जिसमें अमिताभ मिश्रा द्वारा शासकीय राशि का फर्जी बिल-बाऊचर के जरिए आदया टूर एन्ड ट्रेवल्स के खाते में भुगतान करने का खुलासा हुआ है। प्रोटोकॉल विभाग द्वारा बगैर निविदा एवं टेन्डर के अपनी हिस्सेदारी और कमीशनखोरी के चलते फर्जी बिल-बाउचर के जरिए खुलेआम भ्रष्टाचार किया जा रहा है, परन्तु आला-अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचारीयों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं किया जा रहा है। वहीं जांच में जुटे आला-अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचारीयों से मामले को रफा-दफा करने को लेकर मनचाहे मोटी रकम बसूल किया जा रहा है और जांच का आश्वासन दे-देकर कुछ समय बाद मामले को रफा-दफा किया जा सके।
प्रोटोकॉल विभाग में पहले भी रिश्वत एवं गबन मामले के साक्ष्य प्रस्तुत किया जा चुका हैं
जिला प्रोटोकॉल विभाग में प्रोटोकॉल भ्रष्टाचार का आज का पुराना खेल है जिसमें मदन देशमुख सहायक ग्रेड 02 इसके पुराने खिलाड़ी रहे हैं और वही भ्रष्टाचार की कमान प्रभार की आड़ में अमिताभ मिश्रा को सौंप दिया गया है जिसमें विभाग के जिम्मेदारों एवं आला-अधिकारियों को भ्रष्टाचार और गबन के मामले की पुरी कहानी मालूम है,परन्तु भ्रष्टाचारीयों को संरक्षण देने का आखिर कारण क्या है। प्रोटोकॉल विभाग द्वारा रिश्वत मांगने एवं शासकीय राशि आहरण तथा गबन करने के मामले को लेकर पहले भी मदन देशमुख की काॅल रिकाॅर्डिंग,बैंक खाता स्टेटमेंट,फर्जी भुगतान के बिल-बाऊचर,शासकीय डीजल पर्ची के निजोपयोग से संबंधित साक्ष्य,विश्राम गृह के फर्जी भुगतान जैसे दर्जनों साक्ष्य कार्यालय कलेक्टर मण्डला के पत्र क्रमांक/शिका./2023/55 मण्डला दिनांक 22/02/2023 के तहत 28/02/2023 को अपर कलेक्टर को सौंपा जा चुका है जिसे सील-चपरा कर अपर कलेक्टर द्वारा जांच की चादर पहनाकर डबल लाॅक में रखकर जांच की फाइल को टेबल-टू टेबल कभी स्वास्थ्य विभाग के नाम पर,कभी पुलिस विभाग रक्षित केन्द्र के नाम पर,कभी सीएम हेल्पलाइन पर गलत निराकरण दिखाकर,कभी बैठकों और दोरों की आड़ में मामले को घुमाया जा रहा है,नतीजा जिले में भ्रष्टाचार का स्तर दिनों-दिन तेजी से बढ़ता जा रहा है।
जिला प्रोटोकॉल विभाग में इस शर्मशार कृत्य एवं रिश्वत तथा गबन-घोटाले का मामला जिले से लेकर प्रदेश तक सुर्खियों में बना हुआ है।प्रोटोकॉल विभाग में जिले के प्रभारी मंत्री के नाम पर शासकीय राशि आहरण करने का मामला लगभग एक वर्ष बीतने को आया परन्तु जांच अधिकारियों द्वारा साक्ष्य मिलने के बावजूद दोषियों को कोई सजा नहीं दिया गया।वहीं जिम्मेदारों ने मामले में फंसे स्वयं के कलम को बचाने को लेकर एक ही बिल-बाऊचरों को तीन-तीन बार सेंग्शन किया गया है।प्रोटोकॉल विभाग द्वारा वाहन भुगतान के चलते सरकारी खजाने से फर्जी बिल-बाऊचर के जरिए मनचाहा भुगतान करके जिम्मेदारों द्वारा अपनी हिस्सेदारी बटोरने को मुख्य लक्ष्य बनाया गया है।
फाॅलो-पायलेट की पूरी कमान एमटीओ को सौंपी जा चुकी है
फाॅलो-पायलेट की निविदा एवं टेन्डर को दरकिनार कर प्रोटोकॉल विभाग द्वारा भ्रष्टाचार को चरम सीमा पर पहुंचा कर प्रभारी की कुर्सी पर बैठ कर करोड़ों के गबन को अपना लक्ष्य बनाया गया है, जिसमें एमटीओ शाखा के धुरंधर भी शामिल हैं जिसकी पूरी कहानी जिम्मेदारों को मालूम है परन्तु अपनी मिल रही हिस्सेदारी को लेकर भ्रष्टाचारीयों को खुलेआम छूट दी गई है और प्रभारी कुर्सी पर बैठे एवं जिम्मेदारों ने नेताओं की चापलूसी करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है जिसका पूरा संरक्षण एवं लाभ उन्हें उनके भ्रष्टाचारी में मिल रहा है।