मंडला में मुख्यमंत्री से चूक : लाडली दिव्यांग खिलाड़ी बहना की अनदेखी….

मंडला में मुख्यमंत्री से चूक : लाडली दिव्यांग खिलाड़ी बहना की अनदेखी….

रेवांचल टाईम्स – मंडला, प्रदेश के मुखिया का 16 तारीख को मंडला जिले के ग्राम टिकरवारा में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के अंतर्गत संपन्न हुए विवाह में आगमन हुआ।
वही सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार आदिवासी बाहुल्य मंडला जिले की होनहार दिव्यांग खिलाड़ी जमुना उईके के साथ एक बार फिर प्रशासनिक उदासीनता सामने आई है। जहाँ मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव हाल ही में टिकरवारा में लाड़ली बहनों को प्रोत्साहन राशि वितरण करने व कन्या विवाह समारोह में शामिल होने पहुंचे थे। इस मौके पर हजारों की भीड़ मौजूद रही और लोगों को उम्मीद थी कि जिले की इस गौरवशाली बेटी को मंच से सम्मान मिलेगा या उसकी आजीविका के लिए कोई ठोस घोषणा की जाएगी। लेकिन अफसोस, ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।

वही जानकारी के अनुसार जमुना उईके, जो जन्मजात दिव्यांग हैं, ने न केवल मंडला जिले बल्कि पूरे मध्यप्रदेश का नाम राष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया है। गोला फेंक, भाला फेंक और तवा फेंक जैसी खेल विधाओं में उन्होंने राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर कई मेडल जीते हैं। बावजूद इसके, आज तक उन्हें न तो कोई सरकारी नौकरी मिली और न ही किसी बड़े मंच पर उचित सम्मान।

स्थानीय लोगों का कहना है, कि जमुना जैसी बेटियां समाज के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं। वे न सिर्फ खुद संघर्ष कर आगे बढ़ीं, बल्कि कई बच्चियों को खेलों के प्रति प्रेरित कर रही हैं। उनका मार्गदर्शन आज जिले की कई बेटियों के लिए दिशा तय कर रहा है।

प्रश्न यह उठता है कि जब प्रदेश के संवेदनशील मुख्यमंत्री स्वयं जिले में मौजूद थे, तो क्या जिला प्रशासन या स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने इस प्रतिभाशाली खिलाड़ी की उपलब्धियों की जानकारी उन्हें देना जरूरी क्यों नहीं समझा?

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से अपेक्षा थी कि वे जमुना के संघर्ष व योगदान को देखते हुए उन्हें सम्मानित करते, या कम से कम उनकी जीविका के लिए कोई ठोस पहल करते। यह चूक निश्चित रूप से निराशाजनक है।

प्रदेश सरकार को चाहिए कि ऐसे उदाहरणों से सीख लेते हुए स्थानीय स्तर की होनहार प्रतिभाओं की पहचान कर उन्हें उचित सम्मान व अवसर प्रदान करे, ताकि वे और अधिक ऊंचाइयों को छू सकें।

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