रेवांचल टाईम्स – मण्डला जनपद पंचायत मण्डला के अंतर्गत हिरदेनगर ग्राम पंचायत क्षेत्र में सदियों से भरने वाले मचलेश्वर मेला के संचालक को लेकर सह आयुक्त पंचायत राज संचालनालय मप्र द्वारा नए आदेश जारी किया गया है। इस आदेश में अब मचलेश्वर मेले का संचालन एवं रख-रखाव का संपूर्ण दायित्व पूर्व के अनुसार जनपद पंचायत मण्डला को सौंपे जाने का आदेश पत्र क्रमांक 1862 भोपाल दिनांक 10 फरवरी 2024 को कलेक्टर मण्डला को जारी कर दिया गया है। जिसमें उल्लेख है कि मचलेश्वर मेला हिरदेनगर के संचालन पर मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 58 के अध्याधीन रहते हुये राज्य सरकार ने अधिसूचना द्वारा किसी बाजार या मेले को सार्वजनिक बाजार या सार्वजनिक मेला घोषित कर संचालन और इस प्रकार घोषित यथास्थिति सार्वजनिक बाजार या सार्वजनिक मेला जनपद पंचायत में निहित होगा। मध्यप्रदेश पंचायत ग्राम पंचायत क्षेत्र के भीतर बाजारों तथा मेलों का विनियमन नियम 1994 के नियम्र 16 में भी अधिनियम की धारा 58 के प्रावधानों को यथा स्थापित किया गया है। मध्यप्रदेश पंचायत उपबंध अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार नियम 2022 पेसा नियम के अध्याय-दस नियम 28/2 में भी समान प्रावधान है। तत्कालीन कलेक्टर जिला मण्डला द्वारा अपने पत्र 23 जनवरी 2023 में उल्लेख किया गया है कि विषयांतर्गत मचलेश्वर मेला हिरदेनगर अधिसूचित मेला है। मचलेश्वर मेला हिरदेनगर के संचालन एवं रखरखाव का संपूर्ण दायित्व पूर्व अनुसार जनपद पंचायत को सौंपा जाने का आदेश किया गया है। इस संबंध में जनपद पंचायत मण्डला के उपाध्यक्ष संदीप सिंगौर ने कहा कि बीते माह पंचायत एवं ग्रामीण विकास राज्यमंत्री प्रहलाद पटैल के नगर आगमन पर जनपद सदस्यों के साथ मंत्री से मुलाकात की गई थी और उन्हें सम्पूर्ण स्थिति से अवगत कराते हुए मांग की गई थी कि इस मेले का संचालन जनपद स्तर पर पूर्व की भांति होना चाहिए। इस गंभीर मामले को मंत्री ने संज्ञान में लिया और सम्पूर्ण जानकारी साक्ष्यों के आधार पर पुन: मेला जनपद के अधीन किया गया है। पिछले साल से ही इस मेले के आयोजन को लेकर जनपद उपाध्यक्ष पत्राचार आदि कर रहे थे वहीं मिली जानकारी के अनुसार 2002 में भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल मिश्रा ने इस मेला का नाम मचलेश्वर मेला घोषित कराया था इसके पहले इस मेले का नाम हिरदेनगर मेला हुआ करता था। मचलेश्वर नाम भगवान शिव और पार्वती से जुड़ा हुआ है। वहीं बता दें कि मिश्रा परिवार की भूमि पर मेला का आयोजन किया जाता है जिसका कोई शुल्क परिजन नही लेते हैं वहीं 100 वर्षो से अधिक समय से भरने वाला यह मेला प्रदेश में प्रख्यात है जहां पर दूर-दूर से व्यापारी आया करते हैं। इस मेले को पशु मेले के नाम से भी जाना जाता है। मेला शिवरात्रि से आरंभ होता है जो कि होलिका दहन की रात को समाप्त होता है। मान्यता है कि इस मेले से कभी कोई व्यापारी निराश नही लौंटा है।