

रेवांचल टाईम्स – शासन के नियमों की हो रही है लगातार अनदेखी बर्षों से एक ही अंगद के पैर की तरह डटे हुए कर्मचारी स्थानांतरण के बाद भी नहीं छोड़ी जा रही है कुर्सी नहीं हो रहा है आदेश का पालन
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार सिवनी में जिम्मदारियों की अनदेखी के चलते नियमों को ताक में रख दिया जा रहा हैं जहाँ कार्यालय कलेक्टर भू-अभिलेख जिला सिवनी से जारी आदेश क्रमांक / 721/भू-अभि/स्था-1/2025 सिवनी दिनांक-10/06/2025 के तहत जिले की तहसीलों में पदस्थ पटवारीयों का स्थानांतरण किया गया। जहां म. प्र. शासन सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय वल्लभ भवन भोपाल का परिपत्र क्रमांक एफ 6-1 /2024/एक/9 भोपाल, दिनांक- 29/04/2025 में दिए गए स्थानांतरण नीति निर्देश के अनुसरण में माननीय प्रभारी मंत्री महोदय जिला सिवनी द्वारा स्थानांतरण प्रस्ताव अनुमोदन उपरांत, दर्शित राजस्व विभाग अंतर्गत कर्मचारियों का दर्शाए गए वर्तमान पदस्थापना स्थान से नवीन पदस्थापना स्थान पर तत्काल प्रभाव से स्थानांतरित किए जाने का लेख कर किया गया है । जहां जिले की तहसीलों से 37 पटवारियों को एक तहसील से दूसरी तहसील स्थानांतरण किया गया है।जिसमें 28 पटवारीयो का प्रशासनिक और नौ पटवारी का स्वयं के व्यय पर स्थानांतरित का आदेश पर लेख है। जबकि प्राप्त जानकारी अनुसार तहसीलो में ऐसे कई पटवारी पदस्थ हैं जो एक दो नहीं बल्कि दसो वर्षों से एक ही तहसील पर पदस्थ हैं। परन्तु कई वर्षों से एक ही तहसील और गृह तहसीलो पर जमे पटवारीयो को छोड़कर केवल चिन्हांकित ऐसे पटवारीयो को टारगेट बनाया गया है जो कुछ अधिकारीयो की प्रभाव सेंटिंग सिस्टम का हिस्सा नहीं बन पाये। उन्ही में से कुछ पटवारियों को प्रशासनिक स्तर पर स्थानांतरण करने का मोहरा बना दिया गया है। वहीं स्वयं के व्यय पर स्थानांतरित की कहानी तो सभी समझ गये होंगे।
जिले स्तर पर जारी स्थानांतरण आदेश निष्पक्षता से जारी नहीं किया गया है। जो पटवारी एक ही तहसील में सालों से पदस्थ हैं। उनके स्थानांतरण ना करके स्थानांतरण नीति निर्देश के अनुसरण की आड़लेकर सूची तैयार करने में लीपापोती की गई है। जिला प्रशासन को गंभीरता से विचार करना चाहिए।और समय रहते ऐसे कर्मचारीयो पर भी स्थानांतरण नीति के तहत कार्रवाई करने की जरूरत है।
वहीं राजधानी के भोपाल जिले की एक तहसील में पिछले तीन वर्षों से जमे हुए 33 पटवारियों को हटा दिया गया हैं, साथ ही 4 राजस्व निरीक्षकों (RI) का भी तबादला किया गया हैं। इन अधिकारियों को अब दूसरी तहसीलों या हल्कों में स्थानांतरित किया गया हैं। इस कार्रवाई को स्थानांतरण नीति के पालन और राजस्व व्यवस्था में पारदर्शिता के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि शेष नामों पर कार्रवाई कब और कैसे होगी।
सांसद शर्मा ने उठाया था मुद्दा
भोपाल के सांसद आलोक शर्मा ने करीब 8 महीने पहले प्रभारी मंत्री चैतन्य काश्यप के समक्ष इस मुद्दे को उठाया था। उनका कहना था कि लंबे समय से एक ही जगह पर पदस्थ पटवारी भ्रष्टाचार और पक्षपात की जड़ बन सकते हैं, इसलिए इन्हें हटाया जाना जरूरी है।
वहीं सिवनी जिले की सभी तहसीलों में पिछले तीन वर्षों से अधिक सालों से जमे पटवारीयो में से अब तक की सूची में से आधे से भी कम पटवारीयो पर कार्रवाई हुई हैं। प्रशासन की इस आंशिक कार्रवाई को लेकर सवाल भी उठाए जा रहे हैं। सिवनी की सभी तहसीलों में वर्षों से जमे पटवारियों और राजस्व निरीक्षकों को लेकर उठे सवालों के बाद भी प्रशासनिक कार्रवाई अधूरी नजर आ रही है। जो शायद उच्च न्यायालय तक पहुंचने की कोशिश में हैं।