सिलपुरा में पदस्थ प्राचार्य की शिकायत को दबाया सहायक आयुक्त ने
गंभीर आरोप के बाद भी नही करा रहे जांच
रेवांचल टाईम्स – मण्डला आदिवासी बाहुल्य जिले में लंबे समय से हाई स्कूल सिलपुरा में पदस्थ प्राचार्य हटाने श्रवण कुमार जाटव को हटाने की मांग की जा रही है। जिसकी शिकायत प्राथमिक माध्यमिक और हाईस्कूल के शिक्षकों ने कलेक्टर से और सहायक आयुक्त से की है। लेकिन इस मामले को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। प्राचार्य पर कई गंभीर आरोप लगे हैं लेकिन इस पूरे मामले की सहायक आयुक्त न तो जॉच कराई और न ही बयान आदि लिए कुल मिलाकर अधिकारी मामले को जैसे तैसे दबाना चाहते हैं। शिकायत में उल्लेख है कि महिला शिक्षकों से अभद्र व्यवहार प्राचार्य द्वारा महिला शिक्षकों के प्रति ऊंची आवाज में अन्य शिक्षकों के समक्ष उनकी टिप्पणी की जाती है उनसे किसी भी बात पर जोर से चिल्लाकर गुलामों की तरह व्यव्हार करने की कोशिश की जाती है। समय पर आने और समय अंकित करने वालों के 1 या 2 मिनट देरी को हरे पेन से चिन्हित किया जाता है जबकि देर से जाने वालों से समय अंकित नहीं कराते हुए उन्हें सही साबित करने की कोशिश की जाती है। पक्षपातपूर्ण व्यवहार प्राचार्य द्वारा प्रतिदिन लगन से कार्य करने वाले शिक्षक शिक्षिकाओं से कोई न कोई विवाद करने का प्रयास किया जाता है जबकि प्राचार्य दो शिक्षक शीश कुमार कुशराम और शिक्षिका श्रीमती नुजहत अंजुम को देर से आने की छूट दी जाती है उनके अंकित होने पर उसके ऊपर हस्ताक्षर कराते हुए छुट्टियों की संख्या को पटाया गया है जिसकी पुष्टि शिक्षक उपस्थिति पंजी से की जा सकती है और विद्यार्थियों से या गाँव बालों से भी पूछा जा सकता है कि कौन प्रतिदिन देर से आते हैं या कभी भी प्रार्थना में सम्मिलित नहीं होते या कक्षा में मोबाइल चलाती रहती हैं। यहाँ तक कि उक्त शिक्षिका स्थानीय और बोर्ड परीक्षा डयूटी में भी 40 मिनट देर से पहुँचती है किन्तु प्राचार्य द्वारा डयूटी बदल दी जाती है इसकी परीक्षा पंजी से पुष्टि की जा सकती है यहीं दूसरी और अन्य महिला शिक्षिकाओं को छुट्टियों की संख्या को लेकर कारण बताओ सूचना देने की धमकी दी जाती और प्राचार्य द्वारा कहा जाता है कि ये मेरा विशेष अधिकार है में जिसे चाहे सुविधा हूँ आप लोगों को बोलने का कोई अधिकार नहीं है। साथ ही शिक्षिका विशेष के प्रभार की दूसरी शिक्षिकाओं को देते हैं और कह देते हैं उन्हें इस कार्य में दिलचस्पी नहीं है आप लोग कर लें इसकी पुष्टि भी सूचना पंजी और प्रभार पंजी से की जा सकती है। माह दिसम्बर वर्ष 2021 में तत्कालीन उच्च श्रेणी शिक्षक प्रकाश दुबे द्वारा पंचायत आचार संहिता के दौरान सक्षम अधिकारी द्वारा स्वीकृत कराते हुए एक दिवस का अवकाश लेने पर उन बुजुर्ग के लिए कामचोर, हरामखोर जैसे शब्दों का प्रयोग प्राचार्य किया गया उसी समय तत्कालीन उच्च श्रेणी शिक्षक सुरेश चौबे द्वारा पंचायत आचार संहिता के दौरान शाम को 1 घंटे का अवकाश मांगने पर मना कर दिया गया जबकि उसी दौरान शिक्षिका श्रीमती नुजहत अंजुम को लगातार 3 दिवस प्रतिदिन 2 कालखंड के बाद जाने की अनुमति दी गयी साथ ही 15 दिसम्बर से 30 दिसम्बर के मध्य पंचायत आचार संहिता के दौरान सक्षम अधिकारी द्वारा स्वीकृत कराये बिना ही लगातार 2 दिवस का अवकाश दिया गया और बाद में हस्ताक्षर करा लिए गए जिसकी पुष्टि विभिन्न अभिलेख से की जा सकती है। उक्त पक्षपात पूर्ण व्यवहार से परेशान होकर ही दोनों शिक्षक स्थानांतरण कराते हुए चले गए। इसके अतिरिक्त विजेंद्र मरावी प्राथमिक शिक्षक की धर्म माता के निधन पर आचार संहिता का हवाला देकर 1 दिन का अवकाश देने हेतु उसे सहायक आयुक्त कार्यालय भेजा गया जहाँ स्थानीय स्तर से स्वीकृति कराएं मात्र 1 दिन का है कहा गया फिर उक्त शिक्षक जिला निर्वाचन कार्यालय भी गया जहाँ से प्राचार्य को फोन कर 1 दिन का अवकाश स्थानीय स्तर से स्वीकृत करने कहा गया उन्होंने हामी भी भर दी किन्तु आज दिनांक तक भी वह कालम रिक्त रखा गया है जो समझ से परे है। अतिथि शिक्षक नियुक्ति में अनियमितता प्राचार्य द्वारा प्राथमिक विद्यालय में 1 जुलाई 2023 को स्तानांतरण प्रमाण पत्र जारी करने के बाद 60 की दर्ज संख्या होने पर भी 14 जुलाई 2023 को बैठक में चिल्लाकर दबाव बनाकर 61 दर्ज संख्या लिखा कर विगत वर्ष से कार्यरत श्रीमती सीमा चौधरी निवासी पुरवा को अनावश्यक रूप से नियुक्ति देकर शासकीय राशि का दुरपयोग किया जा रहा है जबकि दर्ज संख्या के अनुसार दो नियमित शिक्षक कार्यरत हैं। माध्यमिक विभाग में भी गणित विषय के रिक्त पद के विरुद्ध आमंत्रित आवेदन से बने पेनल में अनुभवी बीएड धारक अभ्यर्थियों के होने के बावजूद अपने अभ्यर्थी जो डीएड धारक हैं को स्कोर के आधार पर नियुक्ति दी गयी उक्त शिक्षिका श्रीमती आयशा खान द्वारा बच्चों को ठीक से नहीं पढ़ाया जा रहा है और बहुत ज्यादा अवकाश भी लिया जाता है इसकी पुष्टि माध्यमिक शाला के विद्यार्थियों से और अतिथि शिक्षक पंजी से की जा सकती है। नामांकन एवं बोर्ड शुल्क में अनियमितता प्राचार्य द्वारा विगत 5 वर्षों से नामांकन हेतु अतिरिक्त राशि भी जाती है जो कक्षा शिक्षकों ने बिना पावती दिए की जाती है बाद में शेष राशि के सम्बन्ध में कोई पता नहीं रहता। इसी प्रकार 10 वीं बोर्ड में शुल्क छूट हेतु पात्र गरीब आदिवासी विद्यार्थियों में 100 की राशि पोर्टल व्यय के नाम पर कक्षा शिक्षकों से बिना पावती दिए भी जानी है जिसमे में अधिकतम 35 या 50 रूपये ही व्यय होता है शेष राशि का कोई हिसाब नहीं है।