कुपोषण को मात देती सामुदायिक पोषण वाटिका भूमिहीन महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास
मंडला 6 जुलाई 2024
मण्डला जिले के विकासखंड मोहगांव के अंतर्गत ग्राम पंचायत कौवाडोंगरी के सकरी में स्वयं सहायता समूह सफेद पलाश की दीदियों ने भूमिहीन महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और बच्चों में व्याप्त कुपोषण को मात देने के लिए सामुदायिक पोषण वाटिकाएं तैयार की गई है, जिससे न केवल महिलाओं की आर्थिक स्तर में सुधार आएगा बल्कि बच्चें भी कुपोषण से मुक्त हो सकेंगे। कुपोषित बच्चों के स्वजनों को वाटिका से पौष्टिक हरी सब्जी का लाभ मिल सके।
समूह की दीदियों ने बताया कि वर्ष 2022 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत सामुदायिक पोषण वाटिका उप योजना के तहत ग्राम सकरी में सहायता समूह की 15 महिलाओं द्वारा 5 एकड़ सामुदायिक जमीन पर सामुदायिक पोषण वाटिका के निर्माण स्वीकृत किया गया। जिसका उद्देश्य ग्राम की सामुदायिक बंजर भूमि को पहचान कर उसके भूमि प्रबंधक के सिद्धांत से उपयोग में लाने का प्रयास करना है। समूह की दीदियों ने बताया कि इस बंजर भूमि पर मनरेगा के सहयोग से फलदार पौधारोपण स्वीकृत कराया गया और औसतन 200 आम, 180 नींबू, 150 अमरूद, 100 बांस और 80 नीम के पौधे लगाए गए। पौधों के बचाव के लिए सीपीटी की खुदाई भी की गई। मनरेगा के सहयोग से इस भूमि पर जल संग्रहण के अंतर्गत 10Í10Í7 का जल कुंड का भी निर्माण कराया गया जिससे सिंचाई में सहायता हो सकी।
आधुनिक खेती से महिलाओं की आय में हुई वृद्धि
सामुदायिक पोषण वाटिका का सफेद पलाश महिला संगठन के 15 सदस्यी स्व सहायता समूह को सौंपा जाएगा। समूह की दीदियों ने बताया कि मनरेगा के सहयोग से आधुनिक खेती की जा रही है। तरबूज, हल्दी, अदरक आदि की मल्टीलेयर आधुनिक खेती की जा रही है। 15 सदस्यी स्व सहायता समूह की दीदियों ने खेती में उपयोग करने के स्वयं जैविक खाद बनाते हैं जिसमें केंचुआ खाद, यूनिट और गोबर खाद का भी प्रयोग फसल में किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि आधुनिक खेती से औसतन 30 हजार से 40 हजार की कमाई हो जाती है साथ ही चना, मटर, मेथी भाजी, टमाटर, भाटा आदि खेती से उनकी आय में वृद्धि और पोषण में बढ़ोतरी हुई है। सामुदायिक पोषण वाटिका से ग्रामवासियों को रसायन से मुख्य जैविक तरीके से तैयार पौष्टिक हरी सब्जी अन्य फसल का लाभ मिल पाया है जिससे उनका स्वास्थ भी बेहतर हो पाया है।