जिले में शिक्षा का स्तर बद से बदतर हो रहा है, न शिक्षक का पता और न स्कूल में बैठने की व्यव्स्था कैसे सवरेगा नवनिहालो का भविष्य,

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अतिथि शिक्षक के भरोसे औऱ जर्जर भवन में संचालित हो रहा सरकारी स्कूल…

रेवांचल टाइम्स मंडला- आदिवासी बाहुल्य जिला मंडला में संचलित शासकीय स्कूल की समस्या दिन पर दिन बढ़ती नजर आ रही है, जहाँ पर नव निहालो के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है, न अच्छी शिक्षा है और न ही बैठने तक कि व्यवस्था नही है, और शासन से संचालित मध्यान्ह भोजन में भी समूहों के द्वारा लापरवाही बरती जा रही है बच्चों को कभी भी मीनू के हिसाब से न नाश्ता मिल रहा है और न ही भोजन मिल पा रहा है और जिम्मेदार तो केवल शाला आकर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं और इन्हें बच्चों के भविष्य कोई लेना देना नही है बस अधिकारी कर्मचारी केवल वेतन के लिए ही है, और बाकि बच्चों के जीवन की और न उनके अच्छे शिक्षा की जिम्मेदारी केवल भगवान भरोसे चल रही है।
ऐसा ही एक मामला विकास खंड घुघरी की ग्राम पंचायत डूंडादेई के प्राथमिक शाला झूंझर का सामने आया है जहां पर जर्जर भवन में टपकती छत के नीचे स्कूल का संचालन किया जा रहा है, बच्चों के लिए बैठने तक व्यवस्था नही है, साथ ही भवन में पानी भरा हुआ है और उसी बीच में स्कूल में अध्ययन रत छात्र छात्राओं के द्वारा मध्यान्ह भोजन ख़ा रहे है बड़ी ही शर्मन्दगी की बात है जहाँ पर बड़े बड़े स्लोगन लगे हुए है कि बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ स्कूल चले अभियान की पोल खोल रहे है मंडला जिले में संचालित शासकीय स्कूल जहाँ पर जर्जर जर्जर भवन में शालाये संचालित हो रही हैं जबकि शालाओं के नव निर्माण और मरम्मतीकरण के लिए हर वर्ष लाखो करोड़ो रूपये खर्च किये जा रहे है भवनों के मरम्मत हो या न पर अधिकारी कर्मचारी और ठेकेदारों के जरूर मरम्मत हो रही है।
वही जिले के मुखिया कलेक्टर के सख्त निर्देश हैं कि क्षतिग्रस्त भवन में बच्चों को न बैठाया जाये लेकिन इसके बाद भी जिम्मेदार विकास खंड शिक्षा अधिकारी अपने मुख्यायल और अपने घर मंडला के अपडाउन के चलते ग्रामीण अंचलों में संचलित स्कूलों की दुर्दशा जे वाकिफ़ भी नही है वह केवल अपने आफिस के अलावा कहीं भी देखने का समय नहीं निकाल पा रहे हैं वहीं जितने भी जनशिक्षक हैं उनको तो ये भी नहीं पता होता कि स्कूल में कौन से शिक्षक पदस्थ हैं और आज वो स्कूल में हैं या नहीं लेकिन वेतन और पत्रक और उपस्थिति पंजी में बकायदा हस्ताक्षर मिलेंगे और संचालित स्कूलों पर नदारद ही मिलेंगे।
जिससे साफ नजर आता है।
वही सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार तहसील मुख्यालय घुघरी के सभी स्कूलों में शिक्षक केवल समय व्यतीत कर रहे हैं, बाकि इन्हें नौनिहाल बच्चों के भविष्य से उनको कोई लेन देना नहीं हैं।
वहीं नाम न छापने की शर्त में कुछ ग्राम वासियों ने बताया कि स्कूल भवन की हालत बहुत जर्जर है यहां पर जमीन पर पानी भर जाता है और छत से सीमेंट रेत की परत भी गिर रही है। लेकिन किसी भी शिक्षक या अधिकारी गण का ध्यान नहीं जा रहा है औऱ शिकायत के बाद भी न कोई देखने आया और न ही इस शाला में अध्ययनरत छात्र छात्राओं पर शिक्षक भी मनमाफ़िक तरीके से आवागमन कर रहें हैं, निर्धारित समय के बाद आते है और समय से पहले ही अपने घर चले जाते हैं।
वही स्कूलों में न मैन्यू के हिसाब से खाना दिया जा रहा है और इस शाला में पढ़ने वाले न किसी भी प्रकार से सुरक्षित नज़र आ रहें हैं, जर्जर जर्जर भवन की छत की परत कब गिर जाये ये कहना मुश्किल है। शायद स्थानीय प्रशासन या जिला प्रशासन कोई बड़ी घटना दुर्घटना का इंतज़ार कर रहा हैं वही घुघरी में शिक्षक के साथ साथ जनशिक्षक भी नहीं आते और न समय पर स्कूल खुल रहा है या बन्द हो रहा है और शाला में कितने शिक्षक पदस्थ है और कितने आ रहे है कितने नदारद है ये देखने की फुर्सत भी नही है!

इनका कहना है कि…
आपके द्वारा मुझे बताया गया है मैं कल ही दिखवा लेता हूं.और भवन जर्जर है तो बच्चों को सुरक्षित भवन में शिफ्ट कराता हूं…
एल.एस.उईके
खण्ड शिक्षा अधिकारी घुघरी.

मुझे आपके द्वारा जानकारी मिली है मैं बी.ई.ओ और संबंधित जनशिक्षक से जानकारी लेकर आवश्यक कार्रवाई करूंगा।
लाल शाह जगेत
सहायक आयुक्त मंडला.

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