इंडिया शाइनिंग से कितना अलग अबकी बार 400 पार का नारा…

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रेवांचल टाईम्स – भारत में आमचुनाव 2024 की घोषणा के बाद राजनीतिक दलों में टिकिट चयन की प्रक्रिया चल रही है। गठबंधनों में सीटों के बटवारे पर मंथन जारी है। इन सबके बीच नेताओं के इस दल से उस दल में जाने की खबरों से वातावरण में गर्मी व्याप्त है। लोकसभा चुनाव की घोषणा मार्च महीने की 16 तारीख को हुई। चुनाव की घोषणा होते ही राजनीतिक दलों एवं नेताओं की सक्रियता भी बढ़ गई। चुनावी घोषणा के बाद होली के रंगों में सियासी रंगो की वर्षा होने लगी। रमजान माह पर भी इफ्तारी की सियासत का असर दिखाई देने लगा। मध्यप्रदेश के जनजातीय अंचल में सांस्कृतिक पर्व भगोरिया होलिका दहन के पूर्व एक सप्ताह तक जारी रहा भगोरिया हाट बाजारों में भी राजनीति का प्रभाव देखा गया। देश के उत्सव, तीज, त्यौहारों पर चुनावी रंग चढ़ रहा है।
लोकतंत्र का सबसे बड़ा उत्सव हर पांच साल में आमचुनाव के रूप में आता है। सभी पर्वो, त्यौहारों, उत्सवों पर लोकतंत्र के इस महापर्व का प्रभाव पड़ता है। इस लोकतांत्रिक चुनावी उत्सव में नारों एवं श्लोगनो का अपना महत्व और असर रहता है। भारत में वर्ष 1951–52 के प्रथम लोकसभा चुनाव से वर्ष 2019 के सत्रहवें लोकसभा चुनाव तक हरेक निर्वाचन में सियासी दलों या नेताओं द्वारा दिए गए नारों का असर हुआ है। आममतदाताओं के लिए यह चुनावी नारे जैसे सूत्र वाक्य बन गए। यह नारे आमजन की जुबान से होते हुए जहन में उतरे इन नारों ने आमजन के मानस को तैयार किया। नारों का अपना असर है, रंग है, इन नारों ने अनेकों बार देश की सरकार को बनाया, बनी हुई सरकारों को उखाड़ फैंका। नारे देश की जनता को उद्वेलित ही नहीं करतें इन नारों में सरकार बनाने बिगाड़ने की ताकत होती है। भारत में 18 वीं लोकसभा के गठन की तैयारियों चल रही है। सत्ताधारी भाजपा संगठन के द्वारा अबकी बार 400 पार का नारा वातावरण में गूंज रहा है। इस नारे ने विपक्ष की नींद भी उड़ा दी है, और कुछ हद तक उसे संगठित करने की भूमिका भी निभाई है। यह नारा 2014 के लोकसभा चुनाव में अबकी बार मोदी सरकार, हर हर मोदी घर घर मोदी और अच्छे दिन आने वाले है। जैसे सफलतम और चुनाव जिताऊ नारों की जोड़ का नारा बताया जा रहा है, तो कुछ इसे इंडिया शाइनिंग की तरह देख रहे है। जो बदलते विकसित भारत की तस्वीर बतलाता प्रतीत होता है, किंतु जनता की अदालत में इस नारे को सफलता नहीं मिल पाई थी। इस लिहाज से यह विचारणीय है, की इंडिया शाइनिंग से कितना अलग है, अबकी बार 400 पार का यह लोकलुभावन नारा। क्या जनता इस नारे से प्रभावित होगी या महंगाई, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी बुनियादी समस्याएं अबकी बार 400 पार के नारे पर भारी पढ़ जाएंगी।
भारत के भूतकालिक राजनैतिक परिदृश्य में नारों के असर पर नजर दौड़ाई तो पाया की वर्ष 1971 में कांग्रेस का गरीबी हटाओ अभियान एक नारे के रूप में देश की जनता को गहरे प्रभावित कर गया, गरीबी हटाओ नारे का व्यापक असर हुआ। कांग्रेस इस चुनाव में सफल रही। वक्त गुजरा 12 जून 1975 में इलाहबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी के चुनाव को गलत तौर तरीके अपनाने का दोषी माना। उनका चुनाव रद्द करते हुए 6 वर्ष के लिए अयोग्य ठहरा दिया। आपात काल के बाद अनेकों विपक्षी दल जनता मोर्चा के बैनर तले एक हुए, नारा दिया ’इंदिरा हटाओ, देश बचाओ’ देश की जनता में इस नारे की अनुगुंज सुनाई देने लगी, ’इंदिरा हटाओ, देश बचाओ’ के नारे ने जनता को गहरा संदेश दिया। विपक्षी एकता की जीत हुई।
भारत देश में हर एक दौर में राजनैतिक नारों का अपना असर रहा है। नारों से देश की जनता आंदोलित भी हुई और अंदर तक प्रभावित भी। वर्ष 1965 में पाकिस्तान से युद्ध में उलझे देश में अनाज का संकट पैदा हो गया था। देश अनाज की कमी से जूझ रहा था। लालबहादुर शास्त्री ने नारा दिया ’जय जवान, जय किसान’ इस नारे ने संकट के समय देश के आत्मसम्मान को बढ़ाया नागरिकों को आंदोलित किया। जय जवान जय किसान के नारे ने कांग्रेस की विजय को सुनिश्चित कर दिया। वर्ष 2014 में मनमोहनसिंह की सरकार के विरुद्ध भाजपा का मुखर अंदाज और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा देश के आकर्षण का केंद्र बन गया। भाजपा ने नारा दिया अबकी बार, मोदी सरकार, इन नारों के साथ ’हर–हर मोदी, घर–घर मोदी’ का नारा भाजपा कार्यकर्ताओं का सूत्र वाक्य बन गया। इस नारे ने देश को नरेंद्र दामोदरदास मोदी के रूप ने नया नेतृत्व दिया। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी के नेतृत्व में ही भाजपा ने चुनाव लडा इस बार भाजपा के नारे में आंशिक परिवर्तन हुआ वह था, ’अबकी बार,फिर मोदी सरकार’। भाजपा को इस नारे से भरपूर सफलता मिली। पूर्ण बहुमत से भाजपा के नेतृत्व में देश में सरकार गठित हुई। वर्ष 2024 के आमचुनाव में भाजपा का नारा ’अबकी बार, 400 पार’ का शोर सुनाई दे रहा है। यह नारा कितना सफल होगा इसका पता मतगणना की तारीख 4 जून 2024 को चल पाएगा। किंतु इससे पूर्व इस नारे ने कांग्रेस सहित इंडिया गठबंधन को बैचेन कर रखा है। अबकी बार 400 पार के नारे ने भले ही इंडिया गठबंधन को बैचेन कर रखा हो, बावजूद इसके ’अबकी बार, 400 पार’ का भाजपा का अतिमहत्वाकांक्षी नारा प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेई की सरकार द्वारा साल 2004 के लोकसभा चुनाव में ’इंडिया शाइनिंग’ के विज्ञापन जिसने नारे का रूप धारण कर लिया था। जिसके प्रचार के लिए तत्कालीन सरकार ने करोड़ों रुपया खर्च किया। देश की जनता को खुशनुमा एहसास कराने वाला इंडिया शाइनिंग का नारा चुनावी सफलता दिलाने में विफल रहा था। अब जबकि 2024 के चुनाव में अबकी बार 400 पार का नारा भाजपा के राजनीतिक मंचो से बुलंद हो रहा है, कितना सफल हो पाएगा? यह वक्त के गर्त में छुपा है। इसके पूर्ण रूपेण सफल होने में संशय भी व्यक्त किया जा रहा है। जिसका कारण इंडिया गठबंधन का दक्षिण सहित कुछ राज्यों में मजबूत होना है। महाराष्ट्र, बिहार, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, पश्चिम बंगाल में एनडीए को 2019 जैसी सफलता मिलने के आसार कम नजर आते है। इन सबके बावजूद 2014 के चुनाव के बाद देश में मोदी मैजिक चल रहा है। सफलता दर सफलता हासिल करने वाली भाजपा ने अपनी सांगठनिक क्षमता से जनता तक गहरी पकड़ बनाई है। देश में बरसों से अटके विषयों का निराकरण किया है। अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण मोदी सरकार की महत्वपूर्ण सफलता है। जिसने बहुसंख्यक समाज की भाजपा से नजदीकियों को बढ़ाया है। काश्मीर में धारा 370 हटाकर मोदी सरकार ने देश की जनता के सामने निर्णय लेने वाली, मजबूत इच्छा शक्ति की सरकार होने का दावा पुख्ता किया। मोदी सरकार की प्रधानमंत्री आवास जैसी महत्वाकांक्षी योजना ने करोड़ों नागरिकों के घरों का सपना पूरा किया है। गरीबों को मुफ्त अनाज देने की सरकारी योजना भी एक बहुत बड़े वर्ग को प्रभावित कर रही है। इंडिया शाइनिंग की तरह अबकी बार 400 पार का नारा भी बैनरों, पोस्टरों और विज्ञापनों के माध्यम से जन–जन तक पहुंचाया जा रहा है। इसके विपरित देश में बढ़ रही कमरतोड़ मंहगाई ने आम आदमी का जीना मुहाल कर रखा है। रोजगार के अभाव में देश के युवा मतदाताओं में सरकार के प्रति आक्रोश दिखाई दे रहा है। शिक्षा, स्वास्थ्य, विद्युत जैसी बुनियादी सुविधाओं पर मंहगाई का साफ असर देखा जा रहा है। इन समस्याओं से ग्रसित देश का बहुत बड़ा गरीब, किसान, मजदूर और मध्यम वर्ग मोदी सरकार के अबकी बार 400 पार के नारे पर किस प्रकार विश्वास व्यक्त करता है। इलेक्ट्रोल बांड ने भी सरकार की ईमानदारी और राजनैतिक स्वच्छता पर प्रश्नचिन्ह लगाया है। क्या अबकी बार 400 पार का नारा सफलता की इबारत लिखेगा या इंडिया शाइनिंग जैसा पिटेगा यह बात आम मतदाताओं के जहन में चल रही है। नारे की सफलता या असफलता 4 जून को आए परिणामों के दौरान सिद्ध हो सकेगी। फिलहाल ’अबकी बार मोदी सरकार’, ’हर–हर मोदी घर–घर मोदी’ या ’अबकी बार फिर मोदी सरकार’ की अपार सफलता के बाद भाजपा को यह विश्वास हो चला है की ’अबकी बार, 400 पार’ भी सफल नारे के रूप में देश के राजनीतिक पटल पर अंकित हो सकेगा।
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नरेंद्र तिवारी पत्रकार

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