जिले के खंडहर विद्यालयों में पढ़ने मजबूर छात्र, विधायक और पूर्वमंत्री के ग्रह क्षेत्र में भी बदहाली के शिकार स्कूल भवन…

65

 

दैनिक रेवांचल टाइम्स – मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य डिंडौरी जिले में 620 सरकारी स्कूल भवनों की स्थिति जर्जर है जिसमें प्राथमिक शाला भवनों की संख्या 508 है तो वहीं 112 मिडिल स्कूल भवनों की स्थिति जर्जर है। इतना ही नहीं जिले में 137 ऐसे स्कूल भवन भी हैं जो पूरी तरह से खंडहर में तब्दील हो चुके हैं जिसके लिए राज्य शिक्षा केंद्र भोपाल से नवीन भवन की मांग लंबे समय से की जा रही है। ये आंकड़े जिला शिक्षा केंद्र डिंडौरी से प्राप्त किये गए हैं जो आदिवासी बाहुल्य डिंडौरी जिले में शिक्षा व्यवस्था के दावों की पोल खोलने के लिए काफी है। शहपुरा विधानसभा से बीजेपी विधायक व पूर्व कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे के गृहग्राम रूसा के नर्मदा टोला में प्राथमिक शाला का भवन खंडहर में तब्दील हो चुका है लिहाजा स्कूल का संचालन पूर्व सरपंच के घर में किया जा रहा है।
करंजिया विकासखंड का रूसा गांव न सिर्फ शहपुरा विधानसभा से बीजेपी विधायक ओमप्रकाश धुर्वे का गृहग्राम है बल्कि डिंडौरी विधानसभा से लगातार चार बार जीत दर्ज़ करने वाले कांग्रेस विधायक ओमकार मरकाम का गृहक्षेत्र भी है। रूसा से करीब 6 किलोमीटर दूर ही कांग्रेस विधायक ओमकार मरकाम का गृहग्राम बरनई है और इन दोनों माननीय के गृहक्षेत्र में ही गरीब आदिवासी बच्चे बुनियादी शिक्षा के लिए मोहताज हैं। नर्मदा टोला में तीन प्राथमिक शाला भवन हैं और तीनों भवन खंडहर में तब्दील हो चुके हैं जो किसी भी वक्त धराशाई हो सकते हैं। खतरे को देखते हुए गांव के लोगों ने खंडहर हो चुके स्कूल भवनों में स्कूल का संचालन नहीं करने का फैसला लिया और गांव के नन्हे मुन्हे बच्चों का भविष्य ख़राब न हो लिहाजा गांव की पूर्व सरपंच वर्षा ने स्कूल के संचालन के लिए अपने घर का एक कमरा दे दिया जिसमें करीब एक साल से प्राथमिक शाला का संचालन किया जा रहा है। प्राथमिक शाला नर्मदा टोला की दर्ज़ संख्या 17 है और एक कमरे में ही पहली से लेकर पांचवी कक्षा का संचालन किया जा रहा है। स्कूल भवन नहीं है तो ऐसे में शौचालय व मैदान समेत अन्य सुविधाओं की बात करना बेमानी होगी। स्कूल में पदस्थ शिक्षिका निर्मला विश्वकर्मा ने बताया की पिछले सत्र में जब स्कूल भवन की स्थिति बहुत ज्यादा ख़राब हो गई थी तब इस स्कूल के बच्चों को गांव से करीब तीन किलोमीटर दूर प्राथमिक शाला रहंगी में शिफ्ट करने के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारीयों ने निर्देश दिए थे लेकिन इसके लिए ग्रामीण राजी नहीं हुए लिहाजा पूर्व सरपंच के घर पर ही स्कूल का संचालन किया जा रहा है। शिक्षिका भी मानती हैं की घर के जिस छोटे से कमरे में पहली से लेकर पांचवी क्लास के बच्चों को पढ़ाया जा रहा है जिससे उनकी पढाई प्रभावित होती है तो वहीँ स्थानीय लोग शिक्षा विभाग के अधिकारीयों समेत दोनों विधायकों के प्रति नाराजगी जाहिर करते हुए जल्द से जल्द नवीन स्कूल भवन बनाने की मांग कर रहे हैं।
आदिवासी बाहुल्य डिंडौरी जिले में पहली से लेकर आठवीं तक स्कूलों के संचालन की तमाम जिम्मेदारी जिला शिक्षा केंद्र सर्व शिक्षा अभियान विभाग की होती है एवं नवमीं से बारहवीं क्लास तक के स्कूलों की समस्त जवाबदारी जनजातीय विभाग के पास होती है। जिला शिक्षाधिकारी रती लाल से जब हमने जिले में बड़ी तादात में जर्जर हो चुके भवनों में स्कूल का संचालन किये जाने को लेकर सवाल किया तो उन्होंने बेबसी जाहिर करते हुए कहा की पहली से लेकर आठवीं क्लास तक के स्कूलों की संपूर्ण जिम्मेदारी सर्व शिक्षा अभियान के जिला समन्वयक की होती है और उन्हें इस ओर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए ताकि नौनिहाल बुनियादी शिक्षा अच्छे से हासिल कर सकें साथ ही उन्होंने नर्मदा टोला में निजी मकान के एक कमरे में हो रहे सरकारी स्कूल के संचालन को लेकर जल्द गांव का दौरा करने का आश्वासन दिया है।

instagram 1
Leave A Reply

Your email address will not be published.