नगर में शासकीय हायर सेकंडरी स्कूल की दरकार जिले भर में शिक्षकों के रिक्त पदों की जल्द हो भरपाई

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गैर शिक्षकीय कार्य मे संलग्न शिक्षकों तथा अन्य संस्थाओं में संलग्न शिक्षकों को मूल संस्था में किया जाये वापस

रेवांचल टाईम्स – मण्डला आदिवासी बाहुल्य वाला जिला आज भी गुणवत्ता युक्त शिक्षा की राह देख रहा है। जिले का दुर्भाग्य है कि आज तक यहां कोई तकनीकी महाविद्यालय तक नहीं है यहां के विद्यार्थियों को उच्च तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने के लिए महानगरों की ओर पलायन करना पड़ता है। जिस पालक या छात्र की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ नहीं है वह खून का घूंट पीकर यहीं विद्या अध्ययन कर छोटे-मोटे जॉब या धंधे में लिप्त हो जाता है ।
यही हाल विद्यालयीन शिक्षा व्यवस्था का है। विद्यालय एक ऐसी संस्था है जहां बच्चों के शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और नैतिक गुणों का विकास होता है। विद्यालय का कार्य बौध्दिक प्रशिक्षण, तर्क़- वितर्क की शक्ति स्थापित करना , छात्रों के व्यक्तित्व का विकास करना, योग्यताओं और क्षमताओं की पहचान कर बालकों के ज्ञान को बढ़ाना ही शिक्षा है। यह तभी संभव है कि जब छात्र-छात्राओं को विद्यालयों मे एकाग्र रहकर उनको अच्छी शिक्षा सुविधा मिले तथा उनका विद्यालय घर से ज्यादा दूर न हो या रहने की व्यवस्था हो अथवा यदि छात्र छात्रावास में रहकर विद्या अध्ययन कर रहें हों, तो उन्हें उच्च श्रेणी की छात्रावास सुविधा उपलब्ध हो। जिसके लिए शासन प्रशासन इस दिशा में बेहद संवेदनशील है तथा मध्य प्रदेश की शिक्षा के उन्नयन हेतु करोड़ों का बजट आबंटित करता है। किंतु कुछ अधिकारियों, कर्मचारियों की मिली भगत, भ्रष्टाचार में संलिप्तता होने से सरकार द्वारा छात्र हित मे दिये गये बजट का बंटाधार हो जाता है।
जहां तक मण्डला नगर की विद्यालयीन शिक्षा व्यवस्था की बात करें तो बम्हनी, हिरदेनगर, सागर, रामनगर, बिनैका, पोड़ी लिंगा, जो मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर से 20 किलोमीटर तक की दूरी पर हायर सेकंडरी विद्यालय है । मंडला जिला मुख्यालय में मात्र दो शासकीय बालक हायर सेकंडरी विद्यालय और एक गर्ल्स हायर सेकंडरी विद्यालय है। जिसमें उत्कृष्ट विद्यालय जहां बच्चों के दाखिले के लिए कुछ गाइड लाइनें है। अब बचा केवल एक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक-2 और बालिकाओं के लिए रानी अवंती बाई उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जहां सभी वर्ग के छात्र-छात्राओं का दाखिला किया जाता है। रानी अवंतीबाई कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मे मजबूरी बस क्षमता से अधिक छात्राओं को दाखिला देकर अध्यापन कार्य कराया जाता है ‌।
अगर हम बात करें उपनगर महाराजपुर की तो महाराजपुर मे सिर्फ 01शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय है। यहां एक भी शासकीय बालक हायर सेकंडरी विद्यालय नही है। इन विद्यालयों पर जिले भर की छात्र-छात्राओं को विद्या अध्ययन कराने का भार बना रहता है। जिससे एक ही कक्षा में डेढ़-डेढ़ सौ छात्र अध्ययनरत हैं। जिससे अध्यापन कार्य पर शिक्षकों को अत्यधिक दबाव के साथ परेशानी होती है और बच्चों का अध्यापन कार्य प्रभावित होता है। अतः नगर को एक और हायर सेकंडरी विद्यालय की दरकार है अथवा किसी हाई स्कूल का उन्नयन आवश्यक है। नगर में बहुत से हाईस्कूल स्कूल ऐसे हैं जिनका उन्नयन कर यह समस्या का समाधान किया जा सकता है।
नगर के विद्यालयों मे अनेकों शिक्षकों के पद रिक्त पड़े हैं, वह भी मुख्य व कठिन विषयों के पद रिक्त हैं, ऐसी स्थिति मे विद्यालयों मे बच्चों के अध्यापन कार्य हेतु अतिथि शिक्षक रखकर अध्ययन कराया जाता है।
देखा जा रहा है विभागीय शिक्षा व्यवस्था के लचीलापन से उत्कृष्ट विद्यालय जैसे विद्यालयों मे गणित, रसायन एवं भौतिकी जैसे विषयों मे व्याख्याताओं के पद रिक्त हैं या वे शिक्षक गैर शिक्षकीय कार्य मे संलग्न है। जनजाति कार्य विभाग में उच्च पद प्रभार की प्रक्रिया वर्षों से प्रचलन में है और आगे भी अनेक वर्षों तक प्रचलन मे रहेगी। भगवान ही मालिक है इसमें पूर्ण विराम कब लगेगा ? इन परिस्थितियों में विद्यालयों का परीक्षा परिणाम कैसे अच्छा आता है यह सर्व विदित है।
इस लेख का उद्देश सिर्फ और सिर्फ सकारात्मक उद्देश्य को लेकर है ताकि जिले की शिक्षा हो रही बेपटरी वह पटरी मे आ सके।

इनका कहना है –
इस संबंध मे जिला शिक्षा समिति की आगामी बैठ मे रूप रेखा तैयार कर कुछ हाईस्कूल के उन्नयन की कार्यवाही की जावेगी।

कमलेश तेकाम
उपाध्यक्ष एवं शिक्षा समिति अध्यक्ष
जिला पंचायत, मण्डला

नगर के हायर सेकंडरी स्कूलों मे बच्चों की दर्ज संख्या क्षमता से अधिक हो रही हैं, इसलिए मुख्यालय के कुछ हाईस्कूलों का उन्नयन होना आवश्यक है, इस संबंध मे वरिष्ठ कार्यालय को पत्र लिखा जा रहा है।
लाल शाह जगेत
सहायक आयुक्त
जनजाति कार्य विभाग, मण्डला

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