कोलकाता-डॉक्टर घटना पर आधारित “राष्ट्रीय क्रांति गीत” 

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(पावती – मूल श्रेय –

लता मंगेशकर द्वारा गया हुआ प्रसिद्ध गीत “ए मेरे वतन के लोगों” में से कुछ शब्द इस गीत में प्रयोग किए गए हैं – इसके लिए मैं उस गीत के लेखक/गीतकार को पूरा श्रेय देती हूं : मेरा लक्ष्य केवल देश की जनता को जागरूक करना है)

 

ए मेरे वतन के लोगों,

मैं हूं भारत की नारी,

मैंने जन्म दिया है पुरुष को,

वह बना मेरा ही शिकारी।

 

तुम मत भूलो वह नारी,

जिसने है आबरू गँवाई,

कुछ हिम्मत तुम भी कर लो,

कुछ कदम तुम भी उठा लो, तुम्हारे भी घरों में है बेटी,

तुम्हारे भी घरों में है बहना।

 

ऐ मेरे वतन के लोगों,

ज़रा आँख में भर लो पानी,

जो हवस की शिकार हुई है,

वह थी किसी की बिटिया रानी।

 

तुम भूल न जाओ यह किस्से, इसलिए सुनो यह ज़ुबानी,

जो हवस की शिकार हुई है,

वह थी किसी की बिटिया रानी।

 

कभी निर्भया कभी कोई डॉक्टर, हैवान बना है क्यों नर ?

अपनी बलि देने वाली,

थी इसी वतन की धरोहर।

 

कब तक चलेंगे यह किस्से,

कब तक चलेगी कहानी ?

जो हवस की शिकार हुई है,

वह थी किसी की बिटिया रानी।

 

क्या यही है अपनी आज़ादी ?

आज़ाद नहीं है नारी…

हैवानों की नज़र में

हैं सारी बहनें हमारी।

चाहे दो साल की गुड़िया,

या 70 साल की बुढ़िया।

 

हम चुप रह गए अगर तो,

हम नहीं हैं हिंदुस्तानी,

जो हवस की शिकार हुई है,

वह थी किसी की बिटिया रानी।

 

जब सीता हरण हुआ था,

तो लंका दहन हुआ था,

महाभारत की वजह भी –

इक स्त्री का वस्त्र हरण था।

 

महिला की इज्ज़त को तब,

सब ने अपनी इज्ज़त मानी,

जो हवस की शिकार हुई है,

वह थी किसी की बिटिया रानी।

 

कुछ किस्से छ्प जाते हैं,

कुछ किस्से दब जाते हैं,

कुछ बरसों खिच जाते हैं,

अपराधी बच जाते हैं।

कहाँ गई संस्कृति हमारी,

कहाँ गई है हिम्मत हमारी,

अब जागो देश के वासी,

बचा लो तुम लाज हमारी।

 

इस ज़ुल्म से दो आज़ादी,

नारी भी है इक प्राणी,

अब शिकार न हो कोई बहना,

ना ही किसी की बिटिया रानी।

 

अब जागो देश के वासी,

हमको है क्रांति लानी !!

अब शिकार ना हो कोई बहना,

ना ही किसी की बिटिया रानी।

 

जय हिंद, जय हिंद की नारी,

जय हिंद, जय हिंद की नारी।

जय हिंद, जय हिंद, जय नारी !

 

रचयिता – डॉक्टर सलोनी चावला

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