आवासीय कलेक्ट्रेट कालोनी बनी आवासीय कम व्यवसायिक कॉलोनी ज्यादा बिना अनुमति के बन रहे है बड़े बड़े भवन…
रेवाचंल टाइम्स – मंडला जिला नगर पालिका मुख्यालय बस स्टैंड के पीछे स्थित कलेक्ट्रेट कालोनी जो शासकीय कर्मचारी अधिकारियों को आवसीय तौर पर आवंटित की गई हैं, जो कि कर्मचारियों के आवास के लिये निर्धारित माप दंड से की गई है पर जिन अधिकारी कर्मचारियों को उस कालोनी में भूमि आवंटित की गई है, पर वह कलेक्ट्रेट कॉलोनी परीसर पर रहवासी भवनों का निर्माण तो किया गया है, औऱ धीरे धीरे कालोनी रहवासी कालोनी न होकर व्यवसायिक कालोनी के रूप में विकसित हो रही है जहाँ पर निजी डाक्टरों के क्लिनिक का हब बन गया है, बड़ी बड़ी दुकानों के साथ साथ गोदामें भी बन रही है उसके साथ ही मेडिकल दुकानों की बाढ़ सी आ गई है कोचिंग सेंटर संचालित किए जा रहे है । वहीं अब इस कालोनी में बहुमंजिला भवनों का भी निर्माण बिना नगर पालिका और टी एन पी सी की अनुमति के जोर शोर बड़े बडे व्यावसायिक भवन का निर्माण कराया जा रहा है। लेकिन कालोनी में भवन निर्माण तो कराये जा रहे हैं, पर नगर पालिका प्रबंधन की लापरवाही से कालोनी में बनी सड़कें टूटी फूटी बजबजाती नालियो से चारों तरफ गंदगी फैली हुई नज़र आ रही हैं।
पहली ही बारिश में व्यवस्था की खुली पोल
वही पहली बारिश में ही इस कालोनी की सड़कों में नालियों चोक होने के चलते सड़कों में जगह जगह नालियों का पानी देखने को मिल रहा है, जिसके कारण से लोगो को आवागमन करने वाले लोगो को बहुत असुविधा महसूस हो रही है इस कालोनी में नगर पालिका के कर्मचारियों के द्वारा सफाई के नाम पर खाना पूर्ति ही की जाती है लोगों के द्वारा कालोनी में साफ सफाई के तरफ बिल्कुल भी ध्यान नही है औऱ दुकानदारों को तो सिर्फ अपने व्यवसाय करने से ही मतलब है। औऱ दुकानों से निकला कचरा नालियों औऱ सड़को के किनारे में फेंके जा रहा हैं, अधिकांश मकान मालिक भवनों का निर्माण तो किये हुए हैं औऱ जो निर्माण कार्य चल रहा है उसका मटेरियल सड़को में रखें हुए है जिस कारण से अवागमन करने वालो को समस्याएं बनी रही हैं, साथ ही खुद तो मकानों में नहीं रहते दूसरे को व्यवसायिक उपयोग के लिये किराय से दे रखे हैं जबकि इसके जमीनों का जो आवंटन किया गया था उसमें सिर्फ रहवास करने की अनुमति मिली थी पर अब यहाँ उल्टा ही हो रहा है, जिन कर्मचारियों ने रहवास के भूमि जिला प्रशासन से प्राप्त हुई है उन भूमि स्वामियों के द्वारा अपने निजी मकान को किराए में देकर खुद शासकीय मकान में रह रहे है और इन्हें जो जिला प्रशासन ने शासकीय कर्मचारियों के लिए भूमि आबंटन कर दी है पर उस भूमि अब रहवासी कम कामर्शियल उपयोग अधिक हो रही हैं।