महाप्रभु स्वामी जगन्नाथ की रथ यात्रा का नगर में हुआ भव्य स्वागत हुई फूलों की वर्षा..

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रेवांचल टाईम्स – मण्डला जगन्नाथ महाप्रभु को स्वस्थ्य होंने के बाद रविवार को श्री सिद्धघाट रेवा दरबार रपटा घाट में जगन्नाथ स्वामी की विधि-विधान से पूजन अर्चन की गई। भगवान को काजल लगाने के बाद फलों का भोग लगाया गया। जिसके पश्चात् महाप्रभु जगन्नाथ स्वामी की रथयात्रा नगर में निकाली गई। रथयात्रा श्री सिद्धघाट रेवा दरबार रपटा घाट से निकाली गई जो नेहरू स्मारक, स्टेट बैंक चौराहा, लालीपुर, बस स्टेण्ड, चिलमन चौक होते हुए पड़ाव पहुंची जहां पर रथ यात्रा का भव्य स्वागत किया गया यहां पर विकास ट्रेवल्र्स के संचालक एवं परिजनों के द्वारा भगवान जगन्नाथ स्वामी पर पुष्पवर्षा करते हुए महाआरती की गई इस दौरान भगवान जगन्नाथ स्वामी को कड़ी और भात का भोग लगाया गया और जमकर जयकारे लगाए गए। विकास ट्रेवल्र्स के संचालक विकास जायसवाल ने बताया कि वे हर वर्ष भगवान जगन्नाथ स्वामी की रथयात्रा का स्वागत करते हैं और उन्हें विभिन्न प्रकार के भोग लगाते है उनकी महिमा और आर्शीवाद से कभी कोई वंचित नही रहा है। इस दौरान सिद्ध घाट मां रेवा दरबार के संस्थापक रामप्रसाद ठाकुर ने बताया कि इस रथ यात्रा के निकलने के पीछे कई मान्यताएं हैं कहते हैं कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के अवतार के रूप में भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम के साथ अपनी बहन सुभद्रा को नगर घुमाने के लिए ले जाते हैं ऐसा माना जाता है कि इतिहास में भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा ने नगर घूमने की इच्छा जाहिर की जिसके बाद बहन की इच्छा पूरा करने के लिए भगवान जगन्नाथ ने 3 रथ बनवाए और सुभद्रा को नगर घुमाने के लिए रथ यात्रा पर ले गए सबसे आगे वाला रथ भगवान बलराम का बीच वाला रथ बहन सुभद्रा के और सबसे पीछे वाला रथ भगवान जगन्नाथ का होता है इसी मान्यता के साथ एक और कहानी जुड़ी है कहते हैं जब भगवान जगन्नाथ सुभद्रा को नगर घुमाने के लिए रथ यात्रा पर निकले तो रास्ते में ही उनकी मौसी के घर गुंडिचा भी गए और वहां 7 दिन ठहरे भी जिसके बाद से ही हर साल इस रथ यात्रा को निकालने की परंपरा शुरू हुई। सिद्ध घाट मां रेवा दरबार के अध्यक्ष पूरन सिंह ठाकुर ने बताया कि भगवान जगन्नाथ पद्म पुराण के मुताबिक भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा ने एक बार नगर देखने की इच्छा जताई थी। उस वक्त भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और अपनी लाडली बहन सुभद्रा को रथ पर बैठाकर नगर दिखाने के लिए निकल पड़ते हैं। इसका जिक्र ब्रह्म पुराण और नारद पुराण में भी है। मान्यताओं के अनुसार, अपने मौसी घर में ठहरने के दौरान भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ खूब पकवान खाते हैं और फिर वे बीमार पड़ जाते हैं इसके बाद उनका इलाज किया जाता है और फिर स्वस्थ होने के बाद अपने भक्तों को दर्शन देते हैं। वरिष्ठ समाजसेवी संजय चौरसिया ने बताया कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जगतपति जगदीश्वर महाप्रभु जगन्नाथ स्वामी बीमार हो गए थे ज्येष्ठ मास की गर्मी में शीतल जल में स्नान करने के कारण प्रभु को जुकाम हो गया था इसलिए उनके उपचार के लिए दलिया, फलों का रस प्रतिदिन उन्हें दिया गया। वरिष्ठ समाजसेवी विंदी शर्मा ने बताया कि सनातन धर्म में रथ यात्रा का खास महत्व है मान्यताओं के मुताबिक, रथयात्रा निकालकर जगन्नाथ महाप्रभु को प्रसिद्ध गुंडिचा माता मंदिर पहुंचाया जाता है यहां भगवान 7 दिनों तक आराम करते हैं इस बीच गुंडिचा माता मंदिर में खास तैयारियां की जाती है. इंद्रद्युम्न सरोवर से मंदिर की साफ-सफाई के लिए जल लाया जाता है। इसके पश्चात जगन्नाथ भगवान की जगन्नाथ मंदिर में वापसी के लिए यात्रा शुरु होती है रथ यात्रा की सबसे खास महत्व यह है कि यह पूरे भारतवर्ष में एक महोत्सव की तरह निकाली जाती है।
वहीं यात्रा पड़ाव से वापस चिलमन चौक होते हुए उदयचौक, सिटी कोतवाली, स्टेट बैंक चौराहा, नेहरू स्मारक होते हुए वापस सिद्धघाट रेवा दरबार पहुंची जहां यात्रा का समापन किया गया। रथ के साथ सैकड़ो की संख्या में भक्तगण उपस्थित रहे।

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