सहकारी उपभोक्‍ता भण्‍ड़ारो एवं अधिकारीयो के द्वारा सूचना अधिकार की जा रही है, अनदेखी आवेदकों कों सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत नहीं दे रहे है जानकारियॉ…

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रेवांचल टाईम्स मंडला – मंडला आदिवासी बाहुल्य जिले में नियम और अधिनियम को भ्रस्टो ने ताक में रख खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे है और जिम्मेदार मूक बधिर बन सब देख रहे है आज इस जिले में कानून व्यवस्था चौपट हो चुकी है और भय मुक्त भ्रस्टाचार आँख बंद करके किया जा रहा और घोटाले बाज मास्‍टर माइंड़ को बचाने की चल रही है कवायद
वही जानकारी के अनुसार प्रियदर्शनी महिला प्राथमिक सहकारी उपभोक्‍ता भण्‍ड़ार नैनपुर के तत्‍कालीन प्रबंधक गणेश जायसवाल पिता गोपाल प्रसाद जायसवाल निवासी वार्ड़ क्रंमाक 09 नैनपुर के द्वारा वर्ष 2019 से 2022 के बीच सहकारिता विभाग एवं खाद्य विभाग के कर्मचारियों एवं अधिकारियों से भावनात्‍मक व्‍यवहार स्‍थापित करके एवं सहकारी उपभोक्‍ता भण्‍ड़ारो के साथ सेवा सहकारी समितियों के साथ अन्‍य समितियों एवं समूहो के द्वारा संचालित राशन की दुकानों के विक्रेताओं को रूपये कमाने का सपना दिखाकर अपने मास्‍टर माइंड़ से एक नये प्रकार के घोटाले को अंजाम दिया गया है । घोटाले को उजागर करने की नियत से सहकारिता विभाग / खाद्य विभाग / म0 प्र0 स्‍टेट सिविल सप्‍लाईज कार्पोरेशन लि0 मण्‍ड़ला एवं सहकारी उपभोक्‍ता भण्‍ड़ारों से कतिपय बिन्‍दुओं पर जानकारी चाही गई थी । सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगने पर अधिकारी / सहकारी उपभोक्‍ता भंड़ारो के द्वारा जानकारी न देने के लिए अनेकों प्रकार से हीला हवाली कर रहे है । इससे यह प्रतीत होता है कि सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत आवेदकों के द्वारा आवेदन पत्र प्रस्‍तुत कर मात्र कागजी कार्यवाही ही पूर्ण की जा सकती है । शासकीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों को इस नियम का पालन करने या कराने में कोई रूचि नही दिखाई देती है । सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत आवेदकों के आवेदन पर लोक सूचना अधिकारी एवं कार्यालय सहायक आयुक्‍त सहकारिता मण्‍ड़ला के द्वारा नैनपुर नगर में संचालित सहकारी उपभोक्‍ता भंड़ारो को सूचना दिए जाने हेतु निर्देशित किया गया था परन्‍तु यह निर्देश मात्र कागजो तक ही सीमित रह गया है। इससे यह प्रतीत होता है कि नैनपुर नगर में संचालित सहकारी उपभोक्‍ता भण्‍ड़ार बिना किसी दिशा निर्देश के संचालित हो रहे है, और भय मुक्त भ्रस्टाचार कर रहे है और विभाग के जिम्मेदार इन्हें खुला संरक्षण दे रहें और इन सहकारी उपभोक्‍ता भण्‍ड़ारों में शासन प्रशासन के कोई दिशा निर्देश जैसे लागू नही होते हो । आरोप यह है कि ये सहकारी उपभोक्‍ता भंड़ार सहकारिता विभाग की मेहर बानी से मात्र कागजों में चल रहे है । इन सहकारी उपभोक्ता भंडारों के कार्यालयों का नगर में कोई अता पता नहीं है इसकी जानकारी सहकारिता विभाग को होने के बाद विभाग मौन है ।

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