सफलता की कहानी राजवती उइके ने पशु सखी बनकर अपने हुनर से बदल दी जिंदगी

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सफलता की कहानी

राजवती उइके ने पशु सखी बनकर अपने हुनर से बदल दी जिंदगी

 

मंडला 13 सितंबर 2024

मंडला जिले के विकासखण्ड निवास के ग्राम बस्तरी की रहने वाली श्रीमती राजवती उइकेे पति रमेश उइके का परिवार खेतीबाड़ी और मजदूरी करके अपना जीवनयापन करता था। खेतीबाड़ी और मजदूरी से उन्हें इतनी आय नहीं होती थी कि वह अपने परिवार का भरण पोषण कर सके। उन्हें परिवार के पालन पोषण में बहुत कठिनाईयों का सामना करना पड़ता था। श्रीमती राजवती ने बताया कि उसे जानकारी मिली कि म.प्र. राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के द्वारा गरीब महिलाओं का स्व-सहायता समूह बनाकर उन्हें स्वरोजगार से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाया जाता है। जिले में कई महिलाएं स्वसहायता समूह से जुड़कर स्वयं का रोजगार प्रारंभ कर आत्मनिर्भर बन चुकी हैं। गांव की महिलाओं के द्वारा उसे सूचना मिली महिलाओं को स्वसहायता समूह के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है वह समूह में शामिल हो जाए। समूह के माध्यम से महिलाओं को स्वयं का रोजगार व्यवसाय प्रारंभ करने के बारे में मदद की जाती है। श्रीमती राजवती उइके गांव की महिलाओं की सलाह पर सरस्वती आजीविका स्व सहायता समूह मेें शामिल हुई और समूह की बैठक और बचत में सक्रिय भूमिका निभाने लगी। उन्होंने बताया कि स्व सहायता समूह से लोन लेकर वह अपने खेत में सब्जी की खेती प्रारंभ की, उन्होंने सब्जियां ग्राम पिपरिया के बाजार में बेचने लगी। इसके बाद उन्होंने सब्जी की खेती वृहद स्तर पर करना प्रारंभ किया। श्रीमती राजवती बाई ने बताया कि उसे पशुपालन में भी रूचि थी। जिसके कारण उसे आजीविका मिशन द्वारा पशु सीआरपी के रूप में चयनित किया गया। उन्होंने इसके बाद आरसेटी में पशु सखी का 11 दिन का प्रशिक्षण प्राप्त किया। वह प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद पशु उपचार का कार्य करने लगी। श्रीमती राजवती उइके अब पशुओं की बीमारी का इलाज, टीकाकरण और वेक्सीनेशन का काम कुशलता पूर्वक कर रही है। गांव में कोई भी पशु बीमार हो जाये तो लोग उसे ही बुलाते हैं। श्रीमती राजवती उइके की पहचान पशु सखी के रूप में हो गई है। राजवती उइके बताती हैं कि पशुओं का इलाज करके वह प्रतिदिन 400 से 500 रूपये तक कमा लेती है। अब उसकी आर्थिक स्थिति में काफी सुधार हुआ है। राजवती कहती है कि आजीविका मिशन में जुड़ने के बाद उसने कई मीटिंग और प्रशिक्षण में भाग लिया जिससे उसे काम करने की प्रेरणा मिली। वह मंडला जिले में अब पशु सखी के रूप में काम करते हुए बहुत प्रसन्न है।

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