सरकारी अस्पताल में नही है शव ले जाने की व्यवस्था, मृतक को हाथ ठेले में लेकर जाना पड़ा परिजनो…वीडियो हुआ वायरल, थाने में की गई शिकायत

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रेवांचल टाईम्स – आदिवासी बाहुल्य जिले में सरकारी व्यवस्था क्या है और कैसे चल रही है ये किसी से छुपी नही है, सरकार और सरकारी तंत्र केवल बड़े बड़े फेलक्स और बैनरों अपनी योजनाओं का बखान करते थकती नही है, और जो योजनाएं संचालित है उनकी जमी हकीकत कुछ और ही व्या करती है ये देंखेने वाला कोई नही है, गरीब और गरीब हो रहा है और आमिर और अमीर हो रहा है आज गरीबों को मिलने वाली योजनाएं कागज़ों बहुत अच्छे से चल रही हैं।
वही एक मामला सामने आया है जहाँ डिंडौरी जिले के बैगा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बाजाक के सरकारी अस्पताल की क्या दशा और दुर्दशा है ये कोई जिम्मेदार देखने वाला नही है वही जानकारी के अनुसार एक शव को हाथ ठेले पर रख कर परिजन घर पहुँचे क्योंकि सरकारी व्यवस्था में दीमक की तरह बैठे अधिकारी कर्मचारी खोखला कर चुके है, शव की जानकारी लेने बीएमओ के पास पहुंचे पत्रकार, तो सुननी पड़ी गलियां
बजाग नगर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के हालात इस समय बदहाल है बेलगाम सीबीएमओ गोपाल मरावी जबसे पदस्थ हुए हैं तबसे यह अस्पताल विवादो से घिरा रहता हैं इस संबंध में कई बार मीडिया में खबरों का प्रकाशन भी होता रहा हैंजिससे बौखलाए बीएमओ ने हाल ही में एक मामले पर जानकारी लेने पहुंचे स्थानीय पत्रकारों पर गलियों की बौछार कर दी।ताजा मामला एक मृतक व्यक्ति के लिए अस्पताल में शव वाहन नहीं मिलने के कारण शव को घर तक हाथ ठेले पर ले जाना पड़ा।जिसकी जानकारी लेने स्थानीय पत्रकार बीएमओ के निवास पर पहुंचे थे जिन्हे बीएमओ ने गाली देकर अपमानित करते हुए भगा दिया।जानकारी के अनुसार बजाग के आवास मोहल्ला निवासी सुखीराम वनवासी उम्र 70 वर्ष को साम लगभग तबियत बिगड़ने पर परिजन एम्बुलेंस से अस्पताल ले गए थे जहा अस्पताल में मौजूद चिकित्सक ने मरीज की जांच की और उसे मृत घोषित कर दिया।जिसके बाद मृतक के गरीब परिजनो ने अस्पताल प्रबंधन से शव ले जाने हेतु वाहन की मांग की। प्रबंधन ने इस हेतु बीएमओ से बात करने के लिए कह दिया।परिजनो ने बीएमओ को फोन लगाया परंतु उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।जिसके बाद परिजनों ने कोई व्यवस्था नहीं होते देख देर साम छह बजे के करीब मृतक का शव हाथ ठेले पर रखा और घर ले आए।मृतक के परिजनों ने बताया की हम बहुत ही गरीब परिवार से हैं और हमारे पास इतने पैसे का इंतजाम नहीं था की हम वाहन व्यवस्था करके मृतक को घर ले जा सके। उस समय हमे जो उचित समझ में आया वही हमने हाथ ठेला किराए पर लेकर शव को घर ले आए। जबकि बीती रात बजाग अस्पताल में एक और युवक लक्ष्मणदास पिता इंद्रदास उम्र 25 वर्ष निवासी बम्हनी समनापुर की मौत लगभग रात्रि 1बजे हो गई। परिजनों ने बीएमओ से वाहन की मांग की तो उन्होंने कोई व्यवस्था नहीं है का हवाला दिया जिसके बाद परिजन एक प्राइवेट वाहन से शव को ले गए। यहां सवाल यह है की शासन जब मवेशियों के उपचार तक के लिए वाहन तक उपलब्ध करा रही हैं तब भी गरीब तबके के लोगो को मृत इंसानों को घर तक ले जाने के लिए विभाग के पास कोई इंतजाम नहीं है और उन्हें हाथ ठेले से शव को ले जाना मजबूरी है।

इनका कहना है
अस्पताल प्रबंधन से शव ले जाने हेतु वाहन की मांग की गई ।परंतु नही मिला मजबूरी में हाथ ठेले पर घर लाना पड़ा।
रवि बनवासी मृतक का रिश्तेदार
शव को घर लाने की कोई व्यवस्था नहीं बन पा रही थी शाम हो गई थी इसलिए हम लोगो ने हाथ ठेले पर ही मृतक को घर ले आए ।
मनोज धुर्वे पड़ोसी

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