सरपंच सचिव की मनमानी से लग रहे धड़ल्ले बिना फर्जी ट्रेडर्स के बिल जानकारी के बाद भी जिम्मेदार रोकने में नाकाम हो रहे साबित…

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रेवांचल टाइम्स – मंडला, आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र मंडला जिले में मुखिया तो आते रहेंगे जाते रहेंगे पर पंचायतों में कोई बदलाव नही हो रहा है और कोई जांच हो पा रही है बल्कि जांच के नाम पर कागज़ी खाना पूर्ति जरूर बताई जाती हैं, वही जिले के मुखिया बदल चुके हैं लेकिन आज भी सरकारी राशि में लूट जारी है, ग़बन, भ्रष्टाचार, और फर्जीबाडा चरम में है दूसरी तरफ कुकरमुत्तो की तरह गांव गांव में बैठे बिना दुकानों के ट्रेडर्स की बाढ़ आई हुई है दुकान हो या न हो पर पूरी ईमानदारी से ग्राम पंचायतों में अपने खाना जैसे बिल परोसे जा रहें हैं, औऱ ये सब जनप्रतिनिधियों औऱ जनपद में बैठे जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारियों और ट्रेडर्स की साठगांठ स्पस्ट दिखाई पड़ रही हैं, जो बिल बाज जिनकी न दुकाने नजर आती हैं और कोई सामान दिखाई पड़ता है फिर भी शासकीय पोर्टल पंचायत दर्पण में अनेक ऐसे बिल जिनकी दुकाने सूरज लेकर भी तलाश करें तो दूर दूर तक नजर नहीं आती फिर भी पोर्टल में अनेक बिल देखे जा सकते हैं..


वही सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार ऐसा ही नया मामला तहसील मुख्यालय घुघरी के ग्राम पंचायत परसवाह का आया है जहां पर फर्जी बिल और बिना दुकान संचालन के अनेक ट्रेडर्स देखने मिलते हैं न ही दुकाने नजर आती हैं और न ही सामान फिर भी मनमाफिक तरीके से अनेक बिल केवल पंचायत दर्पण में ही दिखाई देते हैं।
जबकि शासन के द्वारा जुलाई 2017 से जी.एस.टी अनिवार्य कर दिया गया है जिससे शासन को कर के माध्यम से राजस्व की प्राप्ति हो लेकिन फिर भी फर्जी बिल बाज अपने मनमाने तरीके से किसी भी प्रकार से टैक्स की चोरी करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं
वहीं सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार ऐसे अनेक ठेकेदार देखने मिलेंगे जिनके पास न लायसेंस है और न रजिस्ट्रेशन फिर भी पंचायतों में बेखौफ तरीके से ठेकेदारी प्रथा फल फूल रही है
कहने को तो निर्माण एजेंसी ग्राम पंचायत होती है लेकिन फर्जी ट्रेडर्स और बिना लायसेंस के ठेकेदार जिनको ठेकेदारी का ठ नहीं आता वो भी शासकीय राशि का बंदरबांट करने में लगे हैं और शासकीय योजनाओं का पैसा पानी की तरह बहाकर केवल अपनी जेब भर रहे हैं..
वहीं जब रेवांचल की टीम ने कुछ ग्रामीण जनों से बात की तो पता चला कि जितने भी ट्रेडर्स हैं वो केवल ट्रेक्टर और वाहन मालिक हैं जो रेत गिट्टी और मटेरियल सप्लाई का काम करते हैं बाकि न दुकान का अता पता है और न ही समान का लेकिन बन बैठे हैं ठेकेदार और ट्रेडर्स संचालक..
वहीं इनके बिलों में जी.एस.टी की बात करें तो बिल में जी.एस.टी नंबर तक नहीं है जबकि बिना जी.एस.टी के बिलों को तो शासन ने भी मना कर दिया है जिसकी जिम्मेदारी ग्राम पंचायत के सचिव को दी गई है कि बिना जी.एस.टी नंबर के बिल मान्य ही न करें लेकिन ग्राम पंचायत के सरपंच सचिव अपने कमीशन खोरी के चलते फर्जी बिल तो छोड़िए बिना जी.एस.टी के बिल भी लगवा रहे हैं..
सूत्र बताते हैं कि जिन बिलों में जी.एस.टी नंबर डाले हैं उन बिलों की उचित जांच करायी जाये तो आधे से ज्यादा तो टैक्स जमा ही नहीं करते होंगे क्योंकि अधिकतर दो बिल की बंदियों वाले ट्रेडर्स हैं जिनकी जी.एस टी के अलग बिल काटे जाते हैं जिनके टैक्स जमा होते हैं और बाकि जिनकी जमा नहीं होती उनकी अलग..लेकिन जी.एस टी नंबर दोनो बिलों में डाले होते हैं..
आखिर ये फर्जीवाड़ा हो भी कैसे न क्योंकि सरपंच सचिव केवल अपने कमीशन पर ध्यान देते हैं..न कि फर्जीवाड़ा और भ्रष्टाचार को रोकते है..

इनका कहना है..
मेरी दुकान नहीं है केवल ट्रेक्टर है और मैने मंडला या अन्य जगह से सामान लाकर पंचायत में दिया है..मेरा जी.एस टी नंबर है अब उसकी जानकारी आप विभाग से पता कीजिए मैं आपको कहां बताता रहूंगा कितनी जी.एस.टी पटाया हूं या नहीं..
अमर लाल
पूसाम ट्रेडर्स संचालक.

वही इस विषय पर जब रेवांचल की टीम ने सरपंच सचिव से बात करना चाहा औऱ पंचायत दर्पण में धड़ल्ले से लग रहे बिलों के संबंध में बात करनी चाही तो दोनो जिम्मेदारो के द्वारा दो बार फोन लगाने के बाद भी काॅल रिसीव ही नहीं किया गया..
इसलिए उनका पक्ष नहीं रख पाये..

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