रेवांचल की ख़बर का असर… मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग, भोपाल ने हॉस्टल अधीक्षक आदिवासी बच्चों से लगवा रहे झाड़ू पोछा और मँजवा रहे वर्तन के समाचार को लिया संज्ञान में माँगा जवाब…
रेवांचल टाईम्स – भोपाल, मंगलवार 19 नवम्बर, 2024” 10 मामलों में संज्ञान ”
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय अध्यक्ष ¼कार्यवाहक½ श्री मनोहर ममतानी ने विगत दिवस के विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित प्रथम दृष्टया मानव अधिकार उल्लंघन के ” 10 मामलों में” संज्ञान लेकर संबंधितों से जवाब मांगा है।जिसमे 4 मामले मण्डला जिले के हैं। आयोग ने संबंधितों से जवाब मांगा है।
मण्डला -जिले के 4 मामले जो समाचार पत्रों मे प्रकाशित हुए थे जिसमें प्रथम दृष्टया मानव अधिकार का उल्लंघन है ऐसे मामले को संज्ञान मे लेकर संबंधितों से जवाब मांगा है। इस बात की जानकारी कार्यालय प्रभारी म. प्र. मानव अधिकार आयोग-मित्र, शिकायत प्रकोष्ठ शाखा मण्डला के वरूण विकास नीखर ने दी है।
चार गाँवों को नहीं मिल रहा पेयजल योजना का लाभ
मंडला जिले के ग्राम पंचायत जैदेपुर के चार पोषक गांव के लिए नल-जल योजना से पानी नहीं मिल पा रहा है। यहां पाइपलाइन बिछाई गई है लेकिन गांव तक पानी पहुंचता नहीं हैं। जिसके कारण ग्रामीणों को हैंडपंप और अन्य स्त्रोतों से पेयजल जुटाना पड़ रहा है। प्रशासन का इस तरफ ध्यान नहीं है। जानकारी के मुताबिक ग्राम पंचायत जैदेपुर में 16 वर्ष पहले नल-जल योजना का संचालन शुरू किया गया था। यहां से ग्राम बिछुआ, आवासटोला, मुर्गाटोला और केवलारी टोला को भी पेयजल सप्लाई का कार्य किया जाना था। यहां पाइपलाइन भी बिछाई गई है, लेकिन पानी की सप्लाई नहीं हो पा रही है। पाइप लाइन गहराई में नहीं बिछाई है। जिससे पानी नहीं पहुंच पाता हैं। जिससे ग्रामीणों को अन्य जलस्त्रोत से पानी के लिए भटकना पड़ता है। ग्रामीण हैंडपंप और अन्य जलस्त्रोत से पानी ला रहे हैं। जिससे उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर, मंडला से मामले की जांच कराकर की गई कार्यवाही के संबंध में प्रतिवेदन तीन सप्ताह में मांगा है।
रेफर केस जबलपुर ले जाने से एम्बुलेंस चालक ने किया मना
मंडला जिले के सिविल अस्पताल नैनपुर में अव्यवस्थाओं का खमियाजा मरीज व उनके परिजन भुगत रहे हैं। शिकायतों के बाद 16 नवंबर को सीएमएचओ सिविल अस्पताल पहुंचे। इसी समय पीडि़त महिला अवसाद से ग्रसित थीऔर उन्होंने उपचार में चल रही दवा का अधिक सेवन कर लिया था। जिसे सिविल अस्पताल में परिजनों ने भर्ती कराया। तत्कालीन उपचार के बाद मरीज की हालत को देखते हुए बीएमओ ने बीते शनिवार को करीब दो बजे जबलपुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। सिविल अस्पताल में पदस्थ वाहन चालक ने उस समय मरीज को जअलपुर अस्पताल ले जाने से मना कर दिया। स्थानीय लोगों का कहना है कि इसके पहले भी अनेक मामले सामने आए जिसपर वाहन चालक अपनी मनमर्जी से मरीज को लाना लेजाना किया करते हैं। बीते शनिवार को सीएमएचओ स्वयं नैनपुर सिविल अस्पताल में उपस्थित रहे। उनके आदेश का पालन भी नहीं किया। वाहन चालक ने यह कह दिया कि उसने जबलपुर का रास्ता नहीं देखा है। दूसरा चालक को बुलाया गया तब जाकर गंभीर हालत के मरीज को जबलपुर अस्पताल पहुंचाया गया लेकिन तब तक काफी देर हो गई और गंभीर हालत में रही महिला की जबलपुर अस्पताल में मृत्यु हो गई। मामले में संज्ञान लेकर कलेक्टर एवं सीएमएचओ, मंडला से मामले की जांच कराकर की गई कार्यवाही के संबंध में प्रतिवेदन तीन सप्ताह में मांगा है।
खलिहान में रखी धान की फसल में लगी आग
मंडला जिले के ग्राम सुभरिया झंडा चौक में मंडला पिंडरई मार्ग के समीप स्थित मकान के पीछे बीते सोमवार को दोपहर करीब 2 बजे एक किसान के खलिहान में अचानक आग लग गई। जिससे खलिहान में रखे धान के ढेर (खरी) जलकर राख हो गए। आग इतनी भीषण थी कि देखते ही देखते धान की 4 बड़ी-बड़ी खड़ी जलकर राख हो गयी। स्थानीय युवाओं और नागरिकों ने कड़ी मेहनत कर आग पर काबू में करने की कोशिश भी किया गया लेकिन नाकामयाब रहे। जानकारी मिलते ही (फायर ब्रिगेड) अग्निशमन सेवा घटनास्थल पर पहुंचकर आग पर काबू पाया। ग्राम सुभरिया निवासी किसान ने खेतों में फसलों की रोपाई से लेकर कटाई तक कड़ी मेहनत की थी। फसल कटाई के बाद वह अपने खलिहान में धान को गहाई मिसाइ के लिए रखा था। खलिहान में अचानक आग लग जाने से लगभग 80 फीसदी से अधिक धान जलकर राख हो गयी। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर, मंडला से मामले की जांच कराकर पीडि़त किसान को हुई क्षति के संबंध में शासन की योजना/नियमानुसार देय आर्थिक मुआवजा राशि के संबंध में प्रतिवेदन एक माह में मांगा है।
हॉस्टल अधीक्षक आदिवासी बच्चों से लगवा रहा झाडू-पोछा और मंजवा रहा बर्तन
मंडला जिले में एक हॉस्टल में हॉस्टल अधीक्षक द्वारा बच्चों से हॉस्टल के काम करवाने का मामला सामने आया है। मीडिया रिपोर्ट में एक तस्वीर में हॉस्टल में रह रहे आदिवासी बच्चों से वहां के अधीक्षक द्वारा झाडू लगवायी जा रही है तथा पोछा भी लगवाया जा रहा है। साथ ही हॉस्टल के गंदे बर्तन भी आदिवासी बच्चों से मंजवाये जा रहे है। हॉस्टल के अधीक्षक आदिवासी बच्चों के माता-पिता के सपनों में पानी फेरते नजर आ रहा है। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर, मंडला से मामले की जांच कराकर की गई कार्यवाही के संबंध में प्रतिवेदन तीन सप्ताह में मांगा है।