दिनों दिन प्रदूषित हो रही मां नर्मदा: एनजीटी का 63 लाख का जुर्माना और जल संरक्षण की अनदेखी

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मंडला (मध्य प्रदेश):
मध्य प्रदेश की जीवनरेखा मानी जाने वाली मां नर्मदा, जो मंडला की पवित्र भूमि माहिष्मती नगरी को अपने जल से सींचती है, आज गंभीर प्रदूषण के संकट से जूझ रही है। नर्मदा नदी के घाटों की दुर्दशा और जल में लगातार बढ़ते प्रदूषण के चलते स्थानीय जनता और पर्यावरणविदों में गहरी चिंता व्याप्त है।
घाटों की खस्ता हालत और प्रदूषण का आलम
माहिष्मती नगरी के घाट, जो कभी धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के केंद्र हुआ करते थे, आज उपेक्षा का शिकार हैं। पुराने घाटों की मरम्मत और संरक्षण कार्य ठप पड़ा है। नए घाटों के निर्माण की दिशा में कोई प्रयास नहीं हो रहे हैं। इन खस्ताहाल घाटों के साथ-साथ नर्मदा के जल में गंदगी भरे नालों का सीधा प्रवाह, प्रदूषण को और बढ़ा रहा है।
स्वच्छता और संरक्षण के नाम पर योजनाएं तो बनती हैं, लेकिन उनका क्रियान्वयन ठोस रूप से नहीं हो पाता। स्वच्छ भारत मिशन के तहत चल रही योजनाओं के बावजूद, मां नर्मदा में गंदगी का अंबार बढ़ता जा रहा है।
एनजीटी ने कसा शिकंजा
नर्मदा में लगातार बढ़ते प्रदूषण को लेकर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने सख्त कार्रवाई की है। मंडला नगर पालिका परिषद सहित 12 निकायों पर कुल 63 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है। एनजीटी ने स्पष्ट किया है कि दिसंबर 2025 तक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का कार्य पूरा होना चाहिए। वर्तमान में, अधूरी योजनाओं और लापरवाही के चलते गंदा पानी सीधे मां नर्मदा में समाहित हो रहा है, जिससे नदी का प्रदूषण स्तर खतरनाक स्थिति में पहुंच चुका है।
शासन-प्रशासन की उदासीनता
स्थानीय प्रशासन की लापरवाही और अनदेखी ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का कार्य धीमी गति से चल रहा है। जिम्मेदार अधिकारियों और विभागों की निष्क्रियता के कारण, जनाक्रोश बढ़ता जा रहा है। नागरिकों का मानना है कि प्रशासन को अब शर्मिंदा होकर नर्मदा संरक्षण के लिए तत्परता दिखानी चाहिए।
जन अपेक्षाएं और समाधान के सुझाव
स्थानीय जनता और पर्यावरण प्रेमियों की मांग है कि नर्मदा के प्रदूषण को रोकने के लिए कठोर कदम उठाए जाएं।
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का कार्य तेज गति से पूरा हो।
नालों के प्रवाह को रोकने के लिए उचित तकनीकी उपाय किए जाएं।
घाटों का संरक्षण और सौंदर्यीकरण किया जाए।
सख्त नियम लागू कर गंदगी फैलाने वालों पर कार्रवाई की जाए।
स्थायी और प्रभावी योजना बनाकर नर्मदा के विकास और संरक्षण को प्राथमिकता दी जाए।
जन आस्था का केंद्र: मां नर्मदा
मां नर्मदा केवल एक नदी नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र है। धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय महत्व रखने वाली यह नदी, मध्य प्रदेश और गुजरात की जीवनरेखा है। नर्मदा का स्वच्छ और निर्मल रहना न केवल स्थानीय जनता, बल्कि पूरे देश के लिए आवश्यक है।
अंतिम आह्वान
यह समय है कि शासन-प्रशासन और जनता मिलकर मां नर्मदा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए ठोस और सामूहिक प्रयास करें। मां नर्मदा की रक्षा केवल एक पर्यावरणीय मुद्दा नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अनमोल धरोहर को बचाने का संकल्प है।
– रिपोर्ट: रेवांचल टाइम्स

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