खूंटी में टंगी स्थानांतरण नीति: मंडला जिले में प्रशासनिक लापरवाही पर नागरिकों का बढ़ता आक्रोश
मंडला (मध्य प्रदेश):
मध्य प्रदेश के मंडला जिले में स्थानांतरण नीति के सही क्रियान्वयन की अनदेखी ने शासन-प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। नागरिकों का आरोप है कि स्थानांतरण नीति को केवल कागजों तक सीमित रखा गया है और व्यवहारिक रूप से इसे “खूंटी पर टांग” दिया गया है। स्थानीय पदस्थापना और वर्षों से स्थानांतरण न होने के कारण जिले में मनमानी का माहौल बन गया है।
स्थानीय पदस्थापना: एक गंभीर समस्या
मंडला जिले के विभिन्न शासकीय विभागों में कर्मचारियों और अधिकारियों को उनके ही गृह क्षेत्र में पदस्थ करने की परंपरा ने नागरिकों को नाराज कर दिया है। मंडला नगर, जनपद पंचायत नैनपुर और राजस्व कार्यालय में कई ऐसे अधिकारी और कर्मचारी पदस्थ हैं, जो इन क्षेत्रों के स्थायी निवासी हैं।
यह स्थिति कार्यप्रणाली में पक्षपात और अनियमितता को बढ़ावा दे रही है। स्थानीय स्तर पर नियुक्ति होने से कर्मचारियों और अधिकारियों पर प्रभावी नियंत्रण नहीं रह पाता, जिससे प्रशासनिक पारदर्शिता और निष्पक्षता पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
स्थानांतरण नीति की अनदेखी: प्रशासनिक निष्क्रियता
सूत्रों के अनुसार, मंडला जिले के लगभग सभी शासकीय विभागों में वर्षों से स्थानांतरण की प्रक्रिया ठप पड़ी है। कई अधिकारी और कर्मचारी “अंगद के पैर” की तरह जिले में जमा हुए हैं और स्थानांतरित होने का नाम नहीं ले रहे।
नागरिकों का कहना है कि स्थानांतरण नीति का पालन सुनिश्चित न करना शासन-प्रशासन की लापरवाही को दर्शाता है। जनता का आरोप है कि स्थानीय पदस्थापना से विभागीय स्वार्थ और मनमानी बढ़ गई है।
नागरिकों की बढ़ती नाराजगी और आंदोलन की चेतावनी
नागरिकों ने खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर की है और मांग की है कि:
स्थानांतरण नीति का सख्ती से पालन हो।
स्थानीय निवासियों को उनके गृह जिले से अन्यत्र स्थानांतरित किया जाए।
विगत कई वर्षों से जिले में पदस्थ कर्मचारियों-अधिकारियों को तत्काल अन्य जिलों में भेजा जाए।
हर विभाग में स्थानांतरण की प्रक्रिया की समीक्षा और जांच हो।
नागरिकों ने चेतावनी दी है कि यदि इस मुद्दे पर शीघ्र निर्णय नहीं लिया गया, तो जिले में आंदोलन भड़क सकता है।
प्रशासनिक जवाबदेही की मांग
जनता का कहना है कि स्थानांतरण नीति का पालन न करना प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाता है। एक ही स्थान पर वर्षों तक कार्यरत कर्मचारी-अधिकारियों का प्रभाव बढ़ जाता है, जिससे भ्रष्टाचार और पक्षपात को बढ़ावा मिलता है। नागरिकों ने शासन से मांग की है कि वह इस विषय पर गंभीरता से विचार कर कठोर कदम उठाए।
क्या हो सकता है समाधान?
स्थानांतरण नीति को समयबद्ध तरीके से लागू किया जाए।
स्थानीय पदस्थापना की प्रथा को पूरी तरह समाप्त किया जाए।
नियमित रूप से कर्मचारियों और अधिकारियों के स्थानांतरण की प्रक्रिया सुनिश्चित की जाए।
जनता की शिकायतों के आधार पर त्वरित कार्रवाई की जाए।
मंडला जिले में स्थानांतरण नीति का पालन न होना शासन-प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। स्थानीय पदस्थापना और मनमानी के कारण जनता का भरोसा प्रशासन से उठता जा रहा है। यदि प्रशासन समय रहते इन समस्याओं का समाधान नहीं करता, तो भविष्य में आंदोलन की स्थिति बन सकती है।
– रिपोर्ट: रेवांचल टाइम्स