कार्यकारिणी भंग होने का प्रश्न ही नहीं : कर्मचारी संघ कर्मचारी संघ द्वारा प्रेस विज्ञप्ति जारी कर किया खण्डन….
रेवांचल टाईम्स – रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय शैक्षणेत्तर कर्मचारी संघ की कार्यकारिणी का प्रत्येक पदाधिकारी चाहे वह अध्यक्ष हो या उपाध्यक्ष , महासचिव हो या संयुक्त सचिव! सभी का वैयक्तिक चुनाव संघ संविधान अनुसार विश्वविद्यालय के कर्मचारियों द्वारा किया गया है। कुछ कार्यकारिणी सदस्यों मात्र के इस्तीफा दे देने से संघ की कार्यकारिणी भंग होने का प्रश्न ही नहीं उठता। संघ के अध्यक्ष, दो उपाध्यक्ष, महासचिव, संयुक्त सचिव सहित 03 कार्यकारिणी सदस्य कर्मचारियों के हित संरक्षण हेतु दृढ़संकल्पित हैं। संघ की कार्यकारिणी निर्बाध रूप से संविधान अनुसार एक वर्ष का कार्यकाल पूर्ण होने तक यथावत् कार्य करेगी। कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों द्वारा संयुक्त रूप से प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कार्यकारिणी के भंग होने का खण्डन करते हुए संयुक्त सचिव रजनीश पाण्डेय द्वारा इस्तीफा दिये जाने का भी खण्डन किया। कर्मचारी संघ के अध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह पटेल और महासचिव राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि कार्यकारिणी सदस्यों द्वारा दिया गया इस्तीफा, उन कर्मचारियों के साथ कुठाराघात है जिन्होनें उन्हें चुना था।
क्यों हो रहा है संघ द्वारा सौंपे गये 6 करोड़ के ज्ञापन का विरोध
संघ के अध्यक्ष और महासचिव द्वारा अवगत कराया गया कि कुछ कर्मचारी नेता के सत्ता मोह के चलते चुनाव टालना चाहते थे, जिसके चलते वर्ष 2024 की कार्यकारिणी के चुनाव प्रतिवर्षानुसार जनवरी में ना होकर मार्च में आयोजित हुए। तत्कालीन अध्यक्ष प्रेम पुरोहित की सक्रिय भूमिका के कारण आचार संहिता के ठीक पूर्व चुनाव आयोजित हुए। समस्या यह है कि चुनाव में हारे हुए कुछ कर्मचारी नेता चुनाव परिणाम को पचा नहीं पा रहे हैं।
चुनाव के तुरंत बाद से ही विश्वविद्यालय के सबसे जिम्मेदार नेता, जिन्होंने चुनाव में अपना खुला समर्थन हमें दिया था, ने अपने पुत्र को प्रोफेसर की भर्ती करवाने के स्वार्थ में अपना पाला बदल लिया, जिसमें विश्वविद्यालय के प्रमुख प्रशासनिक अधिकारी ने भूमिका निभाई। वे हमारे पास एक अजीब प्रस्ताव लेकर आये, जिसके अनुसार श्री पुरोहित को संघ की कार्यकारिणी से बाहर करो, उनके स्थान पर उस व्यक्ति को शामिल करो, जिसे कर्मचारियों ने कार्यकारिणी सदस्य चुनने सेे भी नकार दिया। प्रस्ताव किसी स्थिति में स्वीकार करने योग्य नहीं था, इसलिये हमने सिरे से खारिज कर दिया, जिससे नाराज होकर उन्होंने मनोनीत कार्यकारिणी सदस्य से त्यागपत्र दे दिया।
वे अपनी कार्यप्रणाली से लगातार यह सन्देश दे रहे हैं कि वे जिसे चाहेंगें, उसे ही संघ का अध्यक्ष-महासचिव बनायेंगें और वे जैसे चाहेंगें वैसे ही संघ चलायेंगें और यदि संघ उनके अनुसार नहीं चलेगा तो संघ और कर्मचारियों का विरोध करेंगें। वे कभी अध्यक्ष को भड़काने का प्रयास करते हैं, तो कभी महासचिव को… और कभी वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री राजेन्द्र कुशवाहा को। ऐसा कर उनके द्वारा संघ में फूट डालने का प्रयास किया गया किन्तु ऐसा करने में जब विफल रहे तो कुछ कार्यकारिणी सदस्यों को अपने प्रभाव से इस्तीफा दिलवा दिया गया है।
विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा भवनों की मरम्मत के नाम पर कागजों में 6 करोड़ खर्च किये, लेकिन कर्मचारियों के आवासों की हालत जर्जर है। अधिकारियों को कई माह से जर्जर आवासों का निरीक्षण करने कहा गया, लेकिन वे सुनने को तैयार नहीं है। बैकलाग कर्मचारियों के समयमान के आदेश पर अनायास रोक लगा रखी है। प्रशासन द्वारा शासकीय वाहनों का दुरूपयोग कर विश्वविद्यालय को आर्थिक क्षति पहुंचाई जा रही है। भ्रष्टाचार को पोषित करने वाले कर्मचारियों पर विश्वविद्यालय के प्रमुख प्रशासनिक अधिकारी का पूरा वरदहस्त है। संघ द्वारा दिये प्रत्येक प्रस्ताव पर प्रशासन का टालमटोल करना, बहानेबाजी करना लगातार जारी है।
संघ के समस्त पदाधिकारियों का एकमतेन मत है कि आगामी 04.06.2024 से आचार संहिता समाप्त होने के बाद कर्मचारियों के आवासों की मरम्मत, श्रमसाध्य भत्ते के भुगतान, समयमान एरियर भुगतान सहित समस्त प्रकरणों के त्वरित निराकरण हेतु संघ को कार्यवाही करना अत्यावश्यक है, किन्तु कर्मचारी विरोधी नेता अपनी स्वार्थपूर्ति के लिये संघ का विरोध कर रहे हैं।
कर्मचारी संघ यह भी स्पष्ट कर देना चाहता है कि संघ को विश्वविद्यालय की छवि का पूर्ण संज्ञान है। आगामी नैक टीम के आगमन और विश्वविद्यालय के आर्थिक हितों को दृष्टिगत रखते हुए प्रशासन के दुर्व्यवहार के बाद भी सहयोग हेतु प्रतिबद्ध है।