कीटाणु नाशक औषधीय पौधों का हुआ रोपण…

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रेवांचल टाईम्स – मण्डला,ऑक्सीजन वृद्धि करने तथा कीटाणु नाशक औषधीय पौधों का रोपण परंपरागत ग्रामीण चिकित्सक संघ तथा सत्य सांई समिति मंदिर बम्हनी बंजर तथा बिंझिया में किया गया। नीम, पीपल, काली हल्दी जैसे प्राकृतिक किटाणु नाषक मुनगा, तुलसी, मीठी नीम जैसे प्राकृतिक एष्टी ऑक्सीडेंट। गिलोय, बिदारीकंद, विधारा जैसे नेचुरल हर्बल इम्युनिटी बूस्टर पौधों का रोपण हुआ। परंपरागत ग्रामीण चिकित्सक संघ के अध्यक्ष डॉ. आर.पी. सिंह ने बताया कि हमारी प्राचीन चिकित्सा प्रणाली हर प्रकार के रोगों का निदान करने में समर्थ है, तथा हमारी परंपरागत चिकित्सा प्रणाली में निर्मित औषधियों का कोई साइड इफेक्ट नहीं है। आवश्यकता है कि वन पर्यावरण विभाग, कृषि विभाग, आयुष विभाग राज्य तथा केन्द्र शासन दोनों स्तर से अधिक से अधिक औषधीय पौधों के रोपण तथा भंडारण तथा औषधीय निर्माण व विक्रय के नियम वर्तमान समय अनुसार परिवर्तित करने का आदेश जारी करें। सर्जरी की उत्पति आयुर्वेद से हुई है इसका प्रमाण सुश्रुत संहिता है। हम यह मांग ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया तथा आयुष विभाग से राज्य तथा केन्द्र दोनों स्तर पर लगातार 2 वर्ष से कर रहे है कि आयुष पद्धतियों के लिए ड्रग एण्ड कॉस्मेटिक एक्ट 1945 से हटकर आयुष पद्धति की औषधियों के निर्माण का पृथक कानून बनाया जाये तथा मेजिकल रेमेडी एक्ट 1954 (आपत्ति जनक विज्ञापन अधिनियम) आयुष पद्धति के चिकित्सकों को 54 प्रकार की बीमारियों के उपचार के प्रचार-प्रसार पर रोक लगाता है जबकि सभी बीमारियों का ईलाज आयुष पद्धतियों में है यह कानून परिवर्तित या रद्द किया जाना चाहिए ताकि आज जनता को बिना किसी साईड इफेक्ट के कैंसर, डायबिटिज, सिकलसेल, हृदयरोग, मस्तिष्क रोग तथा अन्य रोगों का ईलाज अधिक से अधिक मिल सके।

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