भारत की जनता ने दिया मजबूत विपक्ष का जनादेश…

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रेवांचल टाईम्स – भारत दुनियां का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। विशाल होने के साथ भारतीय लोकतंत्र की अनेकों विशेषताएं भी है। हर पांच साल में चुनाव के माध्यम से जनता राष्ट्रीय सरकार चुनती है। देश की चुनी हुई सरकार का नैतिक दायित्व है की वह जनता की मौलिक जरूरतों को पूरी करने का प्रयास करें। नागरिकों के सामाजिक, आर्थिक हालातों की बेहतरी के उपाय निरंतर करती हुई दिखाई देवें। देश आवाम को भारत के संविधान ने मत देने का मूलभूत अधिकार दिया है। हर पांच साल में अपने वोट की ताकत से देश की जनता सरकार बनाती बिगाड़ती है। संविधान द्वारा प्रदत्त वोट देने का अधिकार जनता की असली ताकत है। जनता की इसी ताकत का नाम जनादेश है।
वर्ष 2024 में 17 वीं लोकसभा का अवसान और 18 वीं लोकसभा के गठन की प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है। 4 जून को 542 लोकसभा सीटों की मतगणना सम्पन्न हुई। गुजरात की सूरत लोकसभा सीट पर एक मात्र उम्मीदवार होने के कारण यहां मतगणना की आवश्यकता नहीं पड़ी। वर्ष 2024 का जनादेश वर्ष 2014 और 2019 के जनादेश से अलग प्रतिध्वनि उत्पन्न करने वाला दिखाई दे रहा है। विगत दो चुनावों से विलग इस बार जनता ने मजबूत विपक्ष का जनादेश दिया है। जनतंत्र में मजबूत विपक्ष की आवश्कता से इंकार नहीं किया जा सकता है। संसदीय लोकतंत्र के सुचारू संचालन के लिए जिम्मेदार विपक्ष एक महत्वपूर्ण और जरूरी शर्त है। कोई भी सरकार मजबूत विपक्ष के बिना लंबे समय तक सुरक्षित नहीं रह सकती। संसदीय शासन प्रणाली में विपक्ष की भूमिका सरकार में आने की तैयारी करना ही नहीं होनी चाहिए, बल्कि सत्ता में मौजूद सरकार की किसी भी मनमानी प्रवृत्ति को रोकना भी होनी चाहिए। एक प्रभावी विपक्ष सत्ता में मौजूद पार्टी के संबंध में एक संयमित भूमिका निभाता है, उसे अपनी कार्यात्मक सीमाओं का उल्लघंन करने से रोकता है और साथ ही एक व्यावहारिक विकल्प का वादा करके लगातार चुनौती पेश करता है। भारत में विगत दो लोकसभा चुनाव में देश की जनता ने मजबूत सत्ता पक्ष और कमजोर विपक्ष का जनादेश दिया था। इसके उलट 2024 का जनादेश संयमित सत्ता पक्ष और मजबूत विपक्ष का जनादेश दिखाई दे रहा है। यह भारत के जनतंत्र की महत्वपूर्ण विशेषता ही है की देश की आवाम ने वर्ष 2014 एवं 2019 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी को मजबूत बहुमत से नवाजा था। वर्ष 2024 के चुनाव में भाजपा को बहुमत से 32 सीटें दूर रखा। भाजपा को अकेले 240 लोकसभा सीटों पर विजय प्राप्त हुई जबकि एनडीए गठबंधन को 293 सीटें प्राप्त हुई। भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनी। अकेले भाजपा को बहुमत नहीं मिला। जबकि भाजपानीत एनडीए गठबंधन को देश की सत्ता पर काबिज होने का जनादेश भारत की आवाम द्वारा दिया गया। इसके विपरित कांग्रेसनित इंडिया गठबंधन को 233 सीटें प्राप्त हुई जिसे मजबूत विपक्ष की जवाबदेही देश के मतदाताओं ने सौंपी है। भारत के जनतंत्र की विशालता का अनुमान भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के बयान से मिलता है। उन्होंने बताया लोकसभा चुनाव 2024 में 65.79% मतदान दर्ज किया गया। देश के 64.2 करोड़ मतदाताओं ने अपने वोटिंग के अधिकार का प्रयोग किया। उनके अनुसार यह अपने आप में विश्व रिकार्ड है। यह सभी जी–7 देशों के मतदाताओं से 1.5 गुणा और यूरोपीय संघ के 27 देशों के मतदाताओं से 2.5 गुणा है। निश्चित रूप से लोकतंत्र की विशेषताओं के अनुरूप विशाल क्षेत्रफल में फैले भारत देश के विभिन्न प्रदेशों में चरणबद्ध रूप से चुनावी प्रक्रिया को सफलता पूर्वक कराने की जवाबदेही देश के चुनाव आयोग ने निभाई है। देश के मतदाताओं ने भी बड़ी संख्या में अपने मताधिकार का प्रयोग किया है। जनता के द्वारा दिया गया जनादेश मजबूत और ताकतवर विपक्ष के पक्ष में दिखाई दे रहा है। 9 जून को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एनडीए गठबंधन के नेता के रूप में शपथ लेने जा रहें है। प्रधानमंत्री के रूप में उनका तीसरा कार्यकाल पूर्व के दो कार्यकालों से कुछ मायने में अलग होने जा रहा है। इस कार्यकाल में उन्हें गठबंधन धर्म का पालन करना होगा। गठबंधन के साथी दलों के साथ साझा कार्यक्रम बनाने होगें। गठबंधन के साझेदार दलों की अपनी विचारधाराएं है। उनके प्रांतों के अपने एजेंडे और घोषणाएं है। नवगठित सरकार के सामने एक मजबूत विपक्ष होगा जो जनता के जनादेश से चुना गया है। देश की नज़र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे और चुनौती भरें कार्यकाल की तरफ तो होंगी ही, देश की आवाम विपक्ष के कार्यकलापों की ओर भी आशा पूर्ण नजरों से देख रहा है। साल 2024 के लोकसभा चुनाव के परिणामों ने मीडिया द्वारा बताए एक्जिट पोलो की भी पोल खोलकर रख दी। एक्जिट पोल इतने अविश्वनीय कभी नजर नहीं आए जितने झूठे, अविश्वनीय और जमीनी हकीकत से दूर 2024 के चुनाव परिणामों के बाद दिखाई दिए। इस जनादेश ने अनेकों धारणाओं को तोड़ा है। प्रजातंत्र की खूबसूरती को काबिज किया है। यह प्रतिस्थापित करने का प्रयास किया है की जन अपेक्षाओं की उपेक्षा नहीं की जा सकती है। जनता के बुनियादी सवालों पर सरकार और विपक्ष दोनों को ध्यान देना होगा। परिणामों के बाद अनेकों आमलोगों की प्रतिक्रिया सामने आई अधकांश ने इसे मजबूत विपक्ष का जनादेश बताया है। देश की नवगठित सरकार को जनता से जुड़ी मंहगाई, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोटी, कपड़ा और मकान की समस्याओं को प्राथमिकता देते हुए आम आदमी के जीवन में खुशहाली लाने की कोशिश करना चाहिए। देश के विपक्ष को भी सरकार का इन समस्याओं की ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुए। अपनी भूमिका का ईमानदारी से निर्वहन करना होगा। सत्ता पक्ष को देश की सरकारी एजेंसियों का उपयोग राजनीतिक लाभ, हानि के रूप में करने के बजाए भष्ट्राचार पर लगाम लगाने के लिए करना चाहिए। सरकारी एजेंसियों की एक पक्षीय कार्यवाहियों की प्रतिक्रिया भी जनादेश में सुनाई दे रही है। देश के राजनैतिक दलों को इस चुनाव से यह सबक लेना चाहिए की जनता जोड़तोड़ की राजनीति को नापसंद करती है। क्षेत्रीय दलों को तोड़ने प्रांतीय सरकारों को गिराने, भ्रष्ट नेताओं को राजनैतिक संरक्षण दिया जाना देश की आवाम को कभी नहीं सुहाता है। प्रजातंत्र के इस महोत्सव में देश के मतदाताओं ने अपने वोट के अधिकार का उपयोग कर जिन्हे सत्ता सौंपी उन्हें भी नियंत्रण में रखा और विपक्ष को भी मजबूत किया है। आशा है सरकार और विपक्ष अपनी जवाबदेही पांच साल ईमानदारी पूर्वक निभाएंगे। हर चुनाव की तरह इस बार भी देश का लोकतंत्र विजय हुआ है। जनादेश तो कुछ ऐसा ही दिखाई पड़ रहा है।
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नरेंद्र तिवारी

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