आवारा मबेशियो का चारागाह बनकर रह गई तहसील परिसर की बगिया एक ओर पौधा रोपण अभियान,दूसरी ओर लगे पौधो को नुकसान…
दैनिक रेवांचल टाइम्स – बजाग, एक तरफ सरकार पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अभूतपूर्व कदम बढ़ा रही हैं साथ ही प्रकृति को बचाने पुरजोर कवायद की जा रही है इसके लिए लगातार देश और प्रदेश में पौधा रोपण अभियान चलाए जा रहे है स्वयं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व। पर्यावरण दिवस के अवसर पर एक पौधा मां का नाम अभियान की शुरुवात की थी इस हेतु सभी शासकीय एवं अशासकीय कार्यालयों संस्थानों में अभियान चलाकर पौधो का रोपण किया जा रहा हैं वही दूसरी और बजाग तहसील कार्यालय भवन परिसर में स्थित लाडली लक्ष्मी वाटिका में रोपे गए सैकडो पौधो को आवारा मवेशियों से चराने का काम किया जा रहा हैं विगत वर्षो में तहसील कार्यालय भवन के पीछे खाली पड़े मैदान में कई अवसरों पर वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन कर सैकडो की संख्या में पौधे रोपे गए थे मैदान को हरा भरा बनाने की कल्पना कर बागवानी बनाने के उद्देश्य से लगाए गए पौधे अब देखरेख के अभाव में आवारा मवेशियों का भोजन बन रहे है प्रतिदिन आवारा मबेशियों के द्वारा परिसर में घुस कर लगे लगाए पौधो को नष्ट किया जा रहा हैं यहां लगाए हुए सैकडो पौधे अब विलुप्त होने की कगार पर हैं लाडली लक्ष्मी वाटिका अब सिर्फ और सिर्फ घास का मैदान नजर आने लगी है पौधा रोपण के पुनीत अवसर पर जिन जिम्मेदारो ने पौधे के संरक्षण का बीड़ा उठाया था उनका दूर दूर तक अता पता नहीं है। लगभग एक वर्ष पूर्व संयुक्त तहसील भवन के लोकार्पण अवसर पर यहां विशिष्ट अथितियों की उपस्थिति में ब्रक्षारोपण कार्यक्रम संपन्न हुआ था बड़े ही जोर शोर और उत्साह पूर्वक फलदार और अन्य प्रजातियों के पौधो का रोपण किया गया था जिसके नाम पर शासन का पैसा भी खर्च किया गया। लोकार्पण के मौके पर तत्कालीन केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंग कुलस्ते ने भी स्वयं इस वाटिका में पौधा रोपण किया था इसके अलावा कई मौके पर यहां पर पौधे लगाए गए।परंतु आज पर्यंत यह बगिया दुर्दशा का शिकार हो चुकी हैं विडंबना यह भी है की तहसील भवन में संचालित विभिन्न कार्यालयों में पदस्थ अमले का ध्यान भी इस ओर नही है जबकि सरकार द्वारा चलाए जा रहे वृक्षारोपण अभियान में इन्हे विशेष जवाबदारी तक सौंपी जाती हैं कार्यालय प्रमुख भी पौधा रोपण और पर्यावरण जागरूकता के कई अभियान में शामिल होते है इसके बाबजूद लाडली लक्ष्मी वाटिका के पौधे के संरक्षण पर किसी का ध्यान नहीं है