जानकारी देने से क्यों कतरा रहे है कृषि विभाग
आख़िर क्यों नही दी जा रही सूचना अधिकार में राशि जमा करने के बाद जानकारी 3 माह बीत चुके है फिर भी नही दी जा रही जानकारी....
रेवांचल टाईम्स – मंडला, जिले के उपसंचालक कृषि विभाग में आरटीआई अधिनियम एक खिलौने की तरह समझा जा रहा हैं, आख़िरकार सरकार की योजनाएं कहाँ क्रियान्वयन हो रही किसानों को क्या फायदा हो रहा हैं, यह जानकारी जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी सार्वजनिक करने से क्यों कतरा रहे है और मांग की गई जानकारी कि राशि जमा के बाद भी नही दी जा रही जानकारी, अधिनियम की उड़ाई जा रही है धज्जियां…
मंडला, आदिवासी बाहुल्य जिला मंडला जो कि आये दिन सुर्खियों में बना हुआ है जहाँ पर आए दिन विभागों के द्वारा सरकारी धन में लाखों करोड़ों के गबन एवं भ्रष्टाचार के खुलासों हो रहे है सरकार के द्वारा सरकारी धन ग़रीबो पिछड़ो के लिए केन्द्र और राज्य सरकार बराबर सरकारी कार्यालय में योजनाओं के माध्यम से पहुँचा रही है पर वर्षों से गिध्द की तरह सरकारी खजानों को नोचने के लिए अधिकारी कर्मचारी बैठे हुए हैं जो सरकारी धन को नोच नोंच कर भ्रस्टाचार, ग़बन कर रहे है और ग़रीबो के हक में डाका डाल रहे हैं।
अधिनियम की सरकारी अधिकारी कर्मचारी उड़ा रहे धज्जियाँ
वही भारतीय संसद के द्वारा भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने हेतु एक नया कानून पारित किया गया सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 को यह कानून पारित कर केन्द्र सरकार के द्वारा भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेंकने तथा प्रशासन एवं आमजन के बीच पारदर्शिता लाने हेतु सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 को लागू किया गया है।जिसका प्रचार-प्रसार जोर शोर से किया गया वह अब धीरे-धीरे अपनी गति पकड़ते हुए नजर आते ही उसमें भ्रष्टाचारी, ग़बन करने वाले और अपने पद का दुरुपयोग करने वाले जिम्मेदार अधिकारियों एवं कर्मचारियों की मनमानी पर ग्रहण लगते हुए नजर दिखाई देने लगा है।
मण्डला जिला एक आदिवासी बाहुल्य जिला है जहां नियमावली के विरुद्ध वर्षों से जिले के शासकीय दफ्तरों में बाहर से आये अधिकारी-कर्मचारियों के द्वारा अपनी मनमर्जी से अपना सिक्का जमाए बैठे हुए इस पर कार्यवाही करके जानकारी न देने से बचने के लिए मनगढ़त नियमों के तहत आवेदकों को हलाकान परेशान करने के लिए नए रास्ते तलाश कर रहे है, और सूचना अधिकार अधिनियम में जानकारी न देने के लिए तरह तरह के गुणा भाग में लगे रहते है,
वही ज्ञात हो विगत दिनों उपसंचालक कृषि कल्याण कार्यालय मंडला में RTI कार्यकर्ता के द्वारा कार्यालय से सूचना अधिकार के आवेदन के माध्यम से निम्न बिंदुओं में जानकारी की मांग दिनांक 17/05/2024 को की थी।
आवेदक के द्वारा माँग की गई वांछित जानकारी सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 अंतर्गत कार्यालय उपसंचालक कृषि कल्याण विभाग मंडला से माँग की जानकारी प्रदाय करने हेतु कार्यालय से डाक के माध्यम से आवेदक को एक पत्र जारी किया गया जिसमे आवेदक को वांछित सूचना / अभिलेखों हेतु लागत या प्रभार्य जमा करने सूचना पत्र दिनांक 10/06/2024 आवेदक को भेजा गया जिसमें छः हज़ार की राशि कार्यालय में जमा करने हेतु जारी किया गया उक्त पत्र में न ही पृष्ठ की संख्या थी और न ही लोक सूचना अधिकारी के द्वारा आवेदक द्वारा माँग की गई बांछित जानकारी बिना गणना करते हुए और मनमाने रवैया के चलते आवेदक को अत्यधिक राशि का पत्र नियम विरुद्ध पहुँचा दिया गया।
कार्यालय से जानकारी प्रदाय के लिए माँग की राशि जमा के बाद भी क्यों नही दी जा रही जानकारी
वही कार्यालय से जारी पत्र आवेदक को साधारण डाक के माध्यम से पहुँचा था जो कि लम्बे समय के पश्चात प्राप्त हुआ जैसे ही आवेदक को कार्यालय से जारी पत्र प्राप्त हुआ कार्यालय द्वारा माँग की गई राशि जमा करने हेतु कार्यालय पहुँचा तो लोक सूचना अधिकारी के द्वारा राशि जमा न करते हुए तरह तरह के बहाने बनाने लगे कार्यालय से जारी पत्र में स्पस्ट लिखा हुआ था कि राशि शासकीय मद 0401-00-800-0000 में जमा करें जब उनसे राशि जमा करने को आवेदक के द्वारा कहा गया तो उनका कहना था कि जो मद दिया गया है, उसमें राशि जमा करे या फ़िर हेड नम्बर में जमा करे जबकि जारी पत्र में हेड नम्बर दिया ही नही गया था जब सरकारी हेड नम्बर की जानकारी लेना चाही तो कहने लगे कि नगद जमा कर दे और जब नगद जमा करने लगे तब कहने लगे कि अभी साहब नहीं आप बाद में राशि जमा कर देना जल्दी क्या हैं आवेदक द्वारा बार बार कहने पर दो दिन बाद कार्यालय का राशि जमा करने के लिए हेड नम्बर दिया गया और जानकारी प्राप्त करने के लिए आवेदक हैड लेकर ऑनलाइन चालान जमा कर एक प्रति कार्यालय में जमा करना चाहा तो उसके लिए भी फिर बहाने शुरू कर दिए जैसे तैसे चालान की प्रति जमा की गई पर आज 2 माह बीत गए इसके बावजूद भी जानकारी प्रदाय नही की गई।
क्या कहते है, सूचना अधिकार अधिनियम 2005 की धाराएं
वही सूचना अधिकार अधिनियम 2005 जब लागू किया तब स्पस्ट उक्त धारा में अधिनियम बनाते हुए नियम लागू किया गया था जिस भी संस्था या कार्यालय में आवेदन दिया जायेगा आवेदन दिनाक से 30 दिन के अंदर ही आवेदक को कार्यालय से माँग की गई वांछित जानकारी की गणना करते हुए प्रदाय जानकारी की राशि का स्पस्ट कितने पृष्ठ उनकी दर के हिसाब से लिखित रूप से आवेदक को अवगत करना होता है अगर लोक सूचना अधिकारी आवेदक के द्वारा माँग की जानकारी या पत्र 30 दिवस के अंदर जारी नही करता है तो 30 दिनों के पश्चात आवेदक प्रथम अपील प्रस्तुत कर सकता है और प्रथम अपील प्रस्तुत के पश्चात अपीली अधिकारी दोनों पक्ष को सुनकर निर्णय करते है,
वही अधिनियम में यह उल्लेख भी किया गया है कि प्रथम अपीलीय अधिकारी के द्वारा लोक सूचना अधिकारी को समय सीमा में जानकारी प्रदाय करने को लेकर दंडित भी कर सकते है, समय सीमा में बिना ठोस कारण के साथ ही आवेदक को प्रथम अपीली की सुनवाई के दौरान निशुल्क जानकारी प्रदाय करने हेतु अधिनियम बनाया गया है।
जानकारी देने लोक सूचना अधिकारी बना रहे है तरह तरह के बहाने
वही कार्यालय से माँग की राशि जमा करने के बाद भी कार्यालय से जानकारी आवेदक को नही दी जा रही है और जानकारी प्रदाय करने हेतु आवेदक को कार्यालय के द्वारा तरह तरह के बहाने बनाये जा रहे हैं कभी प्रभारी उपसंचालक महोदय से मिलो लो तो कभी कहते है कि नोडल अधिकारी से मिल ले आज दो माह बीतने के बाद भी जमा राशि के बाद जानकारी आवेदक को नही दिया जा रहा हैं, लोक सूचना अधिकारी श्री जाटव जी से बात की जा चुकी है, साथ जानकारी प्राप्त करने हेतु उपसंचालक महोदया से भी मिल कर जानकारी की मांग की तो उनका कहना था कि आपको जल्द ही जानकारी मिल जाएगी अभी नोडल अधिकारी छुट्टी में आप दो चार दिन बाद आकर ले लीजियेगा हम तो अपीली अधिकारी हैं
वही जब जब नोडल अधिकारी डी के वास्कर जी से बात की जाती है तो हमेशा की तरह उनका कहना होता है कि जानकारी तैयार है टेबिल में बन कर रखी हुई है पर हम बाहर है जैसे आते है वैसे ही आपको दे देंगे ऐसे अनेको बार बार सोमवार बुधवार शुक्रवार अनेको बार कार्यालय के चक्कर आवेदक को लगवा रहे है शायद उपसंचालक कृषि विभाग से जानकारी माँग कर आवेदक ने बहुत बड़ी गलती कर ली हैं वही आज जब श्री वास्कर जी कार्यालय में उपस्थित है पर उनके द्वारा कहा जा रहा है कि मैडम नही है आप सोमवार को आइये मैडम आ जाएगी तब जानकारी दे दी जायेगी ऐसे अंनेको प्रकार के बहाने बना कर आवेदक को खाली हाथ लौटाया जा रहा है और राशि जमा के बाद भी जानकारी नही दी जा रही हैं। इससे यह प्रतीत होता है कि कही न कही कार्यालय में हुए भ्रष्टाचार के पोल खुलते देख अब जानकारी देने में आनाकानी की जा रही पहले कार्यालय अत्यधिक राशि की माँग करना जब राशि जमा कर दी गई तो अब जानकारी प्रदाय न करने लोक सूचना अधिकारी द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम को ताक में रख कर मनमाने और बहाने बनाकर नियम के अवहेलना की जा रही हैं।
इनका कहना है…
मेरे द्वारा सूचना अधिकार के आवेदन के माध्यम से कृषि विभाग से किसानों को प्रदाय की सामग्री की जानकारी की मांग की थी ऐसा लग रहा है कि मेरे द्वारा जानकारी माँग कर कोई गुनाह कर लिया है कार्यालय से राशि जमा के बाद भी जानकारी नही दी जा रही हम परेशान हो चुके है। कार्यालय अधिकारी कर्मचारी के बहाने सुन सुन कर थक चुके है पर करें भी तो क्या इस जिले का कोई माई बाप नही है।
RTI कार्यकर्ता मंडला
आज आपको जानकारी नही दे सकेंगे क्योंकि उपसंचालक मैडम नही है सोमवार को आ जायेगी आपको जानकारी सोमवार दे देंगे जानकारी तैयार हैं बस मेडम को आ जाने दे।
डी के वास्कर
नोडल अधिकारी कृषि कार्यालय मंडला
हमने तो जानकारी बनाकर दे दी है अब आपको नोडल अधिकारी ही दे पाऐगे हम लोक सूचना अधिकारी है हमारा काम प्राप्त आवेदन में आवेदक द्वारा माँग की जानकारी को संबंधित शाखा को दे दी जाती है हमने तो आपकी जानकारी जैसे ही राशि प्राप्त हुई बनाकर नोडल अधिकारी को दे दी गई और उसकी जानकारी मैडम को भी है आपको क्यो नही दी जा रही है मुझे नही पता।
रामदासजाटव
लोक सूचना अधिकारी क्रषि विभाग मंडला