सावन में कावड़ के पीछे का रहस्य पता है? गंगाजल ही क्यों भरा जाता है, जानिए कैसे चढ़ाना चाहिए जल

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सावन का महीना शिव भक्तों के लिए बेहद खास होता है. इस माह में भगवान शिव की उपासना करने से भक्तों को शुभ फलों की प्राप्ति होती है और भोलेनाथ हर मनोकामना पूर्ण करते हैं. इस माह में कांवड़ यात्रा भी निकाली जाती है. माना जाता है कि इस माह में भगवान शिव की कृपा पाने और मनोकामना पूर्ति के लिए लोग कांवड़ लेकर शिव धाम जाते हैं. बता दें कि भगवान शिव और मां पार्वती को कंधे पर लेकर चलने का भाव ही कांवड़ यात्र कहलाता है.

कांवड़ यात्रा 28 दिनों की होती है. सावन के पहले दिन से लेकर सावन के अंतिम दिन तक यह यात्रा चलती है. कांवड़ का अर्थ होता है “कंधों पर रखा हुआ”. लकड़ी की एक डंडी जिसके दोनों सिरों पर एक-एक पात्र रहता है, जिसे लोग कंधे पर रखकर पहले गंगा नदी पहुंचते है और वहां से जल लेने के बाद किसी भी शिवधाम पर पहुंचकर शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं.

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