श्री दत्तात्रेय जन्मोत्सव: भक्ति और परंपरा का संगम, 122 वर्षों से जारी उत्सव
रेवांचल टाइम्स, मंडला: मंडला के नानाघाट स्थित श्री दत्तात्रेय मंदिर में 14 दिसंबर 2024 को 122वें श्री दत्तात्रेय जन्मोत्सव का आयोजन पूरे भक्तिभाव और धूमधाम के साथ किया गया। महाराष्ट्र समाज द्वारा आयोजित इस धार्मिक पर्व ने पूरे जिले में आध्यात्मिक वातावरण का संचार कर दिया। परंपरागत रूप से आयोजित इस उत्सव में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए।
विशेष पूजा-अर्चना और हवन का आयोजन
जन्मोत्सव के अवसर पर मंदिर प्रांगण में सुबह से ही विशेष पूजा-अर्चना और हवन का आयोजन किया गया। भगवान दत्तात्रेय की मूर्ति को फूलों और दीयों से सजाया गया। भक्तों ने भक्ति-भाव से भगवान की आरती उतारी और सुख-समृद्धि की कामना की। कार्यक्रम के दौरान श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा।
विशाल भंडारे का आयोजन
15 दिसंबर 2024 को गोलवलकर परिवार के सौजन्य से मंदिर प्रांगण में विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। इस भंडारे में महाराष्ट्र समाज के साथ-साथ अन्य समुदायों के लोग भी बड़ी संख्या में शामिल हुए। भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया और इस धार्मिक अनुष्ठान से पुण्य लाभ अर्जित किया। भंडारे के दौरान भक्तिभाव, सामूहिकता और सौहार्द का सुंदर संगम देखने को मिला।
122 वर्षों की गौरवशाली परंपरा
श्री दत्तात्रेय जन्मोत्सव मंडला जिले की एक पुरानी और गौरवशाली परंपरा है, जो 122 वर्षों से निरंतर चली आ रही है। महाराष्ट्र समाज के लिए यह पर्व उनकी सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान का प्रतीक है। समाज के सभी सदस्य इस आयोजन को भव्य और विशेष बनाने में पूरे समर्पण के साथ कार्य करते हैं।
श्रद्धालुओं की भारी भीड़
इस आयोजन में जिलेभर से हजारों श्रद्धालु भगवान दत्तात्रेय के दर्शन और भंडारे में शामिल होने के लिए आए। भक्तों ने भगवान के चरणों में अपना शीश नवाया और भक्ति में लीन होकर मंदिर प्रांगण की पवित्रता का अनुभव किया।
समिति और समाज की सराहना
आयोजन को सफल बनाने में महाराष्ट्र समाज और आयोजन समिति की महत्वपूर्ण भूमिका रही। श्रद्धालुओं ने व्यवस्थाओं की भूरि-भूरि प्रशंसा की। सुरक्षा, अनुशासन और साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा गया। समिति के सदस्यों ने इस बात का ध्यान रखा कि हर श्रद्धालु को प्रसाद और सेवा का लाभ प्राप्त हो।
धार्मिक और सांस्कृतिक एकता का संदेश
श्री दत्तात्रेय जन्मोत्सव मंडला जिले के धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन का अभिन्न हिस्सा है। यह आयोजन न केवल महाराष्ट्र समाज को एकजुट करता है, बल्कि जिले के सभी समुदायों को भी जोड़ता है। यह पर्व धार्मिक आस्था, सामूहिकता और परंपरा के महत्व को उजागर करता है और समाज में सकारात्मकता का संदेश फैलाता है।
“122 वर्षों से जारी यह परंपरा केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि भक्ति, समर्पण और सामाजिक एकता का जीवंत उदाहरण है।”
“रेवांचल टाइम्स” श्री दत्तात्रेय जन्मोत्सव की सफलता और समाज के योगदान की सराहना करता है।