सहारा बैंक के अभिकर्ता हिरेन्द्र सदन मिश्रा पर लगे आरोप निकले निराधार न्यायालय ने किया बरी एफडी में फर्जी हस्ताक्षर का था प्रकरण…

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रेवांचल टाईम्स – मण्डला सहारा बैंक में अभिकर्ता के रूप में सेवा दें रहे हिरेन्द्र सदन मिश्रा को सहारा बैंक से संबंधित एक मामले में न्यायालय द्वारा बरी किया गया है।
वही बीते दिनों उनके ऊपर फ़र्जी बाडा करने के गंभीर आरोप लगे हुए थे साथ ही उस प्रकरण में न्यायालय प्रथम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मण्डला के न्यायाधीश सुबोध कुमार विश्वकर्मा ने 22 मार्च 2023 जिसका प्रकरण क्रमांक एसटी.नं.52/2017 पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि उपरोक्त विवेचन के आधार पर अभियोजन अभियुक्त हीरेन्द्र उर्फ सदन मिश्रा एवं धीरज खरे के विरूद्ध धारा 420, 467, 468, 120बी भा.द.स. का अपराध युक्तियुक्त संदेह से परे प्रमाणित करने में असफल रहा है। अत: अभियुक्त हीरेन्द्र उर्फ सदन मिश्रा एवं धीरज खरे को धारा 420, 467, 468, 120बी भा.दं.सं. के आरोप से दोषमुक्त किया जाता है। अ.सा.11 बी.एस. परते ने न्यायालयीन कथन के दौरान यह कथित किया है कि विवेचना के दौरान 4 जनवरी 2017 को सहकारी केन्द्रीय बैंक नगर शाखा मण्डला से पुष्पादेवी के खाता खोलने के हस्ताक्षर नमूना फार्म सन् 1975 का जिसमें पुष्पादेवी के स्वाभाविक हस्ताक्षर थे की सत्यप्रति तथा खाता खोलने का हस्ताक्षर नमूना फार्म की सत्यप्रति प्र.पी.03 के अनुसार जप्त की थी तथा पुष्पादेवी के प्रस्तुत करने पर दिनांक 29.12.2016 को एक राशन कार्ड बद्रीप्रसाद के नाम का जिसमें उसके स्वाभाविक हस्ताक्षर थे इनकम टैक्स विभाग का फार्म नंबर 6, जिसमें बद्रीप्रसाद के स्वाभाविक हस्ताक्षर थे प्र.पी.11 के अनुसार जप्त किया गया था तथा सहारा इंडिया शाखा मण्डला की दैनिक उपस्थिति रजिस्टर, जिसमें धीरज खरे के स्वाभाविक हस्ताक्षर थे एवं डाकबुक रजिस्टर, कार्ड सर्टिफिकेट देने के इंद्राज के संबंध में जप्त किया गया था और जप्तीपत्रक प्र.पी.9 तैयार किया गया था जिसके सी से सी भाग पर उसके हस्ताक्षर है। इसी साक्षी का यह भी कथन रहा है कि अरविन्द सिंह ने वर्ष 2013 का उपस्थिति पत्रक प्र.पी. 12 के अनुसार जप्त किया गया था तथा अरविन्द सिंह के प्रस्तुत करने पर आरोपी हीरेन्द्र उर्फ सदन मिश्रा के द्वारा कार्यालय में पूर्व में जमाकर्ताओं के एफ.डी. सर्टिफिकेट जिसमें जमाकर्ताओं के स्वाभाविक हस्ताक्षर है एवं एक डाक की पावती को जप्त कर जप्तीपत्रक प्र.पी. 13 तैयार किया गया था जिसके ए से ए भाग पर उसके हस्ताक्षर है। साक्षी का यह भी कथन रहा है कि पुलिस अधीक्षक मण्डला के ड्राफ्ट प्रपी 14, प्र.पी. 15 एक वहीं प्र.पी.16 के अनुसार जप्तशुदा दस्तावेजों को हस्ताक्षर / हस्तलिपि मिलान बाबत राज्य परीक्षक विवादास्द प्रलेख पुलिस मुख्यालय भेजा गया था जिसकी जांच रिपोर्ट प्र.पी.17 है। दस्तोवजों पर हस्ताक्षरों के मिलान के उपरांत हस्तलेख विशेषज्ञ द्वारा निम्न आशय की प्र.पी.17 की रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी। इस संबंध में अभियोजन की ओर से कोई साक्ष्य अभिलेख पर प्रस्तुत नहीं की गयी है। यहां तक कि प्रकरण में प्रस्तुत पंचनामा नमूना हस्ताक्षर जो पुष्पादेवी एवं बद्रीप्रसाद के संबंध में अभियुक्त हीरेन्द्र मिश्रा के द्वारा लेख कराया जाना कथित किया गया है तथा स्वयं अभियुक्त हीरेन्द्र मिश्रा के हस्ताक्षर नमूना पंचनामा के संबंध में तथा नमूना हस्तलिपि पंचनामा के संबंध में भी प्रकरण के विवेचक मुकेश द्विवेदी के द्वारा न्यायालयीन कथन के दौरान उक्त पंचनामा नमूना हस्ताक्षर एवं नमूना हस्तलिपि पंचनामा को भी प्रमाणित नहीं किया गया है और न ही इस संबंध में अभियोजन द्वारा किसी स्वतंत्र साक्षी का परीक्षण कराया गया है जो अन्वेषणकर्ता एवं अभियोजन की घोर लापरवाही को दर्शित करता है। उक्त प्रकरण में बद्रीप्रसाद गुप्ता एवं श्रीमती पुष्पा के द्वारा सहारा इंडिया शाखा मण्डला में की गयी फिक्स डिपोजिट की धनराशि 5,99,000 /- रूपये अवैध तरीके से आहरित करने के आरोप थे अभियुक्तगण ने ब्रदीप्रसाद गुप्ता एवं श्रीमति पुष्पा के द्वारा सहारा इंडिया शाखा मण्डला में की गयी फिक्स डिपोजिट की धनराशि 5,99,000/- रूपये आहरण करने के लिये बद्रीप्रसाद और श्रीमति पुष्पादेवी के फर्जी हस्ताक्षर कर आहरित पर्ची की कूटरचना कारित की एवं अभियुक्तगण ने बद्रीप्रसाद गुप्ता एव श्रीमति पुष्पा के द्वारा सहारा इंडिया शाखा मण्डला में की गयी फिक्स डिपोजिट की धनराशि 5,99,000/- रूपये आहरण करने के लिए बद्रीप्रसाद और श्रीमति पुष्पादेवी के फर्जी हस्ताक्षर कर आहरित पर्ची की कूटरचना इस आशय से की आवेदकगण के साथ छल कारित किया जाये तथा अभियुक्तगण ने एकसाथ मिलकर बदीप्रसाद गुप्ता एवं श्रीमती पुष्पा के द्वारा सहारा इंडिया शाखा मण्डला में की गयी फिक्स डिपाजिट की धनराशि 5,99,000/- रूपये अवैध तरीके से आहरित करने हेतु सहमत होकर आपराधिक षड्यंत्र करने के आरोप लगे थे। आवेदकगण पुष्पादेवी एवं रूपेश गुप्ता ने अनावेदकगण हीरेन्द्र एवं धीरज के विरूद्ध पुलिस अधीक्षक को एक लिखित शिकायत आवेदन इस आशय का प्रस्तुत किया था कि आवेदकगण एवं अनावेदकगण जिले के मूल निवासी है। आवेदिका पुष्पादेवी के पति स्व. बद्रीप्रसाद गुप्ता का निधन दिनांक 02.12.2015 को हो चुका है। आवेदिका एवं उसके पति की उक्त जमा राशि से संबंधित समस्त दस्तावेज अनावेदकगण के पास है किन्तु आवेदकगण के द्वारा उक्त जमा राशि संबंधित दस्तावेज व जानकारियों अनावेदक द्वारा प्रदान नहीं की जा रही है, बल्कि आवेदिका से यह कहा गया है कि उक्त जमा राशि का आहरण दिनांक 21.12.2015 को हो चुका है। उक्त मामले की पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता प्रकाश पाठक के द्वारा की गई थी।

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