जनपद पंचायत के उपाध्यक्ष या फिर ठेकेदार लगा ग्रामीणों में बनी जनचर्चा

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रेवांचल टाईम्स – मंडला, आदिवासी बाहुल्य जिले में भी अजीबोगरीब मामले सामने आ रहे है, जनप्रतिनिधि नेता पहले छोटी मोटी राजनीति करते है और जनता के सामने हाथ जोड़ कर उन्हें अपना मत बोट देकर विकास की मुद्दो को बता कर बड़ी बड़ी बाते कर जनता का मन जीत कर चुनाव लड़ते है और जैसे ही बड़े पद पर बैठे तो सबसे पहले ये देखते है कि अब खुद या फिर अपने चहेतों को फायदा कैसे पहुँचा जा सके और अपना औऱ अपने करीबियों को फायदा कैसे पहुँचाये और इन्हें जनता ने जो अपना मत देकर इन्हें नेता चुना है अब ये महाशय कुर्सी पाकर कर जी विकास की बात जनता के लिए किए थे वह खुद का विकास करने में जुट जाते है।
कभी ठेकेदार बन पंचायतों में हो रहे निर्माण कार्यों में ठेकेदार बन बैठे है या फिर सरकारी धन को अपनी जेब तक कैसे पहुँचाये ये तरह तरह की नीति बना रहे हैं,
ये मंडला जिले में आम बात हो चुकी हैं कि चुनाव जीतकर ठेकेदार बन जाना या फिर बिना ही फर्म या न ही कोई टेंडर्स के न ही दुकानो का पता और न सामान का फिर भी बेखौफ ग्राम ग्राम पंचायतों में लगा रहे स्वयं रिश्तेदार के नाम से फर्म या ट्रेडर्स बना कर लगा रहे हैं फर्जी बिल मचा रखी हुई है लूट

वही ग्राम पंचायतों की मंडला जिले में जितनी कहानी और कारनामे उजागर हो रहे हैं, शायद ही मध्य प्रदेश के अन्य जिलों में देखने मिलेंगे कहीं पत्नि सरपंच तो पति उनकी जिम्मेदारी सम्हाल रहे है, सरपंची तो कहीं फर्जी फर्म और ट्रेडर्स बना कर बिलों के माध्यम से सरकारी धन की खुली लूट चुने हुए जनप्रतिनिधि बटोरने में लगे हैं मलाई…
ऐसा ही नया मामला तहसील मुख्यालय घुघरी की जनपद पंचायत घुघरी के निर्वाचित उपाध्यक्ष सिहारे करचाम का सामने आया हैं जहां पर जनपद सदस्य का चुनाव जीतने के बाद से बेखौफ होकर ठेकेदारी की जा रही है जिससे साफ नजर आता है कि चुनाव या जनसेवा तो एक बहाना मात्र है केवल अपनी तिजोरी भरना ही इनका मुख्य उद्देश्य है..
तहसील मुख्यालय घुघरी की लगभग सभी पंचायतों में मरकाम ट्रेडर्स के फर्जी बिल देखने मिल जायेंगे और वास्तव में बिल केवल नाम मात्र के हैं जिनकी न कोई दुकान है और न ही जमीन पर सामग्री देखने मिलेगी..
वहीं ठेकेदारी भी बेखौफ तरीके से चल रही हैं क्योंकि इन्हे मालूम है कि ग्राम पंचायत केवल निर्माण एजेंसी ही रहेगी काम और ठेकेदारी तो हमें ही करनी है और अगर कुछ भ्रष्टाचार उजागर होता भी है तो नाम तो ग्राम पंचायत का ही आना है जिससे ये साफ निकलकर आ जायेंगे..
वहीं जब रेवांचल की टीम ने कुछ सचिवों से बात की तो पता चला कि ये ऊंची पहुंच और पावर के साथ ठेकेदारी करने के लिए ग्राम पंचायत के नाम से काम लेते हैं और गुणवत्ताविहीन कार्य करके अपनी जेब भरकर काम करते हैं और अगर कहीं पुलिया या सड़क खराब बन जाती है तो ग्राम पंचायत का हवाला देकर अपना पल्ला झाड़ देते हैं बाकि जाने सचिव सरपंच..
वहीं सूत्र से जानकारी के अनुसार विगत दिनों जनपद पंचायत घुघरी की ग्राम पंचायत छिवलाटोला में भी इन्होने अमृत सरोवर का निर्माण कराया था जिसकी जांच आज भी चल रही है और कुछ महीनों पहले ग्राम पंचायत मांगा में इन्होने दो पुलिया निर्माण कराया है जिसकी गुणवत्ता मौके पर देखी जा सकती है..

वहीं सूत्रों से जानकारी के अनुसार घुघरी जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत खजरी में जो मरकाम ट्रेडर्स के बिलों की बात की जाये तो बिल तो लाखों के लगे हुए हैं, जो कि सरकारी पंचायत दर्पण पोर्टल में प्रदर्शित कर है, वह एक जनप्रतिनिधि के नाम से जाने जाते है और वह जनपद उपाध्यक्ष के पद पर आसीन है, लेकिन वास्तव में वह ठेकेदारी कर रहे है और वह एक ट्रेडर्स के नाम पर गिट्टी रेत लोहा और पता नही क्या क्या नही बेच रहे है ये सब आप पंचायत दर्पन में देखे सकते है। और उनके बिल हैं तो दिखाई पड़ रहे है पर जिस दुकान के बिल लगे हुए है, उनकी दुकान का अता पता नहीं है, और जब पंचायत दर्पण में लगे हुए फर्म दुकान की जानकारी स्थानीय लोगों से ली तो लोगो ने बताया कि ऐसे कोई दुकान तो कभी दिखाई नही दे रही है, जब बिल में स्थान का पता लिखा हुआ है तो दुकान आखिर लोगो को दिखाई क्यो नही दे रही है और बिल तो लगातार पंचायत दर्पण में दिखाई दे रहे है। और सबसे हैरान करने वाली बात ये है, कि बिल में लिखे गये मोबाइल पर बात की जाती है तो नंबर स्वयं उपाध्यक्ष के हैं औऱ वही उठाये हैं, अब इसे क्या कहें ये शायद चुनाव जीतने के बाद ठेकेदार हुए या फिर पहले से ठेकेदार थे ये लोगों में जनचर्चा का विषय बना हुआ हैं, और जिससे यह सिद्ध कर पाना मुश्किल है कि इस दुकान का संचालन आखिर कर कौन रहा है और यदि संचालक ही स्वयं उपाध्यक्ष हैं तो फिर ठेकेदारी करने का उद्देश्य क्या है..

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