पंचायत पेसा मोबिलाइजर मानदेय वृद्धि: आदेश जारी न होने से निराशा, आंदोलन की चेतावनी

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दैनिक रेवांचल टाइम्स मंडला। पंचायत पेसा मोबिलाइजरों के मानदेय वृद्धि के मामले में सरकार की ओर से जारी आदेश का इंतजार लंबे समय से जारी है। दीपावली के पूर्व, 24 अक्टूबर 2024 को, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पेसा मोबिलाइजरों के मानदेय को ₹4000 से बढ़ाकर ₹8000 करने की घोषणा की थी। यह निर्णय मध्य प्रदेश सरकार के विधानसभा चुनाव संकल्प पत्र में शामिल था। लेकिन घोषणा के लगभग तीन महीने बाद भी संबंधित आदेश जारी न होने से पेसा मोबिलाइजरों में गहरी निराशा है।
सरकार की घोषणा से खुशी, लेकिन आदेश का अभाव
मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणा के बाद पेसा मोबिलाइजरों में हर्षोल्लास का माहौल था। इसे आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना गया। हालांकि, अब तक पंचायती राज संचालनालय, भोपाल से इस संबंध में कोई आधिकारिक आदेश नहीं आया है। इस स्थिति ने न केवल मोबिलाइजरों में निराशा बढ़ाई है, बल्कि उन्हें प्रशासन के प्रति नाराज भी कर दिया है।
ज्ञापन के माध्यम से लगातार मांग
पेसा मोबिलाइजरों ने अपनी मांग को लेकर कई बार ज्ञापन सौंपकर सरकार का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया है। जिला मंडला के कलेक्टर कार्यालय से लेकर भोपाल स्थित मंत्रालय तक ज्ञापन प्रस्तुत किए गए, लेकिन अब तक कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया है।
संघर्ष की चेतावनी
पंचायत पेसा मोबिलाइजर संघ के जिला अध्यक्ष उपेंद्र कुमार कुढ़ापे ने सरकार से अपील की है कि मानदेय वृद्धि से संबंधित आदेश को जल्द से जल्द जारी किया जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगों पर त्वरित कार्रवाई नहीं हुई, तो पेसा मोबिलाइजर राजधानी भोपाल में उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि आंदोलन के लिए जिम्मेदारी पूरी तरह से शासन और प्रशासन की होगी।
पेसा मोबिलाइजरों की यह मांग उन लाखों ग्रामीण परिवारों से भी जुड़ी हुई है, जो पंचायत स्तर पर इस पहल के प्रभावी क्रियान्वयन से लाभान्वित होते हैं। सरकार के सामने अब यह चुनौती है कि वह अपनी घोषणा पर अमल करते हुए आदेश जारी करे, ताकि मोबिलाइजरों की निराशा को समाप्त किया जा सके और ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिरता बनी रहे। पंचायत पेसा मोबिलाइजरों की यह मांग न केवल उनकी जीविका से जुड़ी हुई है, बल्कि ग्रामीण विकास और सरकार की साख से भी गहराई से संबंधित है। सरकार को इस मुद्दे पर त्वरित निर्णय लेते हुए आदेश जारी करना चाहिए, ताकि न केवल उनकी नाराजगी दूर हो, बल्कि सरकार की घोषणाओं पर भरोसा भी कायम रह सके।

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