मंडला में स्वास्थ्य व्यवस्था पर संकट: गैर-पंजीकृत दवा दुकानों और झोलाछाप डॉक्टरों का बोलबाला

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मंडला | आदिवासी बाहुल्य मंडला जिला, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर के लिए जाना जाता है, आज स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की बदहाली से जूझ रहा है। जिले में औषधि निरीक्षक और स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण आम जनता की जिंदगी से खुलेआम खिलवाड़ किया जा रहा है। बिना फार्मासिस्ट के दवा दुकानों का संचालन, झोलाछाप डॉक्टरों का दबदबा और नकली दवाइयों की बिक्री जैसी गंभीर समस्याएं सामने आ रही हैं।
गैर-पंजीकृत दवा दुकानों का विस्तार, औषधि निरीक्षक लाचारमंडला जिले में बिना पंजीयन और बिना योग्य फार्मासिस्ट के कई दवा दुकानें धड़ल्ले से संचालित हो रही हैं। यह न केवल औषधि अधिनियम का उल्लंघन है, बल्कि आम लोगों के स्वास्थ्य के साथ भी खिलवाड़ है। जब इस संबंध में औषधि निरीक्षक वैष्णवी तलवड़े से सवाल किया गया तो उन्होंने यह कहते हुए जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया कि, “मुझे चार्ज लिए सिर्फ चार महीने हुए हैं, मैं अकेले पूरे जिले में निगरानी नहीं रख सकती।”
यह बयान न केवल उनके प्रशासनिक दायित्वों पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि जिले में स्वास्थ्य संबंधी अनियमितताओं पर अंकुश लगाने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।
झोलाछाप डॉक्टरों और नकली दवाओं का खतराजिले में झोलाछाप डॉक्टरों की बढ़ती संख्या भी एक गंभीर समस्या बन चुकी है। बिना किसी मेडिकल डिग्री के लोग खुलेआम गंभीर बीमारियों का इलाज कर रहे हैं और ऐलोपैथिक दवाइयां लिख रहे हैं। स्थिति यह है कि मरीजों को स्टेरॉयड, हाई डोज एंटीबायोटिक्स और अन्य खतरनाक दवाएं दी जा रही हैं, जिससे उनकी जान पर जोखिम बढ़ रहा है।
इतना ही नहीं, कई दवा विक्रेता नकली और कम गुणवत्ता वाली दवाइयां कम कीमत पर बेचकर लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं। इस अवैध कारोबार में स्वास्थ्य विभाग और औषधि निरीक्षक की संदिग्ध भूमिका पर भी सवाल उठते हैं।
प्रशिक्षु डॉक्टरों के जरिए इलाज का झांसामंडला जिले में कुछ दवा विक्रेता प्रशिक्षु चिकित्सकों को बड़े शहरों से बुलाकर फर्जी पर्चियों पर दवाएं लिखवा रहे हैं, जिससे मरीजों को गुमराह किया जा रहा है। यह एक खतरनाक प्रवृत्ति है, जो न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि मरीजों के जीवन को भी खतरे में डाल रही है।
जिम्मेदारों की चुप्पी और प्रशासन की निष्क्रियताजब इस मामले में सीएमएचओ डॉ. के.सी. सरोते से बात की गई, तो उन्होंने केवल जांच का आश्वासन देकर पल्ला झाड़ लिया। इसी तरह, अन्य संबंधित अधिकारी भी कोई ठोस कार्रवाई करने के बजाय मामले को दबाने में लगे हुए हैं।
प्रशासन को अविलंब ठोस कदम उठाने की जरूरतमंडला जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली किसी भी संवेदनशील समाज के लिए चिंता का विषय है। यदि प्रशासन शीघ्र कोई ठोस कदम नहीं उठाता, तो आम नागरिकों की सेहत और जान को खतरा बना रहेगा।
इनका कहना है:वैष्णवी तलवड़े, औषधि निरीक्षक, मंडला: “मुझे चार्ज लिए केवल चार महीने हुए हैं, मैं अकेले पूरे जिले की निगरानी नहीं कर सकती। मामला आपके संज्ञान में आया है, मैं देखवा लूंगी।”
डॉ. विजय धुर्वे, सिविल सर्जन, मंडला: “मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।”
(रिपोर्ट: रेवांचल टाइम्स)

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