ख़ाकी का ये स्लोगन वर्दी भी हमदर्दी भी केवल माफियाओं और अबैध कारोबारियों पर है लागू….जगह जगह संचालित अबैध कारोबार रोकने में नाकामयाब, हॉकर भी अबैध वसूली में नही है पीछे…

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रेवांचल टाईम्स – मंडला जिले में अबैध कारोबारीयो का जलजला बरक़रार है जिले के कप्तान कितना भी जोर लगा ले और अपने अधीनस्थ अधिकारी कर्मचारीयो का कितना ही सख्त आदेश दे पर अबैध कारोबार पर अंकुश लगना मुश्किल ही नही नामुमकिन नज़र आ रहा हैं क्योंकि कही न कही जब तक स्थानीय खाकी, माफियाओं से हमदर्दी दिखाना बन्द न कर दे, तब तक जिले में माफिया राज बन्द नही हो सकता हैं, और वह कहावत भी सच होती दिखाई पड़ रही है कि वर्दी ही नही हमदर्दी भी पर केवल अबैध कारोबारियों पर अबैध कार्य करने वालो पर मेहरबान दिखाई पड़ रही है।
जिले में सट्टा, जुआ, अबैध रेत का उत्तखनन से लेकर परिवहन, गाँव गाँव बेनामी शराब ठेकेदार बन शराब बेची जा रही है आज जिले में रोजगार की समस्या तो बनी हुई है तो कही न कही युवक बच्चे बूढ़े कुछ तो कार्य करे और स्थनीय पुलिस का सहयोग भी प्रदान करें रहे है शायद इन्ही कारणों से आज जगह जगह बेख़ौफ होकर अबैध कारोबार चल रहे खूलेआम सत्ता, जुआ, रेत शराब का कारोबार अपने पूरे शबाब में दिखाई पड़ रहा है और जिम्मेदार विभाग इन्हें रोकने के अलावा सभी कार्य अपनी पूरी ईमानदारी से कर रहा हैं।
वही सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार सट्टा पट्टी पुलिस अधीक्षक मंडला के सख्त निर्देश है। की कोई खुले आम सट्टा जुआ नही होगा मगर चिराईडोगरी रेल्वे स्टेशन के दीवार से लग कर मंदिर के कोने में सारे आम सट्टा पट्टी लिखी जा रही है। वही गरीब आदिवासी सट्टा खेल कर लुट रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में संट्टा का खेल दिन व दिन तेजी से तुल पकड़ता ही जा रहा है। कारण इसलिए है कि पुलिस प्रशासन सुस्त है सट्टा जुआ के विरुद्ध कार्यवाही नही होती है कार्यवाही नही होने के कारण ही तो ग्रामीण क्षेत्रों में दलाल संट्टा जुआ का खेल चल रहा है और खुलेआम पट्टी काट रहे हैं । वही सारे आम पुलिस प्रशासन की सख्ती का मजाक उडा रहे है। और ख़ाकी और कानून का कोई डर ना कोई खोफ अबैध कारोबारियों पर नजर आ रहा है। वही मीडिया की लगातार ख़बरों में सट्टा,जुआ, अबैध रेत, अबैध शराब की खबरों को प्रकाशित किया जा रहा है। मगर कार्यवाही नही होने से आदिवासी गरीब ही पिस्ता जा रहा है। मगर क्या करें प्रशासन के हाथ भी बधे है। इसलिए तो संट्टा माफिया और उनके दलाल खुलेआम खेल चला रहे हैं। ऐसा ही चलता रहा तो कुछ दिन बाद सट्टा माफिया के दलाल हर गांव में खेल चलाएंगे नैनपुर तो गढ़ बन चुका है अब वह दिन दूर नहीं जब कस्बा कस्बा गाँव गाँव अबैध कारोबारियों की गिरफ़्त होगा और ख़ाकी हाथ मे हाथ मे धरे कार्यवाही करने की सोचती रहेगी क्योंकि जब ये माफ़िया कही न कही लोगों का खून चूस कर और पैसों की गर्मी से ख़ाकी को अपने ठेंगे में लगे क्योंकि जब पैसा रहता है तो वह किसी न किसी बड़े जनप्रतिनिधियों के कृपा पात्र बन जाता हैं फिर कार्यवाही तो दूर की बात है उसे कोई छू भी नही सकता हैं, अपराध समय मे नही रुकते है तो अपराधियों के हौसले बुलंद हो जाते है और फिर उनमें अवैध तरीके से किया गया अर्जित धन की गर्मी बढ़ चढ़ कर बोलती हैं, वही जानकारी के अनुसार चिरंईडोगरी रेल्वे में संट्टा का खेल बहुत ज्यादा ही सक्रिय है। सट्टा माफिया और उनके दलालों के विरुद्ध जल्द कार्यवाही होना चाहिए।

सटोरिए खुले आम पंचायत एवं ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध सट्टा खुलेआम चला रहें है।

परिवारों में सट्टे की लत होने के कारण विघटन की स्थिति उत्पन्न हो गई है। पारिवारिक ग्रह- गृहस्थी में तनाव की स्थिति बनती दिखाई दे रही है जिसका उदाहरण न्यायालय में अत्यधिक मामलों का पाया जाना ये सिद्ध करता है। वही लगातार समाचार के प्रकाशन से सट्टा माफिया कोई फर्क पड़ता नही दिखाई दे रहा है। और यह हुआ है। वही सट्टा माफिया ने बताया की खबर देखकर दूसरे लोग पैसे की मांग कर रहे और लगातार फोन कर रहें है। जिससे साफ होता है। पत्रकारिता की आड़ में नगर से लेकर यूट्यूब और बेब पोट्रल से पत्रकारिता करने वाले और पांच दस पेपर की एजेंसी वाले हॉकर भी अबैध कारोबारियों के करीबी माने जा रहे है और अबैध कारोबारियों से हप्ता महीना के हिसाब से इनकी भी खुली वसूली विज्ञापन के नाम पर या फिर ख़बर न छापने के नाम पर जोरो से अवैध वसूली कहो या कि वसूलीबाज नैनपुर नगर ग्रामीणों में किस हद तक हावी है। ये बात आज किसी से छुपी नही है स्थानीय प्रशासन भी यह सब जान रहा है कि कौन सही है और कौन गलत पर करे भी तो क्या अगर स्थानीय प्रशासन अबैध कारोबारियों पर कार्यवाही करता है तो हॉकरों के साथ साथ उनका भी हप्ता महीना बन्द हो जायेगा। आज जिले में केवल ख़ौफ़ और कानून का डर ईमानदार आम आदमी में ही नज़र आ रहा है।

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