बड़े बड़े हायवा ने उजाड़ दी प्रधानमंत्री सड़क जगह जगह हुए जानलेवा गड्ढे

ओवरलोड वाहनों की भेंट चढ़ गई ग्रामीणों की प्रधानमंत्री सड़क...

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रेवांचल टाइम्स – मंडला, आदिवासी बाहुल्य जिला मंडला में खनिज सम्पदा का अवैध उत्खनन और परिवहन के लिए प्रदेश में सबसे आगे नजर आ रहा है, पर अब जिसके चलते परेशान हो चुके है रात दिन गांव के अंदर से बड़े बड़े डंफरो ने आतंक मचा रखा हुआ है और उसके साथ साथ ट्रैक्टरों भी रेत परिवहन में पीछे नज़र नही आ रहे है इसी के चलते अब ग्रामीणों ने परेशान होकर स्थानीय प्रशासन से लेकर जिला प्रशासन तक शिकायत कर रही है, लेकिन हुई शिकायत में ग्रामीणों को कोई समाधान नज़र नही आ रहे हैं, औऱ न ही कार्यवाही हो रही है और न ही रेत ठेकेदारों को फर्क पड़ रहा है और शिकायत का निराकरण शून्य नजर आ रहा है..

जिले के खनिज अधिकारी की कार्यवाही संदेह के घेरे में नजर आ रही हैं,

वहीं ग्रामीणों की माने तो जिले में बैठा जिम्मेदार खनिज विभाग की कार्यप्रणाली रेत ठेकेदारों के प्रति आत्मीयता नजर आ रही और ग्रामीणों के प्रति द्वेषता क्योंकि जिन ग्रामो के आस पास स्वीकृत रेत खदान है उस ग्राम वासीयो का तक जीना दूभर हो चुका है और उनके रहन सहन में काफी दिक्कतें आ रही है और सरकार इन्हें जो मुलभुत सुविधाएं दी गई थी जैसे सड़के पुल पुलिया इन सब मे धड़ा धड़ बड़े बड़े डंफर दौड़ रहे जिस कारण से आज इन सड़कों और पुल पुलिया की दुर्दशा बिगड़ चुकी है सड़के लोगो के चलने लायक नही बची है आज जिन जिन ग्रामो के पास से रेत की निकासी की जा रही है और उन ग्रामो में प्रधानमंत्री सड़कें है तो आज वह जर्जर अवस्था मे पहुँच चुकी है क्योंकि प्रधानमंत्री सड़क का मापदंड केवल नो टन के वाहनों के हिसाब से बनाई गई है पर अब इन सड़कों में बेलगाम रेत के ओवर लोड डंफर दौड़ते नज़र आ रहे हैं,

रेत के ओवरलोड डंफरो ने प्रधानमंत्री सड़को पर मचा रहे है आतंक

वही जिले में संचालित जितनी भी खदानें संचालित है उन खदानों के आसपास ग्रामीण अँचलों में बनी प्रधानमंत्री सड़को का इन रेत डंफरो चलने में आसानी हो रही है और इन सड़कों में ये 24 घण्टे दौड़ रहे है ये ग्रामीण सड़क को न देखने की जिम्मदारों ने कसम खा चुकी है वही दूसरी ओर जिले का जिम्मेदार खनिज विभाग मिस्टर इंडिया बन चुका है, जो शासन प्रशासन की नजर में है तो लेकिन कार्रवाई के समय दिखाई ही नहीं देता, जगह जगह ओवरलोड वाहन चल रहे हैं और सड़कों के हाल बद से बदतर होते जा रहे हैं..जिन सड़कों की क्षमता 10-15 टन की है वहां पर 40-50टन लोड करके सड़क को खराब किया जा रहा है..
वही सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार ऐसा ही एक नया कारनामा तहसील मुख्यालय घुघरी से लगी रेत खदान गर्रैया का हैं जहां पर खनिज विभाग ने रेत खदान तो स्वीकृत कर दी है लेकिन जिन ग्रामीण जनों को वर्षों के बाद पक्की सड़क में चलने का अवसर मिला था आज वही सड़क महज कुछ ही माहों में ओवरलोडिंग वाहनों के चलने के कारण से उखड़कर खराब हो चुकी है, सड़क बनने से ग्रामीण खुश थे कि हमें नयी सड़क बनकर मिली है। तो आवागमन और समय बचेगा लेकिन रेत माफियाओं ने सड़क में ओवरलोड वाहन चलाकर सड़क को पूरी तरह से खराब कर दिया है।
वही जब इस संबंध में रेवांचल की टीम ने कुछ ग्रामीण जनों से बात की तो पता चला कि कुछ वर्षों पूर्व ही सलवाह रोड लाटो से झंडाटोला होते हुए चाबी के लिए प्रधानमंत्री सड़क का निर्माण किया गया था जिससे कम दूरी में घुघरी वासी और अन्य लोग सीधे चाबी पहुंच सकते थे, लेकिन जब से रेत खदान गर्रैया में स्वीकृत हुई है तब से सड़क की क्षमता से अधिक वाहनों में लोड करके आवागमन किया जाता है।
वही प्रधानमंत्री सड़क की क्षमता 9 टन ही भार उठाने की होती है लेकिन इस सड़क से 10 चका हायवा से लेकर 16 चका के हायवा से रेत परिवहन किया जाता है,
जिसमें 10 टन तो छोड़िए गीली पानी युक्त 40-50 टन रेत भरकर परिवहन किया जाता है और बेलगाम वाहन की चपेट में किसी भी ग्रामीण जन के आने का भी भय बना रहता है, जिससे कभी भी जन हानि हो सकती है, लेकिन न प्रशासन ध्यान देता है और न खनिज विभाग और सड़क खराब हो रही है वो अलग है,
पहले घुघरी या चाबी जाने में 20-30मिनिट लगते थे लेकिन जब से रेत परिवहन होना चालू हुआ है वही यात्रा का समय दोगुना हो गया है..आपातकालीन समय में तो और भी चिंता का विषय बन गया गया है..

इनका कहना है..
गर्रैया से रेत भरकर चाबी जाती है, और यहां रेत खदान में बड़े बड़े हायवा लगते हैं और ऊपर तक नदी की अंदर की रेत पानी सहित लेकर जा रहे है जिस कारण से सड़क की हालत तो आप देख ही रहे हैं यहां सड़क पर परिवहन करने की क्षमता केवल दस टन ही है लेकिन यहां पर हायवा से जो कि 10 चका से लेकर 16 चका तक चलते हैं जिससे रोड खराब हो रही है..
हरेन्द्र धुर्वे
ग्रामीण

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