आर टी आई कार्यकर्ता से हुआ खुलासा , दस्तावेज के साथ छेड़छाड़ कर की जा रही है, सरकारी नोकरी जिम्मेदार दे रहे है संरक्षण..
आर टी आई कार्यकर्ता द्वारा खुलासा किया गया बड़ा खुलासा..
दैनिक रेवांचल टाइम्स – आदिवासी बाहुल्य जिला डिंडौरी में ऐसे अनेक अधिकारी कर्मचारी है जो अपने ओरिजनल दस्तावेजों के छेड़छाड़ कर कूटरचित तरीक़े सरकारी नोकरी पाने की चाहत में सही और गलत भूल कर शासन के साथ धोखाधड़ी कर रहे है और जब इस बात की जानकारी कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों को लग जाती है तो उन्हें बचाने के लिए तरह तरह के हटकण्डे अपना कर अपने विभाग की बदनामी न हो करके उन फर्जीवाड़े पर पर्दा डालते हुए नजर आते है।
वही सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिला पंचायत डिण्डौरी में सहायक परियोजना अधिकारी रामजीवन वर्मा पर कूटरचित और फर्जी दस्तावेज के सहारे सरकारी नौकरी पाने का गंभीर आरोप का लगाए है। वही आर टी आई कार्यकर्ता द्वारा के कार्यालय से सूचना के अधिनियम से प्राप्त जानकारी से बड़ा खुलासा हुआ है।
कार्यालय से प्राप्त दस्तावेज से यह साबित हो हुआ है कि रामजीवन वर्मा ने नौकरी पाने की लालसा में शासन के साथ धोखाधड़ी करते हुऐ जिम्मेदारो की आंख में धूल झोंककर नियम विरूद्ध तरीके से दस्तावेज तैयार करवा कर सरकारी नौकरी प्राप्त की है। वही दस्तावेजों के आधार पर वर्ष 2008 में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत रामजीवन कुमार वर्मा की संविदा नियुक्ति जिला पंचायत डिण्डौरी में सहायक परियोजना अधिकारी के तौर पर हुई थी । लगभग 16 साल से जिले में सेवा दे रहे सहायक परियोजना अधिकारी के फर्जीवाडा की पोल तब खुली जब सूचना के अधिकार के तहत इनकी नियुक्ति संबंधी दस्तावेज मांगे गयेे । हालांकि जिले में पूर्व में भी डिप्टी कलेक्टर, पुरातत्व अधिकारी सहित अन्य कर्मचारी फर्जी तरीके से नौकरी कर चुके है। सच सामने आने के बाद भले प्रशासन ने कार्यवाई की हो लेकिन आदिवासी बाहुल्य जिला में ऐसे अधिकारियों के लिए डिंडौरी और मंडला जिला प्रयोग शाला और चारागाह बन गया है।
वही आर टी आई कार्यकर्ता ने यह भी जानकारी दिया है कि न्यायालय की शरण में लेने के बाद मिली जानकारी
वही सहायक परियोजना अधिकारी रामजीवन कुमार वर्मा के नियुक्ति संबंधी दस्तावेज प्राप्त करने के लिए आर टी आई कार्यकर्ता अनिल पटेल को लंबा इंतजार करना पड़ा है । 11 अक्टूूबर 2021 को सूचना के अधिकार के तहत जिला पंचायत डिण्डौरी में श्री वर्मा की नियुक्ति संबंधी दस्तावेज की मांग की थी, लेकिन लोक सूचना अधिकारी द्वारा इस बावद कोई जबाब नही दिया गया बल्कि लोक सूचना अधिकारी उक्त आवेदन में जानकारी न देकर उन्हें बचाते नज़र आ रहे थे और जब इस संबंध में आवेदक से पत्राचार करना भी उचित नही समझा गया। मजबूरन आवेदक ने 20 दिसंबर 2021 प्रथम अपीलीय अधिकारी कलेक्टर को अपील प्रस्तुत की और जानकारी प्रदान करने की मांग की गई। लेकिन न्यायालय अपर कलेक्टर डिण्डौरी ने प्रस्तुत प्रकरण की सुनवाई का क्षेत्र अधिकार जिला पंचायत होने का हवाला देते हुए प्रकरण नस्तीबद्ध कर दिया गया । तब अपीलार्थी ने राज्य सूचना आयोग भोपाल की शरण लेते हुए 17 फरवरी 2022 को द्वितीय अपील दायर की, जिसकी सुनवाई 14 सितंबर 2022 को करते हुए आयुक्त, मध्यप्रदेष राज्य सूचना आयोग भोपाल ने व्यक्तिगत जानकारी होने से निजता का हनन का हवाला देने के साथ न्यायालय द्वारा पूर्व में लिये गये निर्णय और विभिन्न दृष्टांत का उल्लेख करते हुए अपीलार्थी की अपील को खारिज कर दिया । तब आवेदक ने उच्च न्यायालय की शरण ली और एक जनहित याचिका दायर करते हुए जानकारी उपलब्ध कराये जाने का आग्रह किया । जिसकी सुनवाई करते हुए माननीय न्यायधीष विवेक अग्रवाल के न्यायालय ने 18 अगस्त 2023 को एक आदेष पारित करते हुए 15 दिवस में आवेदक को जानकारी दिये जाने के लिए आदेषित किया । जिसके बाद लोक सूचना अधिकारी जिला पंचायत डिण्डौरी के द्वारा रामजीवन वर्मा का नियुक्ति आदेष सहित संलग्न दस्तावेज उपलब्ध कराये गये।
मामला हुआ उजागर –
सहायक परियोजना अधिकारी रामजीवन कुमार वर्मा के नियुक्ति आदेष व अन्य दस्तावेज प्राप्त होने के बाद उनका अवलोकन करने पर मूल निवासी एवं जाति प्रमाण पत्र में भिन्नता पाई गई । श्री वर्मा द्वारा सरकारी नौकरी पाने के लिए जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया गया जिसमें उल्लेख है कि रामजीवन कुमार वर्मा पिता भागवत प्रसाद वर्मा जाति (कोरी ) कुषवाहा पिछडे वर्ग से वास्ता रखते हैं । जिनका निवास स्थान लखनपुर पोस्ट आॅफिस बुधगेरे जिला गया बिहार दर्षाया गया है। उक्त जाति प्रमाण पत्र दिनांक 18.06.1996 को डिस्ट्रिक मजिस्ट्रेट सदर गया बिहार द्वारा जारी किया गया हैं । वहीं मध्यप्रदेश मूल निवासी प्रमाण पत्र 14 अक्टूबर 1996 को तहसीलदार शुजालपुर जिला शाजापुर मध्यप्रदेष के द्वारा जारी किया गया है। महज चार माह के अंतराल में बिहार से मध्यप्रदेश के निवासी दर्षाने पर संदेह पैदा हुआ और आरटीआई कार्यकर्ता अनिल पटेल ने इस बावद दिनांक 11 मार्च 2024 को कलेक्टर डिण्डौरी को एक आवेदन प्रस्तुत कर सूुक्ष्मता से जांच कराने की मांग की है । इसके साथ ही उन्होने तहसीलदार शुजालपुर जिला शाजापुर को आरटीआई के माध्यम से रामजीवन कुमार वर्मा को जारी मूल निवासी प्रमाण पत्र के संबंध में श्री वर्मा द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज और शासन के दिषा निर्देष की मांग की थीं। वहीं कलेक्टर ने प्राप्त आवेदन के विरूद्ध जांच अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) डिण्डौरी को सौंप दी ।
पंजियों में दायर नही है मूल निवासी प्रमाण पत्र जारी करने का उल्लेख –
आवेदक ने तहसीलदार शुजालपुर जिला शाजापुर में सूचना के अधिकार के तहत आवेदन प्रेषित किया था और श्री वर्मा के मूल निवासी जारी संबंधी दस्तावेज और शासन के दिषा निर्देष की मांग की थी जिसके जबाव में तहसीलदार (लोक सूचना अधिकारी) शुजालपुर ने आवेदक को पत्र प्रेषित किया है। जिसमें उल्लेख है कि न्यायालय तहसीलदार शुजालपुर एवं न्यायालय नायब तहसीलदार के वर्ष 1996-97 की दायरा पंजियों का आवलोकन किया गया । आपके द्वारा आवेदन में उल्लेखित दिनांक 14.10.1996 को उक्त नाम का कोई प्रकरण पंजीकृत होना नही पाया गया । इस पत्र के बाद यह स्पष्ट हो गया कि सहायक परियोजना अधिकारी रामजीवन वर्मा द्वारा कूट रचित दस्तावेजो के सहारे सरकारी नौकरी हासिल किया है। मूल निवासी एवं जाति प्रमाण पत्र के संबंध में इस विषय के जानकार अधिकारियों से चर्चा की गई तो उनके द्वारा बतलाया गया कि उस दौरान दूसरे प्रदेष का मूल निवासी होने के लिए कम से कम तीन वर्ष का निवासी होना अनिवार्य था , प्राथमिक और माध्यमिक षिक्षा भी मूल निवासी के लिए प्रदेश में ही अनिवार्य थी । इसके अलावा सरकारी नौकरी को लेकर प्रावधान है कि व्यक्ति दूसरे प्रदेष में नौकरी के लिए आवेदन करता है तो वह एससी, एसटी, ओबीसी का केडर बदलकर सामान्य श्रेणी का माना जायेगा और उसी पात्रता के आधार पर सरकारी नौकरी मिलेगी । लेकिन रामजीवन कुमार वर्मा की सरकारी नौकरी शासन के नियम निर्देषों पर भारी पड़ा।
इनका कहना है –
शिकायत से संबंधित सभी दस्तावेजोे का अवलोकन किया गया है इस बावद जांच पूर्ण कर कलेक्टर महोदय को जांच प्रतिवेदन प्रेषित किया गया है । आगामी कार्यवाई उच्चाधिकारियों के निर्देष पर की जावेगी ।
रामबाबू देवांगन ,
एस.डी..एम. डिण्डौरी