महान चित्रकार पद्मविभूषण सैयद हैदर रज़ा की आठवीं पुण्यतिथि आज चादर पेश कर दी जायेगी पुष्पांजलि

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रेवांचल टाईम्स – मंडला मंगलवार को मंडला की माटी में आराम फरमा रहे मशहूर चित्रकार सैयद हैदर रज़ा की 8वीं पुण्यतिथि पर उनके चाहने वाले श्रद्धा सुमन अर्पित करेंगे। सुबह 10 बजे रज़ा फाउंडेशन द्वारा आयोजित रज़ा स्मृति के तहत विभिन्न कलाकार व उनके सभी चाहने वाले स्थानीय बिंझिया स्थित कब्रिस्तान पहुंचकर कर महान कलाकार को अपनी श्रद्धांजलि देंगे। बता दे कि सैयद हैदर रज़ा का लगभग 95 वर्ष की आयु में 23 जुलाई 2016 को दिल्ली में निधन हुआ था। उनकी इच्छा के मुताबिक उनके पार्थिव शरीर को मंडला लाकर उनके वालिद की कब्र के बगल में पूरे राजकीय सम्मान के साथ सुपुर्द ए खाक किया गया। वर्ष 2010 में पेरिस, फ्रांस से लौटकर दिल्ली शिफ्ट हो गए थे। पेरिस से लौटने के बाद उन्होंने अपने 14 सोलो शो किए। इनमे 2 शो लंदन और बाकी शो कोलकाता, दिल्ली और मुंबई में हुई। वर्ष 2015 में उन्हें फ्रांस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान प्रदान किया गया। भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 1981 में पद्मश्री, वर्ष 2007 में पद्म भूषण और वर्ष 2013 में पद्म विभूषण सम्मान प्रदान किया। शिव नादर विश्वविद्यालय नोएडा और खेरागढ़ विश्वविद्यालय द्वारा उन्हें मानद डिलीट की भी उपाधि प्रदान की गई थी।

रज़ा स्मृति के तीसरे दिन भी बड़ी संख्या में कला के शौकीन रज़ा कला वीथिका पहुंचे और अपनी पसंद के मुताबिक चित्रकारी कर अपने चहेते कलाकार को याद किया। चित्रकारों ने सफ़ेद छातों पर आकर्षक चित्रकारी की। गमले में भी लोगों में अपनी चित्रकारी का हुनर दिखाया। भीखम प्रजापति से लोगों ने चाक पर मिटटी की चीज़े बनाना सीखा। रपटा घाट में आयोजित चित्रकला कार्यशाला में नर्मदा तट पर चित्रकारी कर रहे मेहमान कलाकार रजनी भोसले, प्रीति मान, रिव्या बकुत्रा, पूर्वी शुक्ल, अनूप श्रीवास्तव, सनी मालवतकर, दीपक कुमार श्याम, आत्माराम श्याम, हरिओम पाटीदार और प्रभात जोशी कैनवास पर अपनी कलाकृति को पूर्ण करने में जुटे हुए है। इनका काम देखने में भी बड़ी संख्या में कला के शौकीन रपटा घाट पहुँच रहे है।

इसके पूर्व रज़ा स्मृति के दूसरे दिन रविवार की शाम झंकार भवन में रानू चंद्रौल द्वारा कथक नृत्य की आकर्षक प्रस्तुति दी गई। रानू नृत्य की शुरुआत दुर्गा स्तुति से की फिर उसके बाद ताल, तीन ताल और कृष्ण जी की ठुमरी में अपनी प्रस्तुति दी। इसके बाद हिन्दी उर्दू कविता पाठ के पहले दिन वाजदा खान, पूनम अरोड़ा, चराग शर्मा और शाहबाज रिजवी ने अपनी गज़लें, नज्में, कविताएं पढ़ी। चराग शर्मा का शेर “तुम्हें ये ग़म है कि अब चिठ्ठियाँ नहीं आतीं, हमारी सोचो, हमें हिचकियाँ नहीं आतीं” काफी पसंद किया गया। इसके अलावा उन्होंने अपनी नज़्म और लतीफ़ा गुमशुदा की तलाश भी पेश किया। पूनम अरोड़ा ने किरदार सुखना झील और पीपल का पेड़, अनुपस्थिति के गीत, नींद, प्रीति के फूल, वृक्षों की छाया में खंडित देवता, रंगरेज़ शीर्षक कविताएं पढ़कर खूब तालियां बटोरी। शाहबाज रिजवी ने ग़ज़ल, ‘बस तेरे पांवों की कमी था मैं,
हमारे सर के लिए भी किसी का शाना था” पेश की। उन्होंने हम दोनों, विरह और पावस शीर्षक की नज्में और गज़लें भी पढ़ी। इनकी गज़लों को काफी पसंद किया गया। वाजदा खान ने उम्मीद का गहरा रंग ,किस्म किस्म की रंगतें, लज़ीज़ भूलें,दो गुना दो,बया का घोंसला,तोता पाठ, सुमेल, कोशिश, नमक, क़ातिल, झील की देह में शीर्षक की कविताएं प्रस्तुत की ।

कथक नृत्य और हिंदी उर्दू काव्य पाठ के बाद स्थानीय विधायक व प्रदेश शासन की कैबिनेट मंत्री श्रीमती संपतिया उइके के हाथों छाते पर रंग और ग्रीष्म ऋतु में आयोजित कथक और चित्रकला के प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। इस मौके पर श्रीमती संपतिया उइके ने कहा कि रज़ा साहब के मंडला आने के वक़्त से वो रज़ा फाउंडेशन के कार्यों से जुडी हुई है। रज़ा फाउंडेशन द्वारा कला के क्षेत्र में बहुत बढ़िया कार्य किया जा रहा है। इससे मंडला में कला को लेकर बेहतर माहौल तैयार हो रहा है। इसके लिए मैं रज़ा फाउंडेशन को बधाई देती हूँ। अपने स्तर से जितना भी संभव होगा उतना मेरा सहयोग कला कलाकारों के विस्तार के लिए मैं जरुर करुँगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कलाओं को समर्पित रज़ा फाउंडेशन ने महान चित्रकार की जन्भभूमि पर जो परंपरा विकसित की है वह भविष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। विभिन्न कलाओं से सजे इस कार्यक्रम की रूप रेखा आने वाली पीढ़ी के लिए अनुकरणीय है और मानवीय बने रहने की प्रेरणा देती है।

रज़ा फाउंडेशन के सदस्य सचिव संजीव चौबे ने बताया कि मंगलवार को रज़ा साहब की 8वीं पुन्यतिथि पर बिंझिया स्थित कब्रिस्तान में सुबह 10 बजे पुष्पांजलि दी जाएगी।
उन्होंने कला प्रेमियों से कब्रिस्तान पहुंचकर रज़ा साहब को श्रद्धा सुमन अर्पित करने की अपील की है।

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