होली का त्योहार और हम…
रेवांचल टाईम्स – सर्वप्रथम तो हम चर्चा करेंगे होली के आध्यात्मिक महत्व का पुरातन सनातन काल से जो हमारे यहां होली का उत्सव मनाया जाता रहा उसके पीछे सिर्फ और सिर्फ आध्यात्मिक महत्व ही निहित है कंडों की होली जलाई जाती थी आसपास के झाड़ी झंकार साथ में जलाए जाते थे साफ सफाई की जाती थी होली जलाने के बाद उसमें विभिन्न प्रकार की जड़ी बूटियां और इससे जो भभूत तैयार हो जाती थी उसे होली खेली जाती थी
हमारे शरीर में जिन रंगों की कमी हो जाती है उन रंगों को इस होली के माध्यम से शरीर अवशोषित करता है और साल भर के लिए अपने आप को सुरक्षित करता है आज के परिवेश में जिस तरह से होली खेली जाती है उसे फूहड़ता अश्लीलता का समावेश अत्यंत देखने मिलता है जबकि इसका आध्यात्मिक महत्व कुछ और है जिसे समझना हर व्यक्ति को अत्यंत जरूरी है पहले हल्दी की गुलाल जो की अरारोट में हल्दी या फिर गुलाब की पत्तियां पीस के मिलाया जाता था उसे खेली जाती थी होली का टीका लगाया जाता था (यहां मैं आपका ध्यान आकर्षित करूंगी की होली मतलब हल्दी और बिल्कुल हल्की मात्रा में चूने का प्रयोग करके बनाया जाता है) टेसू के फूल का रंग बनाया जाता था जो कपड़े रेंज भी जाते थे और यह शरीर में अब्जॉर्ब होकर हमारे शरीर सभी चक्रों को सक्रिय करने का काम करता था और कहा यह भी जाता है कि एक बार टिशु के फूल के रंग का उपयोग करने से पूरी गर्मी भर लु नहीं अब तो बाजार में अनेक तरह के रासायनिक पदार्थ वाले रंग आ गए हैं जिससे कि पूरा वातावरण मे प्रदूषण हो रहा है जल प्रदूषित हो रहा है क्योंकि यह जल स्रोतों में जाकर स्नान करते हैं और यही रासायनिक पदार्थ जल में मिल जाते हैं इस जल का जब हम उपयोग करते हैं शरीर में कई बीमारियों को जन्म देता है। ऐसा ना हो और हम पुनः फिर से अपनी होली मनाई यह तो नहीं कहूंगी की अनेकों प्रयास इस दिशा में किए गए पर कुछ प्रयासों का उल्लेख अवश्य करूंगी जो मेरे द्वारा किए गए
2008 भोपाल में फूलों की होली तिलक होली सब्जियों की होली की शुरुआत की गई जिसमें इस समय जो सब्जियां आती हैं
पालक से हरा रंग, टेशू , गाजरके से नारंगी रंग , हल्दी से पीला रंग, चुकंदर से बैगनी रंग, गैदे के फूल से, गुलाब, चमेली के फूल को सुखाकर अरारोट में मिलकर तिलक होली मनाई
कोशिश करें कि पानी का प्रयोग बहुत कम करें
बूंद बूंद पानी को सहज है जल है तो कल है
यू मनाये होली
अगर आपको लगता है की सही में ऐसे मानना है तो लिए संकल्पित हुई है अपने लिए अपने देश के प्रति प्रदूषण ना करें रंगों के महत्व को समझें!
डॉ सरिता अग्निहोत्री मंडला मध्य प्रदेश
