रज़ा साहब को देश – विदेश का कला जगत एक महान कलाकार के रूप में याद करता है – अशोक वाजपेयी
अज़ीम फनकार हैदर रज़ा को चादर पेश कर दी गई खिराज ए अकीदत
रेवांचल टाईम्स – मंडला चित्रकारी, साहित्य, शास्त्रीय नृत्य और लोक गीतों के समागम के साथ संपन्न हुआ रज़ा स्मृति 2024
मंडला – पद्मश्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त महान चित्रकार सैयद हैदर रज़ा की आठवीं पुण्यतिथि पर उनको पुष्पांजलि अर्पित की गई। मंडला नगर की बिंझिया स्थित कब्रिस्तान में सैयद हैदर रज़ा और उनके पिता की कब्र पर चादर पेश कर फाउंडेशन के सदस्य, कलाकार, कवि, साहित्यकार और लोक कलाकारों ने इस महान कलाकार को श्रद्धा सुमन अर्पित किए। रज़ा साहब को श्रद्धांजलि देते हुए रज़ा फाउंडेशन के प्रबंध न्यासी अशोक वाजपेयी ने कहा कि रज़ा साहब एक विश्व स्तर के कलाकार थे जिन्होंने अपना बचपन मंडला में बिताया। यहां की नर्मदा को वे कभी भूले नहीं। उनकी बहुत बड़ी इच्छा थी कि अगर मेरा इंतकाल भारत में हो तो मुझे नर्मदा जी के पास अपने पिता की कब्र के बगल में दफनाया जाना चाहिए। आज से 8 साल पहले आज के दिन उनका इंतकाल हुआ था। हम उनको दिल्ली से यहां लाए थे। 24 तारीख को यहां उन्हें सुपुर्द ए खाक किया गया था।
अशोक वाजपेयी ने कहा कि देश का कला जगत और अंतरराष्ट्रीय कला जगत भी एक महान कलाकार के रूप में याद करता है। हम में से बहुत लोग हैं जिनको यह सौभाग्य था उनकी मित्रता का, उनके सानिध्य का, उनके प्रेरणा और आशीर्वाद का। 8 साल से हम यहां रज़ा को मंडला में फिर से मौजूद करने की कोशिश करते हैं। साल में दो बार हम आयोजन करते हैं जो चित्रकला, संगीत, लोक कला इत्यादि से संबंधित है। इससे यहां के युवा, छात्र ,कलाकार, नागरिक को यह याद रहने लगे कि वह जिस शहर में रहते हैं उस शहर से महान कलाकार आया था और इस बहाने उनका दुनिया में क्या हो रहा है इसकी भी कुछ खबर लगती रहती है। अभी तक तो हमें अच्छा सहयोग मिल रहा है। उम्मीद करते हैं कि धीरे-धीरे ऐसे लोग बढ़ेंगे जो बारिश के दौरान उन छातों का उपयोग तो करेंगे ही जो रज़ा फाउंडेशन उनको रंगने के लिए देता है लेकिन बारिश के पहले और बाद में भी ऐसा अदृश्य छाता लगाए रखेंगे जिसका नाम रज़ा होगा।
रज़ा स्मृति में बतौर कवि हुए शामिल चिराग शर्मा ने कहा कि मैं अपना सौभाग्य समझता हूं कि रज़ा साहब का जो योगदान है, कल की दुनिया में, उसके कर्ज को तो हम उतार नहीं सकते उन्होंने जो हम पर और दुनिया पर, जो एहसान किया है। लेकिन उन्हें याद कर हम अपनी जिम्मेदारियां को पूरा करने का एहसास जो हम जी रहे उसमें हमें बहुत सुखद अनुभूति होती है। मैं अपना सौभाग्य समझता हूं कि उस पुण्य भूमि में मुझे आने का मौका मिला है ,जहां रज़ा साहब जैसा कलाकार पैदा हुआ। जिस जमीन ने ऐसे कलाकार दिए दुनिया को, उस मिट्टी की खुशबू लेने का सौभाग्य मुझे मिला, मैं खुश किस्मत हूं।
रज़ा स्मृति में अपनी प्रतुती देने पहुंचे प्रसिद्ध कबीर गायक भैरू सिंह चौहान ने रज़ा साहब को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि रज़ा साहब एक महान कलाकार थे। हम रज़ा फाउंडेशन के ओर से से हम बार-बार मंडला आते हैं। कबीर वाणी के द्वारा रज़ा साहब का संदेश देते हैं कि “हिंदू मुस्लिम सिख इसाई सब इंसानों की एक हीं माई, इन सबको मालूम नहीं है झूंठी करते लड़ाई”। रज़ा साहब बहुत ही सहज और सरल थे, अनुभवी थे, देश के जाने माने कलाकार थे। उनका समरसता, समानता और प्रेम का बहुत अच्छा भाव होगा इसलिए हम लोग सब मिलकर उनकी याद में, उनकी स्मृति में, सब कवि, गायक, सभी लोग आते हैं और बहुत अच्छा लगता है।
इसके पूर्व रज़ा समृति के तीसरे दिन रज़ा कला वीथिका में बड़ी संख्या में लोग चित्रकारी करने पहुंचे तो रपटा घाट में चित्रकला कार्यशाला के कलाकारों ने अपनी कलाकृति पूर्ण की। कबीर गायक भैरू सिंह चौहान ने सरदार पटेल स्कूल ऑफ नर्सिंग में कबीर गायन की शानदार प्रस्तुति दी। झंकार भवन में आयोजित सांस्कृतिक संध्या में सुशीला पुरी, जोशन बनर्जी आडवानी, अमरदीप सिंह और कमर अब्बास अपने काव्य पाठ प्रस्तुत किए। प्रसिद्ध कबीर गायक भैरू सिंह चौहान ने अपने साथियों के साथ अपने अनोखे अंदाज़ में कबीर गायन से शमां बांध दिया। इस दौरान ग्रीष्म ऋतु में चित्रकला कार्यशाला और संगीत कार्यशाला के प्रतिभागियों को रज़ा फाउंडेशन के प्रबंध न्यासी अशोक वाजपेयी ने सर्टिफिकेट प्रदान किए। छातों में आकर्षक और कलात्मक कलाकारी करने वालों को छाते भी वितरित किए गए। रज़ा स्मृति 2024 के आयोजन को सफल बनाने में में इनर वोइस सोसाइटी, माँ रेवा सेवा महाआरती समिति और सरदार पटेल स्कूल ऑफ नर्सिंग, मण्डला ने अपना विशेष सहयोग प्रदान किया।
