एकादशी व्रत कथा बुधवार…

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रेवांचल टाईम्स – कामिका एकादशी के दिन सवेरे-सवेरे भगवान कृष्ण की आराधना करें. पीले फूल, पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें. फल भी अर्पित कर सकते हैं. भगवान कृष्ण का ध्यान करें. उनके मंत्रों का जप करें. शिवजी को जल अर्पित करें. फिर शाम के समय पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं. पूर्ण रूप से जलीय आहार लें या फलाहार लें. अगर भोजन ग्रहण करना ही है तो सात्विक भोजन ही ग्रहण करें. मन को ईश्वर में लगाएं. क्रोध न करें.

सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।
भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।

अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।

भगवान की आरती करें।

भगवान को भोग लगाएं।

इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।

कामिका एकादशी व्रत कथा
प्राचीन काल में एक गांव में क्रोधी स्वभाव के ठाकुर रहते थे। एक दिन उन ठाकुर का एक ब्राह्मण से झगड़ा हो गया और उन्होंने गुस्से में उस ब्राह्मण की हत्या कर दी। अपने पापों मिटाने के लिए ब्राह्मण का अंतिम संस्कार करने की इच्छा जाहिर की, लेकिन ब्राह्मणों ने उन्हें ऐसा नहीं करने दिया। ठाकुर पर हत्या का दोष लग गया।

एक दिन ठाकुर ने एक मुनि से ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति का उपाय पूछा। तब मुनि ने इस पाप से मुक्ति पाने के लिए कामिका एकादशी व्रत रखने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि इस व्रत को करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।

ठाकुर ने मुनि के बताए अनुसार कामिका एकादशी व्रत किया और भगवान विष्णु का पूजन किया। भगवान श्रीहरि ने स्वप्न में ठाकुर को दर्शन दिए और उसे ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्त कर दिया। तब से मान्यता है कि जो व्यक्ति कामिका एकादशी व्रत कथा को पढ़ता या सुनता है भगवान विष्णु की कृपा से उसके सारे पाप मिट जाते हैं।
पं मुकेश जोशी 9425947692

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