पत्रकार सुरक्षा कानून छत्तीसगढ़ एवं महाराष्ट्र में लागू हो सकता है तो मध्यप्रदेश में क्यों नहीं?

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रेवांचल टाईम्स – इंडिपैंडेंट स्टेट प्रेस प्रिंट मीडिया ऐसोसिएशन ने मध्यप्रदेश में पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने, छोटे मझौले साप्ताहिक एवं मासिक समाचार पत्र एवं पत्रिकाओं एवं मिडिया कर्मियों की रक्षा हेतु 11 सूत्रीय माँगांे का ज्ञापन मुख्यमंत्री डाॅ॰ मोहन यादव के नाम जिला कलेक्टर जबलपुर दीपक कुमार सक्सेना को सौंपा।
जबलपुर इंडिपैंडेंट स्टेट प्रेस प्रिंट मीडिया ऐसोसिएशन के संस्थापक ठा. दीपक सिंह राजपूत ने कहा कि देश की आजादी से लेकर आज तक पत्रकारों ने देश व समाज की रक्षा एवं उत्थान हेतु हमेंशा प्रमुख भूमिका निभाई है, लेकिन आज सम्पूर्ण देश के छोटे एवं मझौले समाचार पत्र पत्रिकाओं व मिडिया कर्मियों के अस्तित्व पर संकट दिखाई दे रहा है, जिसकी रक्षा हेतु संस्था ने ज्ञापन सौंपा, जिसमें प्रमुख रूप से मध्यप्रदेश में पत्रकार सुरक्षा कानूनी माँग दौहराई गई, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान के द्वारा विधानसभा चुनाव 2023 से पूर्व सरकार बनने के बाद मध्यप्रदेश में पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने की घोषणा की थी, इसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय के उप सचिव दिलीप कुमार कापसे, के पत्र क्रमांक एफ-19-45-2023/1/4 दिनाँक 20.09.2023 को जारी पत्र के अनुसार उप मुख्य सचिव मध्यप्रदेश शासन गृह विभाग की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय समिति का गठन किया गया था, लेकिन नई सरकार बनने के बाद ना ही घोषणा के संबंध में कोई विचार किया गया, ना ही पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने वाली समिति की बैठक बुलाई गई, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने मालवीय नगर भोपाल में स्टेट मिडिया सेंटर के भूमि पूजन समारोह के अवसर पर पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा था कि “पत्रकार समाज एवं सरकार के मध्य सेतू की भूमिका निभाते है, पत्रकार समाज के अंतिम व्यक्ति की आवाज़ होते है, पत्रकारिता एक धर्म है, जिसके निर्वाहन के लिए पत्रकार युद्ध, बाढ, भूकंप तथा कोरोना जैसी भीषण महामारी में पत्रकार अपना जीवन दांव पर लगाकर कार्य करते है, जब विपत्तियों में लोग सुरक्षित स्थान खोजते है, तब सब पत्रकार समाधान खोजते है“ श्री चैहान ने छोटे मझौले, साप्ताहिक, मासिक समाचार पत्र पत्रिकाओं को हर माह के अंतराल में सरकारी विज्ञापन जारी करने की घोषणा भी की थी, उस घोषणा पर भी आज तक कोई अमल नहीं किया गया। पूर्व में साप्ताहिक मासिक समाचार पत्र-पत्रिकाओं को एक साल में 4 सरकारी विज्ञापन मिलते थे, जनवरी, अप्रेल, अगस्त, नवम्बर में मिलने वाली विज्ञापन की दर 15,000/- रू॰ प्रति विज्ञापन है। अभी वर्तमान में यह स्थिति है कि साप्ताहिक मासिक समाचार पत्र-पत्रिकाओं को एक साल में सिर्फ दो ही सरकारी विज्ञापन बामुश्किल प्राप्त हो रहें है, जिनके बिलों का भुगतान जनसम्पर्क विभाग द्वारा एक साल बाद भुगतान किया जाता है, जिससे पत्रकारों में रोष व्याप्त है, ठा. दीपक सिंह राजपूत ने कहा कि पत्रकार निवास्र्थ रूप से कार्य करते हुए अन्याय, अत्याचार एवं भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष करते है, जिससे उन्हें कई खतरों से जूझना पड़ता है। ऐसे में उनकी जान माल एवं परिवार की सुरक्षा हेतु मध्यप्रदेश में पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करना अतिआवश्यक है, लेकिन शासन के द्वारा इसपर गंभीरता से विचार नहीं किया जा रहा है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है, साप्ताहिक मासिक समाचार पत्र-पत्रिकाओं की छपाई में इस्तेमाल होने वाली स्याही पेपर पिंटिंग अत्यंत मेहंगी हो गई है, विगत अनेंक वर्षों से विज्ञापन नीति दरों की समिक्षा नहीं हुई है, विज्ञापन की दर बढ़ाए जाने की अतिआवश्यकता है, तभी मिडिया कर्मियों का आयुष्मान की तर्ज पर 20 लाख रूपये का स्वास्थ्य बीमा कार्ड जारी किया जायेगा, पत्रकारों की समस्या का तुरंत निराकरण हेतु मध्यप्रदेश जन सम्पर्क विभाग द्वारा 24 घंटे कार्य करने वाले टोल फ्री नम्बर जारी किया जाये, जन सम्पर्क विभाग में एकल खिड़की प्रणाली (सिंगल विंडो सिस्टम) बनाया जाये, केन्द्र सरकार एवं मध्यप्रदेश सरकार द्वारा बनाए जा रहे आवासों में पत्रकारों को आवास आवंटित करायें जाये, मध्यप्रदेश की पत्रकार नीति में संशोधन किया जाये, मध्यप्रदेश में प्रकाशित होने वाले साप्ताहिक मासिक समाचार पत्र-पत्रिकाओं को मिलने वाले सरकारी विज्ञापनों की दर बढ़ाई जाये एवं साल के हर दूसरे माह में सरकारी विज्ञापन प्रदान किए जायें, मध्यप्रदेश में पत्रकार कल्याण आयोग का गठन किया जाये एवं मध्यप्रदेश में पत्रकार पंचायत का आयोजन करने सहित इन प्रमुख मांगों को लेकर आज महत्तवपूर्ण ज्ञापन सौंपा गया। इंडिपैंडेंट स्टेट प्रेस प्रिंट मीडिया ऐसोसिएशन के संस्थापक ठा. दीपक सिंह राजपूत ने कहा कि मध्यप्रदेश में पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने हेतु उनका संगठन लगातार संघर्ष करता रहेगा एवं पत्रकार हित में कार्य करता रहेगा।

भवदीय
ठा॰ दीपक सिंह राजपूत

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