नर्मदा घाटी के बांध और चुटका परियोजना पर पुनर्विचार हो नदी संरक्षण, नदी घाटी सुरक्षा एवं पुनर्जीवन’ विधेयक संसद में पेश होगा

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रेवांचल टाईम्स – मंडला, ज़िले में विगत 31 अगस्त को नर्मदा घाटी के बड़वानी जिले में नर्मदा बचाओ आंदोलन के 39 वर्ष पूरा होने पर विभिन्न नदी घाटी के संरक्षण के लिए काम करने वाले दस राज्यों के पर्यावरणविद, जलवायु विशेषज्ञ,जनसंगठन प्रमुख और सैकड़ों बांध प्रभावित महिला- पुरुष शामिल थे।

कार्यक्रम की भूमिका रखते हुए नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर ने  सरदार सरोवर का जलस्तर बढने और संभावित डूब तथा नर्मदा नदी के प्रदूषित जल की चुनौतियों  की बात रखी।उन्होंने  नदी घाटी के आदिवासी किसान, मजदूर, मछुआरे आदि को न्याय दिलाने और नदी संरक्षण के लिए नागरिक समाज को आगे आने का आह्वान किया।

उमरिया के आदिवासी नेता राधे श्याम काकोङिया ने कहा कि जल जंगल जमीन पर आदिवासियों का हक,संवैधानिक प्रावधानों और पेसा कानून के क्रियान्वयन को देशभर में नकारा जाता है, तभी विकास के नाम पर विनाश होता है|

राजस्थान के निखिल डे ने कहा कि नर्मदा आंदोलन ने जो हासिल किया है वह शासन के साथ  संघर्ष और संवाद का अद्भुत उदाहरण है।

अन्तर्राष्ट्रीय गोल्ड मेन पुरूस्कार प्राप्त पर्यावरणविद प्रफुल्ल समांत्रा ने कहा कि पीढियों से आदिवासी, किसान, मजदूर सभी ने  नदी को प्रदूषण और विनाश से बचाया है।विकास को कॉर्पोरेट के भरोसे छोड़ दिया गया है जो केवल मुनाफा कमाने के लिए सभी नियम कानून को ताक रख दिया

अंतर्राष्ट्रीय जलवायु विशेषज्ञ सोम्य दत्ता ने चेताया कि प्रकृति के साथ खिलवाड़ करने से ही कार्बन की मात्रा बढ़ी है,जिससे कम समय में अत्यधिक वर्षा के कारण बाढ़ की तबाही,तापमान एवं आद्रता बढने से जानलेवा गर्मी और अनपेक्षित ठंड से इंसान के समक्ष संकट  गहरा गया है।नेशनल स्माल स्केल फिशरीज यूनियन पश्चिम बंगाल के प्रदीप चटर्जी ने कहा कि मछुआरों की जिंदगी नदियों पर निर्भर है।अगर नदी खत्म होगा है तो मछुआरा भी खत्म हो जाएगा।इसलिए नदियों के संरक्षण में मछुआरों की महत्वपूर्ण भूमिका है। बरगी बांध विस्थापित एवं प्रभावित संघ के राज कुमार सिन्हा ने बसनिया, राघवपुर, अपर नर्मदा, अपर बुढनेर, मोरांड-गंजाल बांध और चुटका परियोजना को लेकर आदिवासियों द्वारा किये जा रहे विरोध औ संघर्ष की बात रखी।इसके लिए सभी से समर्थन मांगा।उपस्थित लोगों ने एकमत होकर कहा कि नर्मदा घाटी की इस परियोजना पर मध्यप्रदेश सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए।मंच ने आदिवासियों के इस संघर्ष का समर्थन किया।

‘नदी संरक्षण, नदी घाटी सुरक्षा एवं पुनर्जीवन’ अधिनियम के मसौदे को जाहिर करते हुए सासंद राजाराम सिंह और मनोज झा के सांसद प्रतिनिधि पुरूषोत्तम  शर्मा ने संसद के शीतकालीन सत्र में  विधेयक पेश करने का आश्वासन दिया।

राज कुमार सिन्हा

बरगी बांध विस्थापित एवं प्रभावित संघ मंडला

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