बच्चों को नही मिल रहा खाना, और रुपयों का भूंखा बीईओ, बच्चे लगा रहे व्यवस्था पर गंभीर आरोप…

आदिवासी बच्चो की शिक्षा को तबाह बर्बाद कर देगा बीईओ बीजाडांडी

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रेवांचल टाईम्स – मंडला, आदिवासी बाहुल्य जिले में शिक्षा व्यवस्था में जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारियों की लूट खसोट के चलते आज दुरुस्त ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित शासकीय स्कूलों की व्यवस्था में ग्रहण लग चुका है और शिक्षा व्यवस्था आज बद से बत्तर होतीजा रही है, शायद इसलिए आज कुछ सक्षम बच्चों के अविभावक उनके अच्छे भविष्य के लिए प्राइवेट स्कूलों के महंगी महंगी फीस देकर बच्चों को पढ़ा रहे क्योंकि सरकारी स्कूलों से उनके विश्वास उठ चुका हैं, स्कूलों में बैठे हजारों, लाखों रुपये महीना की तनख्वाह लेने वाले शिक्षक एक रुपये का भी काम नही कर रहे है साथ ही स्कूल संचालन मरम्मत के लिए जो राशि सरकार से मिल रही है उसमें भी लूट कर जेब भर रहे हैं।
वही सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार मंडला जिले के विकासखंड वीजादांडी के शिक्षा अधिकारी आदिवासी बच्चो के प्रति नाग की तरह जहर उगल रहे है, यह आरोप जनपद उपाध्यक्ष एवं शिक्षा समिति सभापति विजेंद्र यादव (मोंटू ) ने किया !
वही जानकारी अनुसार मामला उन्नत प्राथमिक शाला खूसर का है, जहाँ पर सभापति के औचक निरीक्षण में शाला में पाया और अध्ययनरत छात्र छात्रों ने जो बतलाया वह झकझोर देने वाली बात सामने आई है, शाला में मिला पत्र में खुलम खुल्ला उल्लेखित है, 9/9/24 को निरीक्षण पर संयोजनी उपस्थित मिली ! वही शाला प्रभारी पंचम सिंह वरकड़े बीमारी का बहाना बना कर खेत के काम काज में लगे होने की जानकारी प्राप्त हुई है, और नाम न छापने पर कुछ शिक्षकों ने यह भी बतलाया कि आप हप्ता महीना खण्ड शिक्षा अधिकारी को दो और मन मानी छुट्टियां ले ले आप समय आओ या न आओ या फिर छुट्टी चाइये तो ख़र्चा पानी करो और आराम करो क्योंकि अगर शिकायत होती भी है तो बी ई ओ साहब सब संभाल लेते है बस उनका ख्याल रखो वह अपनी पूरी जिम्मेदारी निभाते हैं । वही बहुत से टीचर तो कभी आते है तो कभी नही जाते है पर तनख़्वाह पूरी ले रहे है बस उन्हें बतला भर दो बी ई ओ साहब ऊपर से लेकर सब को सेट करते है कोई कुछ नही कर सकता कोई कही भी शिकायत कर से कोई फर्क नही पड़ता है क्योंकि इन सब मे साहब की अच्छी सेटिंग है बस उन्हें खर्चा पानी दे और एस करें आज पूरे ब्लॉक की बहुत बुरी स्थिति बनी हुई है अधिकांश टीचर समय में मुख्यालय और दूर दूर से आते है कोई बस से आते है तो कोई अपने निजी वाहन से पर समय में नही पहुँचते है जब पूछने पर पता चलता है आज गाड़ी लेट हो गई थी या फिर शाला नही पहुँचते है तो एक बहाना की मीटिंग है मीटिंग में चला गया था तरह तरह के बहानों से आज बच्चों का भविष्य अंधकार में दिखाई पड़ रहा है।
यदि यह अवकास लेते तो स्कूल पर आवेदन देते पर महोदय को बच्चो के भविष्य से कोई लेना देना नहीं औऱ स्कूल को अपना घर बना के रखे है जब लगा आ गए जब लगा चले गए 7 तारिख की भी उपस्तिथि नहीं है ! बीईओ साहब के कारनामें की चर्चा आग तरह फ़ैली है वर्तमान बीईओ के लिए पैसा ही माई बाप है ! जनचर्चा यह भी है कि रुपयों का भूँखा बीईओ जब से आया तब से स्कूल का निरीक्षण नहीं किया अपने कार्यकाल में ही बैठे बैठे सब कुछ कर रहे है वही शिक्षा समिति के अध्यक्ष और जनपद उपाध्यक्ष के निरीक्षण में पाया कि बच्चों को 9 तारिख को खाना नहीं मिला ! बीईओ को पैसो से प्यार है आदिवासी बच्चो के भविष्य से कोई लेना देना नही है, वही पत्र में उल्लेख है की 10 में से 9 बच्चे उपस्तिथि है ! जहाँ पर मध्यान भोजन नहीं बना है ! रसोई ने सूचना दी थी हम बीमार होने के कारण भोजन नहीं बना पांएंगे इस वर्ष पिछले वर्ष की सामग्री मिल गई है ! वही शाला में अप्रैल माह से लाइट कनेक्शन है, पर आज भज चालू नहीं है ग्रामीणों ने बताया स्कूल प्रभारी और बीईओ का तालमेल जबरजस्त है जब लगा आ गए तब लगा चले गए और मध्यान भोजन भी कभी कभी बनाते है, क्योंकि न कोई देखने वाला है और न ही कोई सुनने वाला है, वही शाला में पढ़ने वाले बच्चों ने उपाध्यक्ष से निवेदन किया है कि हम बच्चों के भविष्य का ख्याल रख कर उचित मसाब औऱ खाना बनाने वाले समूह पर उच्च अधिकारी द्वारा जांच करवाई जाने की मांग की है,जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य बन सके और लापरवाह शिक्षक और अधिकारी पर भी कार्यवाही की जाना चाहिये।

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