राजा शंकरशाह और कुंवर रघुनाथशाह ने देश की आजादी और धर्म संस्कृति की रक्षा के लिए स्वतंत्रता का बिगूल फूका – मंत्री श्रीमती संपतिया उइके

राजा शंकरशाह और कुंवर रघुनाथशाह की वीरगाथाओं का उल्लेख इतिहास में किया जाएगा - सांसद श्री फग्गन सिंह कुलस्ते

155

18 सितंबर को बलिदान दिवस का श्रृद्धांजलि कार्यक्रम राज राजेश्वरी किला वार्ड में संपन्न हुआ

 

मंडला 18 सितंबर 2024

            प्रदेश शासन की लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री श्रीमती संपतिया उइके ने कहा कि भारत देश के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और गोंडवाना साम्राज्य के शासक राजा शंकरशाह और कुंवर रघुनाथशाह ने देश की आजादी और धर्म, संस्कृति की रक्षा करते हुए वीर गति को प्राप्त हुए हैं। सन 1857 के विद्रोह के दौरान जब पूरे देश में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह की लहर चल रही थी, तो उन्होंने अंग्रेजों के विरूद्ध संघर्ष की योजना बनाई। राजा शंकरशाह ने अपने पुत्र रघुनाथशाह के साथ मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ आजादी का बिगुल फूका। उनका मानना था कि अंग्रेज हमारे देश के स्वाभिमान, धर्म एवं समृद्ध संस्कृति को नष्ट करने में तुले हुए हैं, इसलिए अंग्रेजों से आजादी मिलना जरूरी है। मंत्री श्रीमती संपतिया उइके बुधवार को राज राजेश्वरी किला वार्ड में राजा शंकरशाह और कुंवर रघुनाथशाह के बलिदान दिवस के अवसर पर आयोजित श्रृद्धांजलि कार्यक्रम को संबोधित कर रही थी। इस अवसर पर सांसद श्री फग्गन सिंह कुलस्ते, जिला पंचायत अध्यक्ष श्री संजय कुशराम, कलेक्टर श्री सोमेश मिश्रा, पुलिस अधीक्षक श्री रजत सकलेचा, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री श्रेयांश कूमट, नगरपालिका अध्यक्ष श्री विनोद कछवाहा, जिला पंचायत उपाध्यक्ष श्री कमलेश तेकाम, सांसद प्रतिनिधि श्री जयदत्त झा, जिला पंचायत सदस्य एवं सभापति संचार एवं संकर्म निर्माण समिति श्री शैलेष मिश्रा, जिला पंचायत सदस्य सुश्री ललिता धुर्वे, श्री रूचिराम गुरवानी, श्री प्रफुल्ल मिश्रा, श्री अनादि वर्मा, श्री देवेन्द्र मरावी, श्री धनुवा उइके सहित विभिन्न जनप्रतिनिधि एवं अधिकारी, कर्मचारी मौजूद थे। मंत्री श्रीमती संपतिया उइके, सांसद श्री फग्गन सिंह कुलस्ते, जिला पंचायत अध्यक्ष श्री संजय कुशराम और नगर पंचायत अध्यक्ष श्री विनोद कछवाहा, कलेक्टर श्री सोमेश मिश्रा, पुलिस अधीक्षक श्री रजत सकलेचा और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री श्रेयांश कूमट ने राजा शंकरशाह और कुंवर रघुनाथशाह के बलिदान दिवस के अवसर पर मौन धारण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। उनकी वीरता और शहादत को नमन करते हुए उन्हें सालामी दी गई। इस अवसर पर भारत माता की जय, स्वतंत्रता दिवस अमर रहे, राजा शंकरशाह और कुंवर रघुनाथशाह की जय जयकार के नारे लगाए गए। जिससे पूरा श्रृद्धांजलि स्थल नारों से गूंज उठा।

            मंत्री श्रीमती संपतिया उइके ने कहा कि राजा शंकरशाह और कुंवर रघुनाथशाह की शहादत से हम गौरवान्वित है कि हम इन महान विभूतियों की जन्म स्थली और कर्म स्थली में हम निवास करते हैं। उन्होंने बताया कि राजा शंकरशाह ने सन 1818 और 1842 को भी विद्रोह किया था, जिससे उन्हें अंग्रेजों से आजादी मिल जाए। उन्होंने कहा कि इन महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज होना चाहिए। उन्होंने कहा कि राजा शंकरशाह और कुंवर रघुनाथशाह की वीर गाथाओं को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा, जिससे आने वाली पीढ़ी इनकी वीर गाथाओं से प्रेरणा प्राप्त कर सके। मंत्री श्रीमती संपतिया उइके ने कहा कि राजा शंकरशाह की जन्म स्थली राज राजेश्वरी महल का जीर्णोद्धार कर इसे सुरक्षित व संरक्षित किया जाएगा। उन्होंने इसके लिए जिला प्रशासन द्वारा पुरातत्व विभाग एवं संस्कृति विभाग को प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए हैं, जिससे जीर्णोद्धार का कार्य प्रारंभ किया जा सके। उन्होंने बताया कि राजा शंकरशाह और कुंवर रघुनाथशाह को स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में भाग लेने के कारण उन्हें गिरफ्तार किया गया। अंग्रेजों ने उन्हें 18 सितंबर 1858 को जबलपुर रेलवे स्टेशन स्थित चौराहा में तोप में बांधकर उड़ा दिया। मंत्री श्रीमती संपतिया उइके ने बताया कि राजा शंकरशाह और कुंवर रघुनाथशाह की इस शहादत को स्मरण करते हुए प्रदेश सरकार ने हर वर्ष बलिदान दिवस मनाने के आदेश दिए हैं। उनकी स्मृति को लेकर जबलपुर में विशाल संग्रहालय का निर्माण किया गया है। जिसमें उनकी वीर गाथाओं का उल्लेख होगा, जिससे संग्रहालय में आने वाले लोग इनकी वीर गाथाओं से अवगत हो सकें।

            सांसद श्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने कहा कि राजा शंकरशाह और कुंवर रघुनाथशाह ने स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में देश की आजादी के लिए अपना बलिदान दिया है। उनके इस बलिदान को स्मरण करते हुए प्रतिवर्ष 18 सितंबर को उन्हें श्रद्धांजली दी जाती है। उन्होंने बताया कि राजा शंकरशाह और कुंवर रघुनाथशाह ने देश की आजादी के लिए अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया। अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर तोप में बांधकर उड़ा दिया। इस प्रकार गोंडवाना साम्राज्य के अंतिम शासक के रूप में तथा देश की आजादी के लिए अंग्रेजों के खिलाफ लड़ते लड़ते वीरगति को प्राप्त हुए। उन्होंने बताया कि गोंडवाना साम्राज्य के शासक अपनी जनता की सेवा के लिए हमेशा तत्पर रहते थे, जनता की सुख सुविधाओं का पूरा पूरा ध्यान रखा जाता था, वे जनता की मूलभूत सुविधाओं पर केन्द्रित कार्यों को महत्व देते थे। सांसद श्री कुलस्ते ने बताया कि सरकार गोंडवाना साम्राज्य की अनमोल धरोहरों को सुरक्षित व संरक्षित करने का काम कर रही है। रामनगर स्थित किलों को संरक्षित कर प्रतिवर्ष आदि उत्सव मनाया जा रहा है, जिसमें गोंडवाना साम्राज्य के शासक राजा शंकरशाह और कुंवर रघुनाथशाह, रानी दुर्गावती, राजा हिरदेशाह, राजा संग्रामशाह की वीर गाथाओं को स्मरण किया जाता है कि उन्होंने आजादी के लिए मुगलों और अंग्रेजों से संघर्ष किया। सांसद श्री कुलस्ते ने बताया कि जबलपुर में 100 करोड़ की लागत से संग्रहालय का निर्माण किया गया है। मंडला में राज राजेश्वरी वार्ड में राजा शंकरशाह और कुंवर रघुनाथशाह की मूर्ति और संग्रहालय का निर्माण किया जाएगा। उन्होंने जिला प्रशासन को उक्त स्थान को सुरक्षित एवं संरक्षित रखने के निर्देश दिए जिससे इस स्थान की भव्यता और पवित्रता कायम रहे। आयोजित कार्यक्रम को जिला पंचायत अध्यक्ष श्री संजय कुशराम, नगर पंचायत अध्यक्ष श्री विनोद कछवाहा, सांसद प्रतिनिधि श्री जयदत्त झा ने भी संबोधित किया।

instagram 1
Leave A Reply

Your email address will not be published.