भटकते पितरों की आत्मा को मुक्ति दिलाता है इंदिरा एकादशी का व्रत, जानें तिथि और महत्व

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हिंदू धर्म शास्त्रों में एकादशी के व्रत को बहुत खास बताया गया है. मान्यता है कि सभी व्रतों में एकादशी का व्रत सबसे कठिन माना जाता है. हर माह के दोनों पक्षों की एकादशी तिथि को एकादशी व्रत का रखा जाता है. अश्विन माह की शुरुआत 18 सितंबर से हो चुकी है. इस माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को इंदिरा एकादशी के नाम से जाना जाता है. ये एकादशी पितरों को समर्पित होती है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है.

हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को इंदिरा एकादशी का व्रत किया जाता है. इस बार एकादशी तिथि की शुरुआत 27 सितंबर, शुक्रवार दोपहर 01 बजकर 20 मिनट से शुरू होग और 28 सितंबर, शनिवार दोपहर 02 बजकर 49 मिनट पर इसका समापन होगा. उदयातिथि के अनुसार इंदिरा एकादशी का व्रत 28 सितंबर शनिवार के दिन रखा जाएगा. वहीं, 29 सितंबर रविवार को व्रत का पारण होगा.

एकादशी पारण समयः 29 सितंबर सुबह 06 बजकर 13 मिनट से 08 बजकर 36 मिनट तक किया जा सकता है.

बता दें कि एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है. इस दिन विधिविधान के साथ भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है. बता दें कि इंदिरा एकादशी पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 05 बजकर 23 मिनट से लेकर दोपहर 02 बजकर 52 मिनट तक है.

इंदिरा एकादशी का महत्व

हर माह दोनों पक्षों में एकादशी तिथि को एकादशी का व्रत रखा जाता है. हर एकादशी का अपना अलग महत्व होता है. इंदिरा एकादशी के व्रत का महत्व स्वंय भगवान कृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताया जाता है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से यमलोक से मुक्ति मिलती है. ऐसी भी मान्यता है कि श्राद्ध पक् में आने वाली इस एकादशी का पुण्य अगर पितृगणों को दिया जाए, तो नरक गए पितरों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है.

करें इन मंत्रों का जाप 

इंदिरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा-अ्रचना करने और व्रत आदि रखने से पितरों की आत्मा संतुष्ट होती है और उनकी आत्मा को शांति मिलती है. जानें इस दिन पूजा के बाद किन मंत्रों का जाप विशेष फलदायी माना गया है.

1. मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन। यत्पूजितं मया देव परिपूर्ण तदस्तु मे॥

2. ॐ श्री विष्णवे नमः। क्षमा याचनाम् समर्पयामि॥

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